Class 5, Lesson 38: यीशु की पकड़वाया जाना

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

उपरौठी कोठरी में फसह के भोजन के बाद आधी रात को यीशु और उसके चेलों ने किद्रोन नाला पार किया और गतसमनी के बाग में गए। यीशु ने चेलों से कहा, ‘‘यहीं रूको, मैं प्रार्थना करने जाता हूँ। प्रार्थना करो कि तुम परीक्षा में न पड़ो।’’ फिर उसने पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया, और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा, और उनसे कहा, ‘‘मेरा मन बहुत ही उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ, तुम यहीं ठहरो और जागते रहो।’’ फिर वह थोड़ा आगे बढ़ा और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा। उसने यह कहकर प्रार्थना किया, ‘‘हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है। इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी जैसा मैं चाहता हूँ, वैसा नहीं पर जो तू चाहता है वही हो।’’ जब वह लौटा तो उन्हें सोते पाया। ‘शिमोन।’’ उसने पतरस से कहा, ‘‘क्या तू सो रहा है?क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका? जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। क्योंकि आत्मा तो तैयार है, पर शरीर निर्बल है।’’ और वह फिर चला गया और उन्हीं शब्दों से प्रार्थना करने लगा। वह उनके पास फिर लौटकर आया और उन्हें सोते पाया, और वे नहीं जानते थे। कि उसे क्या उत्तर दें। उसने उन्हें छोड़ा और फिर से जाकर तीसरी बार प्रार्थना करने लगा। फिर स्वर्ग से एक स्वर्गदूत आकर उसे सामर्थ देने लगा। जब वह तीसरी बार उनके पास लौटा, तो कहा, ‘‘अब सोते रहो और विश्राम करो, बस घड़ी आ पहुँची है देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। उठो चलें! देखो मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुँचा है।’’ और तुरंत ही जब यीशु ने ऐसा कहा, ‘‘बारह चेलों में से एक भीड़ के साथ वहाँ आ पहुँचा जिनके पास तलवार और लाठियाँ थीं। उन्होंने यीशु को पकड़कर बंदी बना लिया।सबसे पहले यीशु को कैफा महायाजक के ससुर हन्ना के पास ले जाया गया (यूहन्ना 18:13)।सभी प्रधान याजक बुजुर्ग और व्यवस्था के शिक्षक वहाँ मौजूद थे। वे उसके विरुद्ध प्रमाण खोज रहे थे कि वे उसे मार डालें परंतु उन्हें कोई सबूत नहीं मिला। कई झूठे गवाहों ने उसके विरुद्ध कहा, परंतु वे एक दूसरे के कथन से भिन्न थे। अंत में दो झूठे गवाह आए और बोले, हमने इसे यह कहते सुना है, ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मंदिर को ढा दूँगा और तीन दिन में दूसरा बनाऊंगा जो हाथ से बना न हो।’’ तब भी उनकी गवाही भिन्न थी। पूरे समय यीशु शांत था। तब महायाजक ने उससे कहा, ‘‘मैं तुझे जीवते परमेश्वर की शपथ देता हूँ कि यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे।’’ यह कठिन क्षण था। यीशु को ऐसा उत्तर देना पड़ा जो प्रतिज्ञा के विषय था (लैव्यवस्था 5:1, गिनती 30:2)। ‘‘तूने आप ही कहा है, यीशु ने कहा, ‘‘वरन मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान के दाहिनी ओर बैठे और आकाश के बादलों पर आते देखोगे।’’ यह सुनकर महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़े और कहा इसने परमेश्वर की निंदा की है। परमेश्वर की निंदा की सजा मृत्यु थी। इसलिये सन्हेद्रिन (महासभा) ने यीशु को मृत्यु की सजा सुनाया।