Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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दसवीं विपत्ति अर्थात फिरौन के पहिलौठे और नदियों के पहिलौठों की मृत्यु सबसे भयानक थी। फिरौन समझ गया कि यह सजा केवल परमेश्वर की ओर से ही थी। उसके अपने पुत्र की मृत्यु इसी बात का पर्याप्त सबूत थी। इसलिये उस रात उसने मूसा और हारून को बुलाया और उन्हें जाने की अनुमति दे दिया। फिरौन उसके लोगों द्वारा इश्वरीय समझा जाता था, उसने मूसा से कहा कि वह उसे आशीषित करे! (निर्गमन 12:32)। परमेश्वर के निर्देशानुसार, इस्त्राएलियों ने मिस्त्रियों से चांदी और सोने की चीजे माँगा और कपड़े भी माँगा और उन्होंने जो कुछ माँगा, मिस्त्रियों ने उन्हें दे दिया। (निर्गमन 12:35-36,निर्गमन 3:21-22, 11:2-3 भी देखें)। यह बात ध्यान देने योग्य है कि परमेश्वर ने ऐसी व्यवस्था इसलिये किया था क्योंकि इस्त्राएलियों को गुलामी के कठिन परिश्रम की मजदूरी उन्हें नहीं दी जाती थी।इस्त्राएली लोग यात्रा पर निकल पड़े और परमेश्वर के निर्देशानुसार समुद्र के किनारे डेरा डाल दिये। इसी बीच फिरौन को कुछ नया विचार किया। उसे ऐसा लगा कि उन्हें इस तरह जाने नहीं देना था। इसलिये उसने अपनी सेना के साथ छः हजार चुने हुए रथ और उनके सरदारों को लेकर उनका पीछा किया। जब इस्त्राएलियों ने फिरौन और उसकी सेना को उसके पीछे आते देखा, तो वे डर गए और उन्होंने मूसा से कहा, ‘‘क्या मिस्त्र में कबरें न थीं, जो तू हमको वहाँ से मरने के लिये जंगल में ले आया है?’’ मूसा ने लोगों से कहा, ‘‘डरो मत,खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा क्योंकि जिन मिस्त्रियों को तुम आज देखते हो फिर कभी न देखोगे। यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।’’ जब कठिनाइयाँ और समस्याएँ हमारे सामने आती हैं, जब हम अपनी सोच-समझ के अंत में होते हैं, तब हमें अपना विश्वास सर्व संपन्न परमेश्वर पर रखना चाहिये और निडरता से स्थिर रहना चाहिये।जब मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना किया, उसने उस से कहा, ‘‘तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है।इस्त्राएलियों को आज्ञा दे कि यहाँ कि से कूच करें।’’ तब मूसा ने अपना हाथ बढ़ाया और लाल समुद्र दो भाग में बँट गया इस्त्राएल की संतानों ने समुद्र पार किया और सूखी जमीन पर आ गये। जब परमेश्वर ने मिस्त्रियों के हृदय को कठोर किया, वे इस्त्राएलियों का पीछा करने लगे। जब सारे इस्त्राएली समुद्र पार कर चुके, तब मूसा ने फिर से समुद्र पर अपना हाथ बढ़ाया और पानी फिर से एक हो गया और रथों , घुड़सवारों और मिस्त्र की सेना को ढांप लिया। जब इस्त्राएल की संतानों ने समुद्र के किनारे मिस्त्रियों के शवों को देखा तो उन्होंने परमेश्वर का भय माना, और उस पर विश्वास किया और उसके दास मूसा पर भी विश्वास किया। जब वे फिरौन और उसकी सेना से छुड़ाए गये तब उन्होंने बहुत आनंद किया। मरियम जो भविष्यवक्तीन थी हाथ में डफ लिये सभी स्त्रियों के साथ परमेश्वर की स्तुति करती चलीं ‘‘यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है, घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में फेंक दिया है।’’अब इस्त्राएलियों का मिस्त्र से पूरी तरह संबंध टूट चुका था। उनका पूरा छुटकारा हो चुका था। उसी प्रकार नया जन्म पाया हुआ परमेश्वर की सन्तान भी संसार से अलग हो जाती है।
अब्राहम का मै परमेश्वर हूं, अद्भुत कार्य क्यों ना करूंगा, लाल सागर में रास्ता दिया आज भी मैं करने के योग्य हूं। करता हूं मैं तेरी चिंता, तू क्यों चिंता करता हैं, आंसूओं की घाटियों में, साथ ना छोडू़ंगा तेरा।