Class 6, Lesson 25: मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम ( क्रमागत )

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मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम (क्रमागत) दाखलता (यूहन्ना 15:1-17) यूहन्ना अध्याय 14-16 को "ऊपरी कोठरी का उपदेश" कहा गया है जिसे प्रभु ने जिस रात वह पकड़वाया गया कहा था। अध्याय 15 उपरौठी कोठरी से गतसमनी बाग के मार्ग पर कहा गया होता। यह सम्भव है कि वे एक दाख की बारी से होकर जा रहे थे, जब उसने कहा, "सच्ची दाखलता मैं हूँ।" पवित्र शास्त्र के अनेक स्थलों में, इस्राएल की तुलना दाखलता से की गई है। इन संदर्भों को भजनसहिंता, यशायाह, यिर्मयाह तथा यहेजकेल में देखा जा सकता है। यद्यपि परमेश्वर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था और उनकी सारी आवश्यकताओं को पूरा किया था, परमेश्वर की दाखलता के रूप में उन्होंने अपेक्षित फल उत्पन्न नहीं किए थे। मसीह अपने चेलों से कह रहा है जो इस सच्चाई को जानते थे। इससे स्पष्ट है कि मसीह सच्ची दाखलता है, न कि यहूदी या यहूदी अगुवे। इससे हम कुछ बातें सीखते हैंः . मसीह सच्ची दाखलता है और विश्वासी डालियाँ हैं। फल उत्पन्न करने के लिए डालियों का दाखलता से अटूट सम्बंध होना चाहिए। . क्योंकि परमेश्वर पिता किसान है, इन डालियों को पूरी देखभाल एवं सुरक्षा प्राप्त होती है। . फल उत्पन्न करने के लिए बुनियादी शर्त दाखलता के साथ अटूट सम्बंध होता है। मसीह के विषय ज्ञान प्रचार कार्य एवं मसीह के विषय लिखने में उपयोगी होगा, परंतु फल उत्पन्न करने के लिए हमें उसमें बने रहना है। किसान डालियों को काटता छांटता है। क्योंकि सूखी तथा फलरहित डालियाँ अन्य डालियों के लिए रूकावट खड़ी करती हैं, किसान ऐसी डालियों को समय पर काट डालता है। जैसे असामान्य विकास का परिणाम फलरहित होना है, सांसारिक जीवन का परिणाम फलरहित मसीही जीवन हो सकता है। जब वे डालियाँ जो फल लाती हैं छांटी जाती हैं, वे और अधिक फलती हैं। जब कोई विश्वासी प्रभु के प्रति समर्पण करता है, और जब प्रभु उस विश्वासी में निवास करता है, तो वह बहुत फल लाता है। हमें यह सीखना चाहिए कि हमारे जीवन में जो कुछ होता है, वह भले के लिए है, और उसका परिणाम बहुत फल उत्पन्न करना होगा (रोमियों 8:28)। अच्छा चरवाहा (यूहन्ना 10:1-18) चरवाहे वे होते हैं जो भेड़ों की देखभाल करते हैं। चरवाहे का यह दायित्व होता है कि भेड़ों को हरे चारागाहों में ले जाए। चरवाहे की यह अभिलाषा रहती है कि भेड़ें हष्ट-पुष्ट हों, तितर-बितर न हों और जंगली पशुओं का शिकार न हों। इसी उद्देश्य से परमेश्वर ने इस्त्राएल के लिए चरवाहे दिए थे। परंतु उन्होंने भेड़ों की देखभाल नहीं की। परिणामस्वरूप, वे तितर-बितर हो गई और खो गई। अतः परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया कि, परमेश्वर स्वयं उन खोई हुई भेड़ों के लिए आएगा और उनकी सुधि लेगा (यहेजकेल 34:1-25)। जब यीशु ने कहा, "अच्छा चरवाहा मैं हूँ।" उसने