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लुका रचित सुसमाचार लेखक इस तीसरे सुसमाचार तथा प्रेरितों के काम की पुस्तक के लिखे जाने का श्रेय लूका को दिया गया है जो कि अन्ताकिया का एक यूनानी था। पौलुस ने उसे 'वैद्य' कहा है (कुलु. 4:14)। जिस दक्षता के साथ उसने इस पुस्तक को लिखा है, यह दर्शाता है कि वह एक ज्ञानी मनुष्य था। विशेषकर आश्चर्यकर्मों से सम्बंधित दक्ष अवलोकन इस बात को दर्शाते हैं कि वह एक वैद्य था। इसलिए कभी कभी इस पुस्तक को पौलुस रचित सुसमाचार भी कहते हैं। लूका पौलुस का साथी एवं सहयोगी था। जबकि अनेकों ने पौलुस को छोड़ दिया, लूका अंत तक उसकी सेवकाई में उसके साथ रहा (2 तीमु. 4:11)। सुसमाचार हमने देखा कि मत्ती ने मसीह का चित्रण एक राजा के रूप में, और मरकुस ने एक दास के रूप में किया है। लूका मसीह को एक सिद्ध मनुष्य के रूप में चित्रित करता है। उसका सुसमाचार यहेजकेल की नबूवत के एक मनुष्य के से मुँह वाले जीवित प्राणी को प्रकट करता है (यहेजकेल 1:10)। मिलापवाले तम्बू का महीन पर्दा मसीह के निष्पाप होने को प्रकट करता है। यही इस सुसमाचार की विषय-वस्तु है। मसीह की मानवता के विभिन्न गुण देखे जा सकते हैं। मसीह की मानवता तथा उद्धार के लिए विश्वव्यापी सम्भावना पर जोर दिया गया है। उद्धार सबके लिए है, चाहे वे सामरिया वासी हों (9:52-56; 10:30-37; 17:11-19), या अन्यजाति (2:32; 3:6,8; 4:25-27; 7:9; 10:1; 24:47), या यहूदी (1:33; 2:10), महसूल लेने वाले या पापी (3:12; 5:27-32; 7:37-50; 19:2-10; 23:43), फरीसी (7:36; 11:37; 14:1), निर्धन (1:53; 2:7; 6:20; 7:22) या धनी (18:2; 23:50)। लूका इस बात पर भी जोर देता है कि उद्धारकर्ता आत्मा एवं शरीर को चंगा करता है और कि उद्धार अनंत है। इस सुसमाचार में अन्य सुसमाचारों की अपेक्षा अधिक ऐतिहासिक विवरण हैं। प्रार्थना एक और महत्वपूर्ण विषय है, इस पुस्तक में प्रभु के द्वारा प्रार्थना करने की अधिक घटनाएं हैं। मरियम, इलीशिबा, जकर्याह के स्तुतिगान तथा अन्य अनेक घटनाओं का केवल लूका ने विस्तृत विवरण किया है। परमेश्वर के महान प्रेम का उदाहरण देते हुए उड़ाऊ पुत्र की कहानी अध्याय 15 में दी गई है। मसीह की पूर्ण मानवता को उसके जन्म, जीवन तथा सेवकाई द्वारा प्रकट किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यीशु ही मानवजाति का उद्धारकर्ता है। किन्हें लिखा गया उच्च स्तर की लेखनशैली यह दर्शाती है कि यह सुसमाचार बुद्धिजीवियों के लिए लिखा गया था। यूनानी लोग ज्ञान की खोज में रहते थे। उनका साहित्य एवं दर्शन उच्च स्तर के थे। इस सुसमाचार को मान्यवर थियोफिलुस को सम्बोधित किया गया है (1:13)। अतः यह बात और सिद्ध करती है कि लूका ने विशेषकर यूनानियों के लिए लिखा। इसके अतिरिक्त उसने इस पुस्तक से सम्बंधित घटनाओं को उस समय की ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़ा (उदा. 2:1) ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए जो इतिहास को भलीभांति जानते थे। यह माना जाता है कि यह सुसमाचार कैसरिया में पौलुस के बंदिगृह में रहने के समय लिखा गया था।
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