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मत्ती रचित सुसमाचार लेखक सामान्यतः माना जाता है कि इस प्रथम सुसमाचार का लेखक प्रेरित मत्ती है। यह मत्ती 9:10 में वर्णित घर सम्भवतः मत्ती का ही है, जो हमें यह संकेत देता है कि मत्ती ही इस सुसमाचार का लेखक है। उसे लेवी भी कहा जाता है। जब वह चुंगी लेने के काम में लगा था हमारे प्रभु ने उसे बुलाया। उसने तुरंत सबकुछ छोड़ा और यीशु के पीछे हो लिया। उसने स्वयं को और जो कुछ उसके पास था प्रभु को सौंप दिया। उसने प्रभु और उसके चेलों को अपने घर में ग्रहण किया। उसने अपने मित्रों एवं सहकर्मियों को भी अपने घर निमंत्रित किया कि वे भी प्रभु को देखने तथा उसकी सुनने का एक अवसर प्राप्त करें। वे आए और यीशु के चरणों में बैठे। उस अंतर को देखिए जो मत्ती में आया। अब तक उसका मुख्य लक्ष्य, धन कमाना था, परंतु अब वह प्रभु को सबकुछ से अधिक मूल्यवान रूप में देखता है। उसका पिता कफरनहूम का हल्फई था। पाठ में दी गई सूचना से बढ़कर हमें उसके विषय और जानकारी नहीं है। परम्पराओं के अनुसार वह इथियोपिया में शहीद हुआ। नया नियम की 27 पुस्तकों को तीन भागों में बांटा जा सकता है - ऐतिहासिक, धर्म-सैद्धांतिक और नबूवतीय। प्रथम पाँच पुस्तकें इतिहास को बताती हैं। पत्रियाँ धर्म-सैद्धांतिक पुस्तकें हैं, और प्रकाशितवाक्य की पुस्तक नबूवत की पुस्तक है। इतिहास की पाँच पुस्तकों को पुनः दो भागों में बांटा जा सकता है। चार सुसमाचार यीशु मसीह की जीवनी का वर्णन करते हैं और प्रेरितों के काम की पुस्तक नया नियम कलीसिया के इतिहास का। अब हम मत्ती रचित सुसमाचार का अध्ययन करेंगे जो पहला सुसमाचार है। सुसमाचार चार सुसमाचार मसीह के व्यक्तित्व के चार आयामों का चित्रण करते हैं। मत्ती उसे राजा के रूप में चित्रित करता है। वह राजा दाऊद से उसकी वंशावली बताते हुए मसीह का वर्णन आरम्भ करता है (1:1)। एक सितारे की अगुवाई में पूर्व से मजूसी आए। जब उन्होंने 'उस बालक' को देखा तो उन्होंने उसे सोना, लोबान और गंधरस भेंट चढ़ाया जो कि राजसी प्रतीक हैं और उसे दण्डवत किया। पिलातुस के सामने उसकी स्वयं की घोषणा (27:11) और क्रूस पर लिखा दोष-पत्र (27:32) उसके राजा होने को दर्शाते हैं (यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि तम्बू के पर्दे में भी चार रंग थे, ये चार रंग इन सुसमाचारों को दर्शाते हैं, राजकीय रंग नीला, मत्ती सुसमाचार को दर्शाता है)। इस सुसमाचार में 'राज्य' शब्द 'स्वर्ग का राज्य', 'परमेश्वर का राज्य', 'उसका राज्य', 'मेरे पिता का राज्य' इत्यादि रूप में लगभग पचास बार आता है। अध्याय 5-7 राज्य का विस्तृत विवरण देते हैं। अध्याय 10 राज्य की घोषणा करता है (10:7)। जबकि 18 अध्याय राज्य में सहभागिता का, 24वां एवं 25वां अध्याय राज्य के आने की घोषणा करते हैं। जब याकूब ने यहूदा को आशीष दिया था, उसने उसे सिंह (राजा) कहा था और यह कि यहूदा के गोत्र में राजवंश बना रहेगा। (प्रकाशित. 5:5) में, मसीह को यहूदा के गोत्र का सिंह कहा गया है। किन्हें लिखा गया यीशु मसीह के प्रेरित मत्ती ने इस सुसमाचार को मुख्यतः यहूदियों के लिए लिखा। यहूदी जाति एक मसीहा की प्रतीक्षा कर रही थी। परंतु वे यीशु को मसीह के रूप में स्वीकार नहीं कर सके। उन्होंने उस पर ईश-निंदा का आरोप लगाते हुए उसे अन्यजातियों को सौंप दिया। वह पुराना नियम का लगभग साठ बार उल्लेख करता है और उससे लगभग चालीस बार उद्धरत करता है ताकि यहूदियों को विश्वास दिलाए। "इस प्रकार जैसा कहा गया था पूरा हुआ" को अक्सर ही दोहराया गया है कि यहूदियों को यह बताए कि पुराना नियम में आने वाले मसीह के विषय जो भी नबूवत लिखी थी, वह मसीह यीशु में पूरी हुई थी। इसके साथ ही हम प्रेरित पतरस के शब्दों की तुलना कर सकते हैं, "परमेश्वर ने उसे प्रभु और 'मसीह' दोनों ही ठहराया - इसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ाया" (प्रे.काम 2:36)।
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