Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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आरम्भिक बलिदान 1.कैन और हाबिल द्वारा चढ़ाया गया बलिदान इन दो भाइयों ने परमेश्वर को अपने बलिदान चढ़ाए: कैन ने भूमि की उपज से और हाबिल ने अपनी भेड़-बकरियों के पहलौठों में से। यहोवा ने हाबिल की भेंट को ग्रहण किया, क्योंकि उसकी भेंट में लहू बहाया गया था। कैन की भेंट के साथ ऐसा नहीं था। इसलिए परमेश्वर उसमें प्रसन्न नहीं हुआ। यह इस सत्य को दर्शाता है कि लहू बहाए बिना पाप का प्रायश्चित नहीं है। कोई मनुष्य अपने भले कार्यों द्वारा दाम नहीं चुका सकता है। "हमारे धर्म के काम मैले चिथड़ों के समान हैं (यशा- 64:6) क्योंकि हम सब पापी मनुष्य हैं। पापी मनुष्य परमेश्वर द्वारा तब ही ग्रहण किए जा सकते हैं जब वे कलवरी के क्रूस पर यीशु मसीह की बलिदानी मृत्यु पर विश्वास करते हैं। 2.यहोवा के नाम से आराधना हाबिल की मृत्यु के पश्चात, आदम को तीसरे पुत्र की आशीष प्राप्त हुई, जिसका नाम शेत था। इस शब्द का अर्थ है "ठहराया हुआ।" शेत के पुत्र एनोश के समय से मनुष्य यहोवा का नाम लेकर प्रार्थना करने लगे। इसी रीति से, यीशु "ठहराया हुआ" है कि मनुष्य को छुटकारा दे। छुड़ाए हुओं को परमेश्वर की उपासना करना चाहिए। जो छुड़ाए नहीं गए हैं उनकी उपासना परमेश्वर को ग्रहण नहीं है। 3. नूह का बलिदान जब पृथ्वी पर मनुष्य की दुष्टता बढ़ गई और दुष्ट का राज्य हो गया, परमेश्वर ने पृथ्वी के लोगों को जलप्रलय द्वारा नाश किया। तथापि, वह धर्मी मनुष्य नूह तथा उसके परिवार को जीवित रखा गया (उत्पत्ति 6:8-9)। जब नूह जहाज़ से बाहर आया, उसने एक वेदी बनाया, प्रत्येक शुद्ध पशु और प्रत्येक शुद्ध पक्षी को लिया और उस पर होमबलि चढ़ाया। यह परमेश्वर के लिए सुखदायक सुगंध ठहरा। परमेश्वर ने नूह के साथ एक वाचा बांधी जिसके अनुसार वह फिर कभी मनुष्य को जलप्रलय द्वारा नाश नहीं करेगा। जब हम आत्मा और सच्चाई से प्रभु की उपासना करते हैं तो यह उसे भला लगता है। 4.अय्यूब का बलिदान अय्यूब प्राचीन समयों का एक भक्त जन था, विश्वास में दृढ़ तथा परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी था। उसके पुत्र भोज किया करते थे। इसके कारण अय्यूब को डर रहता था कि कहीं वे अपने आनन्द मनाने के समयों में अपने हृदयों में पाप न करें और परमेश्वर को शाप न दें। इन भोज के अवसरों के अंत में अय्यूब अपने पुत्रों के प्रायश्चित के लिए बलिदान चढ़ाता था। इन वृत्तांतों से हम स्पष्ट रीति से समझते हैं कि परमेश्वर के साथ संगति तथा उससे आशीषें पाप के प्रायश्चित द्वारा ही प्राप्त होती हैं। जबकि व्यवस्था के अनुसार किए गए बलिदानों ने दोषी व्यक्ति को अस्थायी राहत दी, कलवरी के क्रूस पर मसीह की मृत्यु ने मनुष्य को अनंत छुटकारा प्रदान किया।
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