यह स्पष्ट किया कि वह पिछले चरवाहों जैसा नहीं है। उसने प्रतिज्ञा किया कि वह भेड़ों के लिए वह करेगा जो दूसरों ने नहीं किया था। इस कथन से हम सीखते हैं कि . यीशु वह चरवाहा है जो भेड़शाला में द्वार से प्रवेश करता है। अर्थात् वह अधिकार के साथ परमेश्वर की ओर से आया, कि परमेश्वर की इच्छा को परमेश्वर की रीति से पूरा करे। . उसने दावा किया कि वह भेड़ों को हरे चरवाहों में ले जा सकता था और उनके लिए आवश्यक आत्मिक भोजन दे सकता था (भजन 23)। . यीशु ने कहा कि वह अच्छा चरवाहा था जो भेड़ों के लिए अपना प्राण देने आया था, कि शत्रु, शैतान से भेड़ों को छुड़ाए। उसने यह भी कहा कि भेड़ें जीवन पाएंगी और बहुतायत से पाएंगी। उसने दावा किया कि वह अन्यजातियों एवं यहूदियों दोनों के लिए चरवाहा है। भजन 22 में हम उस अच्छे चरवाहे के बारे में पढ़ते हैं जो भेड़ों के लिए अपना प्राण देता है। क्योंकि वह मृतकों में से जी उठा वह महान चरवाहा है (इब्रा. 13:20)। भजन 23 में यही बात कही गई है। वह प्रधान चरवाहा है (1 पतरस 5:4) जो विश्वस्त चरवाहों को प्रतिफल देने वापस आता है। भजन 24 का यही विषय है। परमेश्वर का मेम्ना (यूहन्ना 1:29-37) सदियों से, यहूदियों को कोई नबी या परमेश्वर की ओर से कोई प्रकाशन नहीं मिला था। उस समय, यूहन्ना बपतिस्मादाता पश्चाताप का प्रचार करते हुए जंगल में प्रकट हुआ। उसके चारों ओर भीड़ लग गई। अगुवों को शंका थी कि कहीं वह प्रतिज्ञात मसीह तो नहीं था। याजक और लेवी आए और उससे इस बारे में पूछा। उसने उत्तर दिया कि वह न तो मसीह था न ही एलिय्याह और न ही अन्य कोई नबी। उसने उनका ध्यान किसी और की ओर ले जाने का प्रयास किया। उसने उन्हें यह कहने के द्वारा उत्सुक किया कि उनके मध्य कोई था जिसे वे नहीं जानते थे। अगले दिन, मसीह को अपनी ओर आते देख, यूहन्ना बपतिस्मादाता पुकार उठा, "देखो, परमेश्वर का मेम्ना जो जगत के पाप उठा ले जाता है।" नया नियम के मूल लेख में, मात्र चार स्थानों पर 'मेम्ना' शब्द का उपयोग हुआ है। इस शब्द का अर्थ बलि चढ़ाए जाने के मेम्ने से है। प्रति वर्ष, प्रायश्चित के दिन, इस्राएल की समस्त मण्डली के पापों के लिए दो बकरों को अलग किया जाता था। एक को मारा जाता था और दूसरे को जंगल में छोड़ दिया जाता था (लैव्य. 16)। यूहन्ना ने इन दोनों मेम्नों में मसीह की छाया को देखा। यीशु वह मेम्ना था जो मनुष्य के पाप के प्रायश्चित के लिए मारा गया, और वह भी जो संसार के पाप को उठा ले जाता है। जो बलिदान प्रति वर्ष दोहराए जाते थे उन्होंने पाप का केवल अस्थायी समाधान किया। परंतु मसीह के बलिदान ने स्थायी समाधान दिया। क्योंकि मसीह परमेश्वर का मेम्ना है, अब किसी और बलिदान की आवश्यकता नहीं है। हमें मसीह के उस बलिदान को ग्रहण करने के द्वारा जो हमेशा के लिए दिया गया, परमेश्वर के पास आना है। स्वर्गीय उपासना का पात्र मसीह है जो कि परमेश्वर का वध किया हुआ मेम्ना है (प्रकाशित. 5)।

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