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यीशु ने कहा, ‘‘स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया। पर जब लोग सो रहे थे, तो उसका शत्रु आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। जब अंकुर निकले और बालें लगीं तो जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिये। इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उनसे कहा, ‘‘हे स्वामी, क्या तूने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उसमें कहाँ से आ गए? उसने उनसे कहा, ‘‘यह किसी शत्रु का काम है। दासों ने उससे कहा, ‘‘क्या तेरी इच्छा है कि हम जाकर उनको बटोर लें?’’ उसने कहा, ‘‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ ले। कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटने वाले से कहूँगा कि पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उनके गट्ठे बांध ले। और गेहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।’’प्रभु ने यह दृष्टांत उसके शिष्यों को समझाया। परमेश्वर का पुत्र यीशु मसीह वह किसान है। वह अच्छे बीज बोता है। खेत संसार है, और अच्छे बीज परमेश्वर के राज्य के लोगों को दर्शाते हैं। जंगली दानों के पेड़ शैतान के लोग हैं। वही है जिसने गेहूँ के बीच जंगली पौधे बोया है। कटनी संसार का अंत है, और काटने वाले स्वर्गदूत है। ठीक जैसे जंगली पौधे अलग करके जलाए जाते हैं, वैसे ही स्वर्गदूत भी परमेश्वर के राज्य में से उन सब बातों को निकाल देंगे जो दुष्टता करते हैं और उन्हें जलाने के लिये आग की भट्टी में डाल देंगे। वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। तब परमेश्वर की संताने सूर्य के समान उनके पिता के राज्य में चमकेंगी।इस दष्टांत से हमें निम्नलिखित बातें सीखना चाहिए क. गेहूँ सच्चे विश्वासियों को दर्शाता है, और जंगली पौधे नामधारी मसीहियों को दर्शाते हैं? ख. शत्रु अर्थात् शैतान हमेशा विश्वासियों के बीच कार्य करता है, विशेषकर जब वे सो जाते हैं। उसके झूठे लोग परमेश्वर की संतानों के बीच रहते हैं। वे जंगली पौधों के समान गेहूँ को दबा देते हैं। ग. परमेश्वर सर्वोच्च है, और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। वह सब का न्याय करेगा। फिर यह प्रगट हो जाएगा कि कौन सच्चा मसीही है और कौन नहीं है। राई के दाने और खमीर का दृष्टांत मत्ती 13:31-34 स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। वह सब चीजों से छोटा तो होता है पर जब बढ़ जाता है तब साग पात से बड़ा होता है, और ऐसा पेड़ हो जाता है कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं।’’ उसने एक और दृष्टांत उन्हें सुनाया, स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते-होते वह सब खमीरा हो गया।सुसमाचार जो परमेश्वर का वचन है, जीवित वचन है। चूँकि बीज में जीवन होता है, वह बढ़ता और बढ़ते जाता है। कुछ छोटे से छोटे बीज बढ़कर बड़े पेड़ बन जाते हैं। सुसमाचार थोड़े से शब्दों में कहा जा सकता है। यह राई के उस छोटे से दाने के समान है, जो जब बढ़ता है, तो संसार के हजारों लोगों तक पहुँचता है। बायबल में खमीर बुराई को दर्शाता है जिससे बचना चाहिये (निर्गमन 12:15-19; 13:7)। यीशु खमीर का उदाहरण केवल सुसमाचार के प्रसार के समझाने के लिये करता है। दोनों भी दृष्टांतों में सुसमाचार का प्रसार छोटी सी शुरूवात से समझाया गया है। छिप हुए खजाने और मोती का दृष्टांत मत्ती 13:44-46 ‘‘स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनंद के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया, और उस खेत को मोल ले लिया।’’ फिर यीशु ने कहा, ‘‘स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।’’छिपे हुए खजाने के दृष्टांत में वह मनुष्य स्वयँ यीशु मसीह है जैसे गेहूँ और जंगली पौधों के दृष्टांत में है। खजाना इस्त्राएल देश है। खेत सारे संसार को दर्शाता है। बहुमूल्य मोती के दृष्टांत में, व्यापारी हमारा प्रभु यीशु मसीह है। बहुमूल्य मोती कलीसिया को दर्शाता है। इस संसार में शैतान के सूक्ष्म कार्य के बावजूद मसीह अपनी कलीसिया बना रहा है। उसने कलीसिया को खरीदने के लिये उसके पास का सब कुछ बेच डाला, और शैतान का कोई भी प्रयास उसे असफल नहीं कर सकता। एक ही कलीसिया है, बहुमूल्य मोती। किसी भी स्थानीय कलीसिया का हर कोई सदस्य मसीह की देह का अंग नहीं होता। यह केवल पश्चाताप और मसीह में विश्वास ही है जिसके द्वारा हम उसकी कलीसिया के अंग बनते हैं। जाल का दृष्टांत मत्ती 13:47,48 ‘‘फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। और जब जाल भर गया, तो मछुवे उसको किनारे खींच लाए और बैठकर अच्छी-अच्छी तो बर्तनों में इकट्ठा की, और निकम्मी निकम्मी फेंक दी। जगत के अंत में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।‘‘युग का अंत’’ का मतलब क्लेशकाल का अंत है। यह मसीह के दोबारा आगमन का समय है। मछुआरे स्वर्गदूत हैं। अच्छी मछलियाँ धर्मी लोग हैं, अर्थात बचाए गए लोग, यहूदी और अन्य जातीय दोनों निकम्मी मछलियाँ अधर्मी लोग हैं, वे सभी जाति के लोग जो विश्वास नहीं करते। जैसे गेहूँ और जंगली पौधों के दृष्टांत में होता है, वैसे ही अलग किया जाना होगा।धर्मी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे, जबकि अधर्मी लोग आग और रोने-दाँत पीसने के स्थान में भेजे जाएंगे।
आ गया एक बीज बोने वाला। (2) 1 पहला बीज तो रास्ते के ऊपर चिड़ियों ने आकर उठा लिया। 2 दूसरा बीज तो पत्थर के ऊपर सूरज निकलकर जला दिया। 3 तीसरा बीज तो कांटों के बीच में कांटों ने उसको दबा दिया । 4 चैथा बीज तो अच्छी जमीन पर फल लाया, कुछ तीस गुणा, कुछ साठ गुणा, और सौ गुणा ।