Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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यीशु को सिपाहियों द्वारा क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले जाया गया। अपना ही क्रूस उठाकर वह गुलगुता गया जो खोपड़ी कहलाता है। अब क्रूस के भार के कारण वह कमजोर हो गया था, और आगे नहीं बढ़ सकता था। तब शिमौन कुरैनी16 (कुरैन आधुनिक लीबिया है जो उत्तर आफ्रिका में है) जो फसह के पर्व में शामिल होने के लिये यरूशलेम आ रहा था, उसे रोमी सिपाहियों ने यीशु के क्रूस को ढोने के लिये मजबूर किया। उन्होंने क्रूस को उस पर लाद दिया और यीशु के पीछे चलने को कहा। उसके पीछे एक बड़ी भीड़ चल रही थी और स्त्रियाँ भी थी जो उसके (यीशु) लिये विलाप कर रही थीं। जब वे गुलगुता पहुँचे तो उन्होंने उसे स्पंज को मुर मिला हुआ दाखरस में डुबो कर चुसाया। इसका उद्देश्य दर्द एहसास को कम करना था। लेकिन, उसने इसे नहीं चूसा क्योंकि वह दर्द को पूरी तरह सहना चाहता था।उन्होंने उसे वहाँ क्रूस पर चढ़ाया और उसके साथ दो कुकर्मी भी लटकाए गए थे यीशु बीच में और कुकर्मी एक-एक ओर थे। और यीशु ने कहा, ‘‘हे पिता, क्षमा करे, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं ।’’ (लूका 23:34)। पिलातुस ने क्रूस पर यह लिखा, ‘‘नासरी यीशु, यहूदियों का राजा।’’ वह तख्ता तीन भाषाओं में था, ‘‘इब्री, लैटिन और यूनानी ताकि वे उसे पढ़ सकें। फिर सिपाहियों ने उसके वस्त्र लेकर फाड़ा और प्रत्येक सिपाही ने एक-एक टुकड़ा लिया, लेकिन उसका भीतरी कपड़ा जोड़रहित था, जो उपर से नीचे तक एक ही था, ‘हम इसको न फाड़ें परंतु इस पर चिट्ठी डालें कि यह किसका रहेगा।’’ऐसा इसलिये हुआ कि वह वचन पूरा हो. ‘‘वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं और मेरे पहिनावे पर चिट्ठी डालते हैं।’’ (भजन 22:18)। जब यहूदी उसकी ठट्ठा कर रहे थे, तब लोग वहाँ खड़े देख रहे थे। ‘‘यदि तू यहूदियों का राजा है तो अपने आपको बचा’’ उन्होंने कहा। कुकर्मियों में से एक ने कहा, ‘‘क्या तू मसीह नहीं, तो अपने आपको और हमें भी बचा।’’लेकिन दूसरे कुकर्मी ने उसे डाँटकर कहा, ‘‘क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दंड पा रहा है, और हम तो न्यायानुसार दंड पा रहे है, पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।’’ तब उसने कहा, हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।’’ यीशु ने उससे कहा, ‘‘में तुझसे सच कहता हूँ कि आज ही तुम मेरे साथ स्वर्गलोग में होगा।’’ (लुका 23:43)।यीशु की माता, उसकी माता की बहन, क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलीनी यीशु के पास ही खड़ी थीं। जब यीशु ने उसकी माता को वहाँ देखा और उस चेले को भी जिससे वह प्रेम करता था (यूहन्ना) उसके पास खड़े देखा, तो उसने उसकी माता से कहा, ‘‘हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है ।’’ फिर उसने चेले से कहा, ‘‘यह तेरी माता है ।’’ और उसी समय से वह चेला उसे अपने घर ले गया। (यूहन्ना 19:25-27)। 16 यह शिमौन संभवतः वही शिमौन था जो सिकन्दर और रूफुस का पिता था (मरकुस 15:21)।रोमियों 16:13 में हम पौलुस के इन शब्दों को पढ़ते हैं, ‘‘रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है और उसकी माता को जो मेरी भी माता है, दोनों को नमस्कार।’’ इन दोनों को साथ रखते हुए हम यह जान सकते हैं कि शिमौन जिसने मसीह के क्रूस को लेकर चला था, बहुत पहले ही मसीह का अनुयायी बन गया था। यद्यपि शुरू में वह निराश था क्योंकि क्रूस उठाने के कारण अपवित्र हो गया था, और फसह में भाग नहीं ले सका था, वह खुश था कि उसे उद्धारकर्ता मिल गया था। इसी बात से उसकी पत्नी और पुत्रों का परिवर्तन हुआ था।जब दिन के 12 बजे, सारे पृथ्वी पर अंधियारा छा गया और दोपहर के बाद 3 बजे छाया रहा। करीब 3 बजे, यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, ‘‘एली एली लमा शबक्तनी?’’ जिसका अर्थ है, ‘‘ह मे रे परमेश्वर हे मेरे परमेश्वर तूने हमें क्यों छोड़ दिया?’’ (मत्ती 27:46)। जिन्होंने उसे सुना, यह कहा, ‘‘वह तो एलिय्याह को पुकारता है।’’यीशु ने कहा, ‘‘मैं प्यासा हूँ।’’ जो वचन को पूरा करता है। (यूहन्ना 19:28)। तुरंत एक व्यक्ति दौड़कर गया, स्पंज में सिरका भरा और उसे सरकंडे पर रखकर यीशु को दिया। दूसरों ने कहा, ‘‘रह जाओ, देखें एलिय्याह उसे बचाने आता है या नहीं।’’ जब उसे वह चुसाया गया तो यीशु ने कहा, ‘‘परा हुआ।’’ (यूहन्ना 19:30)। यीशु ने जोर से पुकारकर कहा, ‘‘हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में दे देता हूँ ।’’ (लूका 23:46)। जब उसने ऐसा कहा तो उसने अपना सिर झुकाया और अपना प्राण त्याग दिया।उसकी मृत्यु होते ही मंदिर का पर्दा उपर से नीचे तक दो भागों में बँट गया। पृथ्वी हिल गई, चट्टानें टूटकर गिर गईं, और कब्रें खुल गई। कई मृतक धर्मी पुरुषों और स्त्रियों के शरीर मृतकों में से जी उठे। यीशु के पुनरूत्थान के बाद वे कब्र से बाहर आ गए, पवित्र शहर यरूशलेम में गए, और कई लोगों को दिखाई दिये। वह सूबेदार जो क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिये नियुक्त किया गया था, और जो लोग वहाँ खडे़ थे, वे बहुत ही डर गए। उन्होंने कहा, ‘‘सचमुच यह मनुष्य, परमेश्वर का पुत्र था।’’वह तैयारी का दिन था। दूसरों शब्दों में वह सब्त के दिन के पहले का दिन था, वह विशेष सब्त का दिन था क्योंकि फसह के सप्ताह में पड़ा था। इसलिये यहूदी अगुवे नहीं चाहते थे कि पीड़ित लोग अगले दिन भी क्रूस पर लटके रहें। इसलिये उन्होंने पिलातुस से कहा कि उनकी टांगों को तोड़ने के द्वारा उनको मार डालने की जल्दी करे। तब सिपाही आए और उन्होंने पहले कुकर्मी की टांगे तोड़ी और फिर दूसरे की भी जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था। जब वे यीशु के पास आए तो देखा कि यीशु पहले ही मर चुका था। इसलिये उन्होंने उसकी टांगे नहीं तोड़ी। लेकिन एक सिपाही ने भाला लेकर उसकी पसली में मारा और तुरंत ही लहू और पानी बहने लगा। ये बातें वचन के ही अनुसार हुईं जो इस प्रकार है, ‘‘वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाती।’’ (भजन 34:20)।’’तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात जिसे उन्होंने बेधा है।’’ (जकर्याह 12:10)। उसका क्लेश खत्म हो चुका था। ‘‘उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं।’’ (रोमियों 6:9)। उसने पिता को प्रगट करने के द्वारा अपना कार्य पूरा किया। (यूहन्ना 1:18)। क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किये जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है। (इब्रानियों10:14)। पिता की इच्छा पूरी हो गई थी। (यूहन्ना 17:4)। शैतान हराया जा चुका था (इब्रानियों 2:14)। छुटकारा पा लिया गया था (इफिसियों 1:7)।इस प्रकार वचन को पूरा करके यीशु मर गया। वह पापी मनुष्य जाति के बदले परमेश्वर की योजना के अनुसार मरा। पाप की सजा का मृत्यु के द्वारा उसने सारे संसार के उद्धार का कार्य पूरा किया। परंतु परमेश्वर की उसके लिये एक शर्त है जो उद्धार पाना चाहता है। उसे यीशु मसीह को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता विश्वास करना चाहिये।क्या तुम वहाँ थे जब मेरा प्रभु क्रूस पर चढ़ाया गया था?क्या तुम वहाँ थे जब मेरा प्रभु क्रूस पर चढ़ाया गया था? कभी-कभी मैं थरथराता, थरथराता हूँ क्या तुम वहाँ थे जब मेरा प्रभु क्रूस पर चढ़ाया गया था?क्या तुम वहाँ थे जब उसे कब्र में रखा गया? क्या तुम वहाँ थे जब उसके बहुमूल्य शरीर को कब्र में रखा गया कभी-कभी मैं थरथराता हूँ और रोकर थरथराता हूँ,क्या तुम वहाँ थे जब उसे कब्र में रखा गया? क्या तुम वहाँ थे जब वह कब्र से जी उठा?क्या तुम वहाँ थे जब मेरा यीशु कब्र में से जी उठा?यही कभी-कभी मुझे चिल्लाने पर मजबूत करता है और मैं रोता और थरथराता हूँ, मैं थरथराता हूँ क्या तुम वहाँ थे जब वह कब्र में से जी उठा?गीत का लिखनेवाला कहता है कि क्रूस पर चढ़ाए जाने में हमारी भी भूमिका है क्योंकि यीशु हमारे ही पापों के कारण मरा। इसका मतलब यह हुआ कि पापी होने के नाते हमारा भी वहाँ प्रतिनिधित्व हुआ था। साथ ही हम विश्वासी उसकी मृत्यु, दफन और पुनरूत्थान के भागी भी हुए।
निर्बल उन्हां ने जद तैनू पाया, भारी सलीब नू चुकवाया यहूदिया ने वी तरस ना खाया, खोपड़ी दी जगह तक तेनू तुरवाया। तेरे प्यारे हत्था नू छेदेया, कीलां दे नाल सूली लटकाया दोनो पासे चोरा दे विच कार, वड्डे चोर वांगू तू निंदा नू सेया। जख्मी प्रभु जद प्यासा होया, सिरका पीने नू मजबूर होया कुरते लई वी परची पाई, वक्खी विच नेजा मारके लोहू बहाया। नरक दी सजा दा खौफ दूर होया, जिस वेले प्रभु क्रूस ते मोया, किरपा करो गुजरे एह जीवन, गांदे होये प्रभु तेरा शुकरिया। खुदा दा बेटा यीशु मसीह,जीवन मेरे लई दे दिता की? नरक दे लायक मेरी सी तकदीर,ओने स्वर्गी जीवन विच बदल दिती।