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शमूएल शमूएल की पुस्तक इस्राएल के अंतिम न्यायी तथा प्रथम नबी, शमूएल के जीवन का कुछ विस्तृत वर्णन देती है (प्रेरित. 13:20) जो कि मूसा के बाद सबसे महत्वपूर्ण नबी था (यिर्म. 15:1)। शमूएल का जन्म और बचपन (1 शमू. 1:1-2:11; 3:1-21) शमूएल के माता-पिता एल्काना तथा हन्ना बहुत भक्त लोग थे। हन्ना कई वर्षों तक निःसंतान रही। उसने प्रभु से एक पुत्र के लिए लगातार प्रार्थना की। प्रभु ने उसे एक पुत्र की आशीष दी जिसका नाम शमूएल रखा गया अर्थात् "परमेश्वर ने मेरी सुनी।" जब शमूएल का दूध छुड़ाया गया, हन्ना ने जो कि एक भक्त थी, उसे जीवनपर्यन्त प्रभु की सेवा के लिए अर्पित कर दिया। प्रभु शमूएल को बुलाता है (3:4-12) शमूएल बालक 'यहोवा के सामने' बढ़ता गया (2:21)। वह यहोवा के भवन में सेवा-टहल करता और उसकी उपासना करता था। उसकी बाल्यावस्था से प्रभु प्रसन्न था और प्रभु उसके साथ था। एक रात्रि जब शमूएल मंदिर में सो रहा था, प्रभु ने उसे पुकारा। जब शमूएल ने उत्तर दिया, "कह, तेरा दास सुन रहा है" (3:10)। प्रभु ने उसके द्वारा एली के घराने को अपनी चेतावनी दिया। एली और उसके पुत्रों की मृत्यु के पश्चात, शमूएल (जो लेवी था परंतु हारून के घराने से नहीं) याजक बना। शमूएल की सेवकाई (7:1-9:37) इस्राएलियों ने शमूएल को परमेश्वर के एक जन के रूप में स्वीकार किया क्योंकि उसकी समस्त नबूवते सच हुई थीं (9:6)। शमूएल ने बीस वर्ष तक इस्त्राएल का न्याय किया। यह लोगों के मध्य एक महान धर्म जागरण का समय था। इस धर्म-जागरण के निम्नलिखित कारण थे लोग अपने पूरे हृदय से यहोवा की ओर फिरे थे (7:3)। उन्होंने बाल तथा अश्तारोत को दूर किया और केवल प्रभु की उपासना की थी (7:4)। उन्होंने उपवास किया और अपने पापों का अंगीकार किया (7:6)। इस धर्म सुधार के पश्चात् पुनः संकट आया। शमूएल ने जो कि गिदोन या यिप्तह के समान योद्धा नहीं था, यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना किया (7:9-10) और प्रभु ने पलिश्तियों को उसके अधीन कर दिया। शमूएल की संतानें (8:3,5) यद्यपि शमूएल के पुत्र एली के पुत्रों के समान दुराचारी नहीं थे, वे प्रभु के मार्गों पर नहीं चले। यह बात कि शमूएल को यहोवा द्वारा डांटा नहीं गया यह सुझाव देती है कि उसने उन्हें धार्मिकता के मार्गों पर चलाने का यत्न किया होगा। कभी कभी ऐसा होता है कि एक भक्त पिता के चाल-चलन को उसकी संतान स्वीकार नहीं करती हैं। शमूएल का एक पोता, हेमान, गायक था (1 इतिहास 6:33)। राजाओं के रूप में शाऊल और दाऊद का अभिषेक यहोवा की अभिलाषा यह थी कि इस्त्राएल के सारे गोत्र उसके ईश्वरीय राजतंत्र के अधीन एक जुट रहें। शमूएल भी यह जानता था कि उनके लिए परमेश्वर की येाजना थी, परंतु शीघ्र ही उन्होंने उसे त्याग दिया और उन्हें एक राजा देने के लिए शमूएल से माँग की। उसने उन्हें उन पर एक सांसारिक राजा के राज्य करने के परिणामों के विषय चिताया। तब प्रभु ने शमूएल को कहा कि उनके पहले राजा के रूप में बिन्यामीनी शाऊल का अभिषेक करे (10:1-15)। शीघ्र ही शाऊल को अस्वीकृत कर दिया गया जब उसने याजकीय भूमिका को निभाया और इस प्रकार प्रभु की वाचा को तोड़ा (13:8-14) उसके स्थान पर यिशै का पुत्र दाऊद का अभिषेक किया गया (16:11,12)। परंतु इससे पहले कि दाऊद ने इस्त्राएल पर राज्य करना आरम्भ किया शमूएल मर गया। उसके संपूर्ण जीवन में लोगों ने उसका पूरा आदर किया।
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