तुरंत उन्होंने उस पर थूँका और गाल पर थप्पड़ मारे। उन्होंने हर संभव रीति से उसकी ठट्ठा करना शुरू किया।रोमी कनान के मुताबिक कान सभीबड़ी सजाएँ जो सन्हेदरीन सुनाती थी, उन पर रोमी गवर्नर की सहमति की आवश्यकता होती थी। इसलिये उन्होंने यीशु को पिलातुस के पास ले गए। पिलातुस ने यीशु से पूछा, ‘‘क्या तू यहूदियों का राजा है?’’ यीशु ने उत्तर दिया, ‘‘तू आप ही कह रहा है।’’ तब प्रधान याजकों ने उस पर कई दोष लगाए और पिलातुस ने उससे पूछा, ‘‘क्या तू नहीं सुनता कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं?’’ परंतु यीशु ने कोई उत्तर नहीं दिया जिससे पिलातुस को आश्चर्य हुआ। पूछताछ के दौरान पिलातुस समझ गया कि यीशु गलीली था और गलील हेरोदेस के की रियासत का था। उसने उसे हेरोदेस के पास भेज दिया क्योंकि उन दिनों वह भी यरूशलेम में था। हेरोदेस यीशु को देखकर बहुत खुश हुआ क्योंकि वह बहुत दिनों से उसको देखना चाहता था। और वह चाहता था कि यीशु कुछ चमत्कार दिखाए। पर यीशु ने उसको कुछ भी उत्तर न दिया। तब हेरोदेस और उसके सिपाहियों ने उसका अपमान किया और उसे पिलातुस के पास लौटा दिया। उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए, इसके पहले वे एक दूसरे के बैरी थे। पिलातुस ने प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर उनसे कहा, ‘‘तुम इस मनुष्य को लोगों का बहकाने वाला ठहराकर मेरे पास लाए हो, और देखो, मैंने तुम्हारे सामने उसकी जाँच की, पर जिन बातों का तुम उस पर दोष लगाते हो उन बातों के विषय मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया है। इसलिये मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ। उस समय गवर्नर की यह प्रथा थी कि वह फसह के पर्व पर हर वर्ष एक कैदी को छोड़ दे, जिसे लोग चाहते हों कि वह छोड़ा जाए। उस समय कैदियों मे से एक बरअब्बा था, जिस पर हत्या का आरोप था। भीड़ पिलातुस के पास इकट्ठा होने लगी। ‘‘क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?’’ पिलातुस ने पूछा। वह अच्छी तरह जानता था कि मुख्य याजकों ने यीशु को डाह से बंदी बनाया था। परंतु भीड़ ने बरब्बा को छोड़ने और यीशु को क्रूस पर चढ़ाने की माँग किया। अंत में पिलातुस ने भीड़ को शांत करने के लिये बरब्बा को छोड़ दिया। उसने यीशु को कोड़े लगवाने की आज्ञा दिया। फिर उसने यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिये रोमी सिपाहियों के हाथों सौंप दिया। इस प्रकार यशायाह की पुस्तक की भविष्यवाणी को पूरा करते हुए, ‘‘वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुँह न खोला, जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय और भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शांत रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला।’’(यशायाह 53:7), उसे गुलगुता ले जाया गया। ‘‘जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ।’’ (2 कुरि 5:21)।

Excercies

Song

गतसमनी बाग विच गया, भारी बोझ दे नाल दबया, बाप दी मरजी पूरी हो केया, मेरी भारी सजा नू तू आपे उठाया। महायाजक हन्ना अगे पेश होया, बेदोश ते झूठा दोष लगाया, थप्पड़ मार के मूंह ते थूकया, उन्हां ने ही प्रभु दा तमाशा बनाया। पीलातुस ने वी बेदाग पाया, फिर भी कायर ने सूली चढ़ाया, कंडिया दा ताज सिर ते सजाया, जालमा ने तैनू मालिक किना सताया। खुदा दा बेटा यीशु मसीह,जीवन मेरे लई दे दिता की? नरक दे लायक मेरी सी तकदीर,ओने स्वर्गी जीवन विच बदल दिती।