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स्वर्ग का राज्य किस के समान है? यीशु ने इसे दस कुँवारियों के दृष्टांत द्वारा समझाया।कुँवारियाँ दूल्हे की बाट जोह रही थीं, जो किसी भी समय आनेवाला था। यदि वह रात का समय हो तो जलते दीए जरूरी हैं। अब सभी दस कुँवारियों ने दीए लीं और दूल्हे से मिलने चली गई। उनमें से पाँच मुर्ख थीं और पाँच बुद्धिमान थीं। मूर्ख कुँवारियों ने उनकी मशालों के लिये तेल नहीं ली थीं। जबकि, अन्य पांच ने कुप्पियों में अपनी मशालों के लिये तेल ली थीं। जब दूल्हे के आने में देर हो गई, तो वे सब सो गई। आधी रात को वे शोरगुल के कारण उठ गईं। ‘‘देखो, दूल्हा आ रहा है। बाहर जाकर उसका स्वागत करो। ‘‘सभी कुँवारियाँ जाग गईं और अपनी मशालें तैयार करने लगीं। पाँच मूर्ख कुँवारियों ने दूसरी पाँच से कहा, ‘‘कृपया हमारी मशालों के लिये थोड़ा तेल दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं। परंतु दूसरी कुँवारियों ने जवाब दिया, ‘‘हम तुम्हें नहीं दे सकतीं क्योंकि ये न हमारे लिये और न तुम्हारे लिये भरपूर होगा। दूकान जाकर अपने लिये मोल ले लो।’’ जब वे अपने लिये तेल खरीदने जा रही थी, दूल्हा आ गया और जो तैयार थी विवाह भोज के लिये चली गई, और दरवाजा बंद कर दिया गया। बाद में मूर्ख कुँवारियाँ लौटीं, बाहर खड़ी रहीं, और पुकारती रहीं, ‘‘प्रभु हमारे लिये दरवाजा खोल’’ परंतु उसने उत्तर दिया, मैं तुमसे कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’’ ‘‘इसलिये,’’ यीशु ने कहा, ‘‘जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को जब मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।’’ यीशु उसके सुननेवालों को चेतावनी दे रहा है कि वे मसीह के आगमन के लिये तैयार रहें।तेल पवित्र आत्मा को दिखाता है। मसीह दूल्हा है। केवल वे जिन्होंने विश्वास से पवित्र आत्मा पाया है बुलावे के समय तैयार रहेंगे। जब मसीह आएगा तब तैयार होने का समय नहीं रहेगा।‘‘बुद्धिमान’’ वे हैं जो दूल्हे के आगमन के लिये तैयार रहेंगे। ‘‘बुद्धिमान’’ और ‘‘मूर्ख’’ दोनों ही बाट जोहते हैं और सो जाते हैं। दोनों समूहों में मुख्य अंतर यह है, बुद्धिमानों ने न केवल उनकी मशालों में तेल ली थीं, परंतु कुप्पियों में अतिरिक्त तेल भी साथ रख ली थी, जबकि मूर्खों ने अतिरिक्त तेल लाई ही नहीं थीं।प्रभु की बाट जोहने का मतलब केवल खड़े रहकर देखते रहना नहीं है। विश्वासियों को सतर्क रहना है और प्रभु की सेवा में क्रियाशील रहना है। 2. राजा के पुत्र का विवाह लूका 14:16-24 एक मनुष्य ने एक बड़ा भोज आयोजित किया और कई मेहमानों को बुलाया। भोज के समय उसने अपने दासों को भेजा कि वे मेहमानों को बुला लाएँ। ‘‘आइये क्योंकि सब कुछ तैयार हो चुका है।’’ परंतु उन्होंने ने आने के बहाने बताना शुरू कर दिया। एक ने कहा, ‘‘मैंने खेत खरीदा है और अवश्य है कि उसे देखूँ। इसलिये मुझे माफ कर दे।’’ दूसरे ने कहा, ‘‘मैंने पाँच जोड़े बैल मोल लिये है, और उन्हें परखने जाता हूँ। कृपया मुझे माफ कर दें।’’तीसरे ने कहा, ‘‘मैंने विवाह किया है, इसलिये मैं नही आ सकता।’’ तब दास लौट गए और लोगों ने जो कहा था, स्वामी को कह सुनाया। स्वामी नाराज हो गया और कहा, ‘‘नगर के बाजारों और गलियों में तुरंत जाकर कंगालों, टुण्डों, लंगडों, और अंधों को यहाँ ले आओ।’’ जब दास ने ऐसा ही कर लिया तब कहा, ‘‘फिर भी जगह है।’’ ‘‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जा और लोगों को विवश करके ले आ ताकि मेरा घर भर जाए कि उन आमंत्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा।’’इस दृष्टांत का संदेश आज सभी खोए हुए पापियों के लिये है। परमेश्वर अब भी कह रहा है, ‘‘सब कुछ तैयार है, आओ।’’ हमारे उद्धार के लिये अब कुछ करना बाकी नहीं है। यीशु मसीह ने, जब वह क्रूस पर मरा और मुर्दों में से जी उठा, हमारे छुटकारे का महान कार्य पूरा किया। भोज तैयार है, आमंत्रण मुफ्त है, और सभी आमंत्रित हैं।’’ 