Class 5, Lesson 6: मिस्र में विपत्तियाँ

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जब मूसा और हारून ने फिरौन से कहा कि वह इस्त्राएल के लोगों को जंगल में जाने दे, ताकि वे परमेश्वर के लिये पर्व मना सकें, फिरौन ने कहा, ‘‘यहोवा कौन है कि मैं उसका वचन मानकर इस्त्राएलियों को जाने दूँ? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्त्राएलियों को नहीं जाने दूँगा।’’ फिर उसने परिश्रम करवाने वालों को बुलाया और उनसे कहा कि ईंट बनाने वे उन्हें पुआल5 न दें। उन्हें ही पुआल इकट्ठा करने देना फिर भी उनसे पहले के समान उतनी ही ईंटे बनवाना। उन्हें परिश्रम करवाने वालों द्वारा मारा भी जाता था। जब इस्त्राएल के सरदारों ने समझ लिया कि वे बहुत मुसीबत में फँस चुके थे तो उन्होंने मूसा और हारून से शिकायत किया। उन्होंने इस विषय को परमेश्वर से कहा। परमेश्वर ने उनसे कहा कि वह उसके लोगों को हाथ बढ़ाकर और बड़े न्याय के द्वारा छुड़ाएगा और कनान देश ले जाएगा जिसे देने की प्रतिज्ञा उसने किया था, परंतु जब इस्त्राएलियों ने यह सुना तो वे उनके दुख और भारी बोझ के कारण स्वीकार नहीं कर सके।जब मूसा और हारून फिरौन के पास गये और छड़ी को नीचे डाला जैसा परमेश्वर ने उनसे कहा था, तो वह छड़ी साँप बन गई। मिस्त्र के जादूगरों ने भी ऐसा ही किया परंतु हारून की छड़ी ने उनकी छड़ियों को निगल गई। परंतु फिरौन ने उसका हृदय कठोर कर लिया और लोगों को जाने देने से इन्कार कर दिया। फिर परमेश्वर ने उसके कहे अनुसार दंड दिया। फिरौन के झुकने के पहले दस विपत्तियाँ आई। सुबह मूसा और हारून छड़ी लेकर नदी के किनारे खड़े हुए। जब फिरौन वहाँ आया तो हारून ने अपना हाथ पानी की ओर बढ़ाकर लाठी को पानी में मारा और पानी लहू बन गया और नदी की सभी मछलियाँ मर गईं। जादूगरों ने यह भी कर दिया और फिरौन ने फिर से अपना हृदय कठोर कर लिया और अपने महल को लौट गया। इस घटना के सात दिनों के बाद, मूसा फिर से फिरौन के पास गया और उसके लोगों को मिस्त्र से जाने देने को कहा, परंतु राजा ने इन्कार कर दिया। फिर हारून ने अपना हाथ पानी की ओर बढ़ाया और उसमें से मेंढक निकाल आए और सारे देश में छा गए। जादूगरों ने यह भी कर दिखाया। यह दूसरी विपत्ति थी। मेंढक सभी जगह छा गये थे, महल में, नौकरों के घरों में उनके चूल्हों और बर्तनों में भी। फिर फिरौन ने मूसा को बुलाकर कहा कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे कि मेंढक हट जाएँ और प्रतिज्ञा किया कि फिर वह उन्हें जाने देगा। फिर मूसा और हारून ने परमेश्वर से प्रार्थना किया और सारे मेंढक मर गए, परंतु जब फिरौन ने देखा कि विपत्ति चली गई थी, उसने अपना हृदय कठोर कर लिया और लोगों को जाने नहीं दिया।तीसरी बार हारून ने हाथ बढ़ाया और धूल पर मारा और वह मनुष्यों और पशुओं पर कुटकियाँ बन गई। जादूगरों ने भी कोशिश किया परंतु वे कुटकियाँ नहीं ला सके। तब भी फिरौन ने लोगों को जाने नहीं दिया। चैथी विपत्ति ने डाँसों को लाई जिसने सारे देश को छा लीं, फिरौन का महल, दासों के घर, परंतु गोशेन जहाँ इस्त्राएली संताने रहती थीं, छोड़ दिया गया। फिर फिरौन ने कहा कि वे मिस्त्र देश में ही परमेश्वर को बलिदान चढ़ा सकते थे। मूसा इस बात से सहमत नहीं हुआ। हमें 3 दिन की यात्रा करते हुए जंगल मे जाना ही होगा। उसने कहा। फिरौन ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें जंगल में जाने दूंगा परंतू बहुत दूर नहीं। मेरे लिये बिनती करो।’’ परमेश्वर ने डाँसों को हटा दिया परंतु फिरौन ने फिर से अपना हृदय कठोर कर लिया। पाँचवीं विपत्ति एक बीमारी थी जिसने मिस्त्रियों के सभी जानवरों को मार डाला परंतु इस्त्राएलियों का एक भी जानवर नहीं मरा। छठवीं विपत्ति ने फफोले और फोड़े लाई जो मनुष्यों और जानवरों दोनों पर आए। सातवीं बार परमेश्वर ने मेघों का गरजना और ओले और आग गिरने जैसी विपत्ति भेजा। इस विपत्ति ने उन सबको मार डाला जो मैदानों में थे,और फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया। मूसा ने फिरौन को चेतावनी दिया कि टिड्डियाँ आठवीं विपत्ति होगी। फिरोन के दासों ने राजा से बिनती किया कि वह इस्त्राएलियों को जाने दे, परंतु फिरौन केवल पुरुषों को ही जाने देने के लिये राजी हुआ। जब मूसा ने यह जिद किया कि जवान और बूढ़ों को उनके पशुओं और भेड़ बकरियों के साथ जाने दिया जाए, तो फिरौन ने उन्हें अपनी उपस्थिति से बाहर निकाल दिया। फिर मूसा ने अपना हाथ बढ़ाकर छड़ी को मिस्त्र पर छुमाया और पूर्वी हवाओं ने अपने साथ टिड्डियाँ ले आईं जो सारे देश में छा र्गइं। जल्द ही टिड्डियों ने सारी हरियाली चट कर ली और मिस्त्र की सीमाओं के वृक्ष भी खा गई। तुरंत ही फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवा भेजा और परमेश्वर से प्रार्थना करने को कहा। जब उन्होंने प्रार्थना किया तो परमेश्वर ने पश्चिम से हवाएँ भेजा जो सारी टिड्डियों को लाल समुद्र ले गईं। परंतु परमेश्वर ने फिरौन का हृदय कठोर कर दिया और उसने लोगों को जाने नहीं दिया। नौवीं विपत्ति के लिये मूसा ने अपना हाथ स्वर्ग की ओर बढ़ाया और सारे देश में तीन दिन तक अंधियारा छाया रहा, परंतु सभी इस्त्राएलियों के आवासों में प्रकाश था। फिर से फिरौन ने विनती के आधे भाग को मानते हुए सौदा करने का प्रयास किया, परंतु परमेश्वर ने उसके लोगों को पूरा छुटकारा देने की प्रतिज्ञा किया था इसलिये उसने उन पर एक और विपत्ति भेजा। मध्यरात्रि के समय परमेश्वर का दूत सारे देश में से होकर निकला और हर परिवार के पहिलौठे को मार डाला, जिसमें फिरौन का पहिलौठा भी शामिल था। फिरौन ने मूसा को रात में ही बुलाया और कहा कि उन्हें तुरंत ही मिस्त्र छोड़ देना चाहिये। इसलिये लोग जल्दबाजी में निकल पड़े, और गूँथे हुए आटे को खमीर होने से पहले ही साथ ले गए। जब इस्त्राएलियों ने सोना और चांदी मांगा तो मिस्त्रियों ने खुशी-खुशी दे दिया। उन्होंने रामसेस से पैदल यात्रा शुरू किया और उनमें केवल पुरुष ही 6 लाख थे।ऐसे कई लोग हैं जो बार-बार परमेश्वर की आवाज सुनकर भी अपना हृदय कठोर कर लेते हैं। ‘‘यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मन को कठोर न करो।’’ (इब्रानियों 3:8

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एक ही दरवाजा है उसकी तरफ दो, अंदर तरफ बाहर तरफ तुम किस तरफ हो ? एक ही दरवाजा है उसकी तरफ दो, मैं अंदर तरफ हूँ तुम किस तरफ हो? 2 एक ही मार्ग है उसके रास्ते दो सच्चाई का बुराई का तुम किस मार्ग पर हो ? एक ही मार्ग है उसके रास्ते दो मैं सच्चाई के मार्ग पर हूँ तुम किस मार्ग पर हो?