Class 6, Lesson 2: आरम्भिक बलिदान ( क्रमागत )

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आरम्भिक बलिदान (क्रमागत) इब्राहीम के बलिदान 1. साधारण बलिदान इब्राहीम का जन्म कसदियों के देश के उर नगर में हुआ था। परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया (प्रे.काम 7:2,3) और कहा कि अपने पूर्वजों के देश को छोड़ दे और उस देश को जाए जो वह उसे दिखाएगा। अपने पिता तेरह के साथ वह हारान को गया। तेरह की मृत्यु के पश्चात्, यहोवा ने इब्राहीम से पुनः बात की (उत्पत्ति 12:1) और वह कनान को गया कि वहाँ रहे। वह एक यात्री के समान तम्बुओं में रहा। जहाँ कहीं वह गया, उसने एक वेदी बनाया और परमेश्वर की उपासना की। प्रार्थना और मनन उसकी उपासना का हिस्सा थे। 2. विशेष बलिदान उत्पत्ति के अध्याय 15 और 22 में इब्राहीम के द्वारा चढ़ाए दो विशेष बलिदानों का वर्णन है। अ. अध्याय 15 में, इब्राहीम ने परमेश्वर द्वारा बताए पशुओं एवं पक्षियों को बलिदान चढ़ाया। इब्राहीम एक सन्तान की अभिलाषा करता था। जब उसने बलिदान चढ़ाए, परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ एक वाचा बांधी और एक वंश की प्रतिज्ञा दिया जिसकी सन्तान आकाश के तारागणों जितनी होंगी। इब्राहीम को परमेश्वर ने निम्नलिखित प्रतिज्ञाएं दींः 1. "मैं तुझे एक बड़ी जाति बनाऊँगा" (उत्पत्ति 12:2) 2. "मैं तुझे आशीष दूँगा" (उत्पत्ति 12:2) 3. "मैं तेरा नाम महान करूँगा" (उत्पत्ति 12:2) 4. "तू आशीष का कारण होगा" (उत्पत्ति 12:2; गला. 3:14) 5. "जो तुझे आशीर्वाद देंगे, मैं उन्हें आशीष दूँगा" (उत्पत्ति 12:3,4) 6. "जो तुझे शाप दें, मैं उसे शाप दूँगा" (उत्पत्ति 12:3,4) 7. "पृथ्वी के सब घराने तुझमें आशीष पाएँगे" (उत्पत्ति 12:3; 22:18) (इब्राहीम के साथ बांधी गई परमेश्वर की वाचा आज भी स्थिर है और इसीलिए यहूदी लोग पलिस्तीन देश पर अपना दावा करते हैं) ब. उत्पत्ति 22 में चढ़ाया गया बलिदान एक असाधारण बलिदान था। परमेश्वर ने इब्राहीम से मोरिय्याह देश को जाने और उसके एकलौते पुत्र को वहाँ के एक पर्वत पर होमबलि चढ़ाने के लिए कहा। इब्राहीम हिचकिचाया नहीं। जब परमेश्वर ने उसे यह करने के लिए कहा तो उसने किसी से सलाह नहीं ली, परंतु तुरंत परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। वह परमेश्वर से बहुत कुछ तर्क-वितर्क कर सकता था जिसने उसे उसके वंश के द्वारा एक जाति की प्रतिज्ञा किया था, परंतु उसने कुछ नहीं कहा। उसने होमबलि के लिए सारी तैयार किया और इसहाक तथा अपने सेवकों के साथ भोर को ही मोरिय्याह की ओर निकल पड़ा। जिस स्थान को यहोवा ने ठहराया था, वहाँ वे तीसरे दिन पहँुचे। उसके प्रिय पुत्र द्वारा यह पूछे जाने पर कि, "होमबलि के लिए मेम्ना कहाँ है," उसने उत्तर दिया, "परमेश्वर प्रबंध करेगा।" उसने एक वेदी बनाया, इसहाक को बांधा और उसे वेदी पर लिटा दिया; एक आज्ञाकारी पिता और एक आज्ञाकारी पुत्र! इसहाक समझ गया कि वह स्वयं ही बलिदान चढ़ाया जाने वाला मेम्ना था। यदि उस स्वर्गदूत ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो उस वेदी पर इसहाक को घात कर दिया गया होता। इसहाक के स्थान पर, एक मेढ़ा बलिदान चढ़ाया गया और इब्राहीम ने इसहाक को एक मृत्यु से छुड़ाए गए के रूप में घर ले गया। परमेश्वर ने इब्राहीम को आशीष दिया। यह बलिदान क्रूस पर यीशु की मृत्यु के दो आयामों को प्रकट करता है। (1) हम देखते हैं कि इसहाक के स्थान पर एक मेढ़ा बलिदान चढ़ाया गया जो कि मसीह की हमारे बदले में मृत्यु को दर्शाता है। (2) परमेश्वर ने मनुष्य के अनंत उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र को दिया। यीशु मसीह ने क्रूस पर मृत्यु तक अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और ठीक जिस रीति से इसहाक ने एक ऐसी मृत्यु से वापस जीवन पाया जो कि लगभग सुनिश्चित ही थी, मसीह मृतकों में से जी उठा। इब्राहीम का आज्ञापालन तथा उसका अटल विश्वास आदर्श है। हमारे विश्वास को हमारे कर्मों द्वारा दिखाई देना चाहिए। परमेश्वर से आशीष प्राप्त करने के लिए हमें उसका पूरा आज्ञापालन करना चाहिए।

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