3. दस मुहरें लूका 19:11-27। एक धनी मनुष्य था जो राजपद12 पाने के लिये दूर देश में गया। उसने अपने दस दासों को बुलाया और उन्हें दस मुहरें चांदी दिया यह कहकर कि, ‘‘मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।’’ लेकिन उसके लोग उससे बैर रखते थे, नहीं चाहते थे कि वह उनका राजा बने।’’जब वह लौटा तो राजा ने उन दासों को बुलाया जिन्हें , उसने धन दिया था। वह जानना चाहता था कि उन्होंने उस धन का क्या किया और कितना लाभ कमाया। पहले ने आकर कहा,‘‘प्रभु तेरी मुहरों से दस और कमाई हैं।’’ ‘‘अच्छा किया।’’ राजा ने आश्चर्य से कहा, ‘‘तू विश्वासयोग्य दास है। तू बहुत ही थोडे़ में विश्वासयोग्य निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।’’ दूसरे ने आकर उससे कहा, ‘‘प्रभु तेरी मुहरों से पाँच और कमाई है।’’ ‘‘अच्छा किया।’’ राजा ने कहा, ‘‘तू भी पाँच नगरों पर हाकिम हो।’’ लेकिन तीसरे दास ने उसे दी गई मुहर वैसे ही वापस ले आया और कहा, ‘‘प्रभु यह तेरी मुहर है जिसे मैंने अंगोछे में बांध रखा था। क्योंकि मैं तुझ से डरता था कि तू कठोर मनुष्य है। जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तूने नहीं बोया, उसे काटता है।’’ हे दुष्ट दास, राजा चिल्ला पड़ा, मैं तेरे ही मुँह से तुझे दोषी ठहराता हूँ। तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूँ, जो मैंने नहीं रखा उसे लेता और जो मैंने नही बोया उसे काटता हूँ, तो तूने मेरे रूपये सर्राफो के पास क्यों नहीं रख दिये कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता।’’ तब जो लोग निकट खड़े थे उसने उनसे कहा, ‘‘वह मुहर उससे ले लो और जिसके पास दस मुहरें है, उसे दे दो।’’ परंतु प्रभु, 12. यह दृष्टांत एक सच्ची ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। एक राजा था जो अपना राज्य प्राप्त करने के लिये दूर स्थान में गया और उसके अधीन रहनेवाले कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते थे। जब हेरोद महान (जिसके समय में यीशु का जन्म हुआ था) मर गया, तो उसने राज्य को हेरोदेस अंतिपास,हेरोदेस फिलिप, और अखिलयुस के बीच बांट गया था। लेकिन रोमियों को (जो सर्वोच्च अधिकार शक्ति था) उसे इसकी पुष्टि करना था। यहूदिया अरखियालुस का भाग था। वह सम्राट अगस्तुस से इसकी पुष्टि करवाने के लिये रोम गया। लेकिन यहूदियों ने पचास लोगों के एक प्रतिनिधी मंडल को अगस्तुस को यह बताने भेजा कि वे इसे राजा नहीं स्वीकार करते। सम्राट ने जो किया वह यह था कि उसने इसको राजा का शीर्षक दिये बिना पुष्टि किया। इसलिये सुनने वालों के द्वारा इस दृष्टांत को आसानी से समझ लिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उसके पास तो पहले ही पर्याप्त है।’’ ‘‘हाँ, राजा ने कहा, ‘‘परंतु जिन्होंने अच्छा व्यापार किया जो उन्हें दिया गया था, उन्हें और भी दिया जाएगा। परंतु उनसे जो विश्वासयोग्य नहीं है, यदि उनके पास थोड़ा भी हो, तो उनसे वह भी ले लिया जाएगा। परंतु मेरे उन बैरियों को जो नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूँ, उनको यहाँ लाकर मेरे सामने घात करो।’’ इस सिद्धांत का नियम यह है कि कोई भी व्यक्ति चुपचाप खड़े रहकर उन्नति नहीं कर सकता। हम सबने कहावत सुना है, ‘‘वापरो या खो दो।’’ और यह सच है। जब हम सीखने और उन्नति के एक द्वार से जाते हैं, तो हमें और द्वार मिलते हैं और उन्नति के बड़े मौके मिलते हैं इसलिये परमेश्वर ने हमें जो कुछ गुण, स्त्रोत और रूचि दिया है, उसे हम दबा कर न रखे, परंतु उसे उसकी महिमा के लिये उपयोग में लाएँ। नागरिकों ने धनी मनुष्य को अधिकार मिलने से रोकने की कोशिश किया, और उन्हें दंड मिला। स्वामी ने उन्हें उसका प्रभुता के अधीन होने का भरपूर समय दिया जब वह बाहर गया था परंतु उन्होंने अपना मौका खो दिया। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, कार्य करें। हमारा प्रभु राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। जो उसके प्रभुत्व को स्वीकार नहीं करते वे नाश हो जाएँगे।
करके माफ मुझे अपना पुत्र बनाया है, प्यार से यीशु ने गले मझको लगाया है, शुद्ध किया मुझको देखो अपने लहू से, अच्छा चरवाहा यीशु मेरा रक्षक है।