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शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा हुई लेकिन उसने उस पर पूरी विजय हासिल किया। फिर उसकी सार्वजनिक सेवकाई की शुरूवात में उसने गलील के किनारे से कुछ लोगों को उसके पीछे चलने को बुलाया। पतरस जो शिमौन कहलाता था और उसका भाई अंद्रियास समुद्र में जाल डाल रहे थे। तब यीशु ने उनसे कहा, गहरे में ले चल, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।’’ शमौन ने उसको उत्तर दिया, ‘‘हे स्वामी हमने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा, तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा।’’ जब उन्होंने ऐसा किया, तो उन्होंने बहुत मछलियाँ पाया और उनका जाल करीब-करीब फटने पर था। उन्होंने दूसरी नाव के उनके साथियों को मदद के लिये पुकारा। उनकी दोनों नाव इतनी भर गई कि वे डूबने पर थे। तब शिमौन पतरस यीशु के पैरों पर गिर पड़ा और कहा, ‘‘हे प्रभु मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ।’’ यीशु ने उससे कहा, ‘‘अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।’’ फिर उन्होंने अपना जाल छोड़ा और यीशु के पीछे हो लिये। वहाँ से यीशु आगे गया और याकूब और यूहन्ना को देखा जो जबदी के पुत्र थे। वे उनके पिता जबदी के साथ जहाज में जाल सुधार रहे थे। फिर उन्होंने भी उनका जहाज और पिता को छोड़ा और यीशु के पीछे हो लिये।अगले दिन जब यीशु गलील जा रहा था, तो उसकी मुलाकात बैतसैदा के फिलिप्पुस से हुई और उसने उससे कहा, ‘‘मेरे पीछे हो ले।’’ फिलिप नतनएल से मिला और उससे कहा, जिस का वर्णन मूसा ने व्यवस्था में और भविष्यद्वक्ताओं ने किया है, वह हम को मिल गया, वह यूसुफ का पुत्र यीशु नासरी है।’’ नतनएल ने कहा, ‘‘क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है?’’ जब नतनएल यीशु के पास गया तो उसने कहा, ‘‘देखो यह सचमुच इस्त्राएली है, इसमें कपट नहीं।’’ नतनएल ने यीशु से पूछा, ‘‘तू मुझे कैसे जानता है?’’ यीशु ने उत्तर दिया, ‘‘इससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया, जब तू अंजीर के पेड़ के तले था तब मैनें तुझे देखा था।’’ नतनएल ने कहा, ‘‘हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्त्राएल का महाराजा है।’’ यीशु ने उससे पूछा, क्या वह उस पर इसलिये विश्वास करता है क्योंकि उसने कहा कि उसे उसने अंजीर के पेड़ के तले देखा था? तब यीशु ने कहा, ‘‘तू इससे भी बड़े-बड़े काम देखेगा।’’ ‘‘मैं तुमसे सच सच कहता हूँ कि तुम स्वर्ग को खुला हुआ और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र के उपर उतरते और उपर जाते देखोगे।’’ (ऐसा कहा जाता है कि नतनएल ही वह चेला था जो बर्तुलमई कहलाता था)। यीशु मत्ती को बुलाता है। (मत्ती 9:9, मरकुस 2:14, लूका 5:27-29)।यीशु समुद्र के किनारे एक बड़ी भीड़ को उपदेश देकर लौट रहा था। उसने हलफई के पुत्र लेवी को देखा जो चुंगी लेने वाली चैकी पर बैठा था और उससे कहा, ‘‘मेरे पीछे हो ले।’’वह उठा, सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिया। फिर लेवी ने अपने घर में बड़ा भोज आयोजित किया। बड़ी संख्या में लोग जिनमें महसूल लेनेवाले भी थे, यीशु के साथ भोजन करने बैठे। जब फरीसियों और लोगों ने यह देखा तो उन्होंने उसके चेलों से कहा, ‘‘तुम्हारा गुरू महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता हैं?’’ जब यीशु ने यह सुना, तब उसने उनसे कहा, ‘‘वैद्य भले चंगो के लिये नहीं परंतु बीमारों के लिये आवश्यक है। मैं धर्मियों को नहीं परंतु पापियों को बुलाने आया हूँ।’’ इस लेवी ने अपना नाम मत्ती रखा और यह वही है जिसने पहला सुसमाचार लिखा।जिन लोगों ने इस सेवकाई के लिये बुलाया गया था वे अलग-अलग प्रकार के पेशों में थे जिन्हें उन्होंने यीशु के पीछे चलने के लिये छोड़ दिया। यह हमारे लिये एक उदाहरण है कि उसकी बुलाहट के लिये वे अपना कार्य भी छोड़ने के लिये तैयार थे। उन दिनों में यीशु ने प्रत्येक को व्यक्तिगत रीति से बुलाया और हर एक ने यीशु के पीछे चलने के लिये सब कुछ छोड़ दिया। आज वह हमें उसके वचन के द्वारा बुलाता है जब हम उसे पढ़ते और उस पर मनन करते हैं। कभी कभी व्यक्ति प्रभु की वाणी को प्रभु के दास के द्वारा उसके वचन की शिक्षा से सुनते हैं।अक्सर शुरू में हम नहीं जानते कि परमेश्वर हमें किस उद्देश्य से बुला रहा है। मूसा और यिर्मयाह के समान कई लोग हैं जो परमेश्वर की बुलाहट को सुनकर अयोग्य समझते हैं और आज्ञापालन नहीं करना चाहते और कुछ लोग बुलाहट के अनुरूप नहीं चलना चाहते। हम केवल प्रार्थना और परमेश्वर की प्रतिज्ञा को पाकर ही अपनी बुलाहट के विषय के संदेह का उत्तर पा सकते हैं और निश्चय कर सकते हैं। यदि हम आज्ञाकारी हैं तो वह हमें उसके मार्ग में चलाएगा। यह केवल उसका अनुग्रह ही है जिसके द्वारा वह हमें उसकी सेवा के लिये बुलाता है। (2 तीमु 1:9-10)।मछुआरे, मनुष्य के मछुआरे बन गए। मछुआरे होने के कारण उन्हें अक्सर अपने जाल सुधारना पड़ता था। सुसमाचार के जाल को सुधारने की जरूरत नहीं होती। परंतु हमें यह सीखने की जरूरत होती है कि उस जाल का उपयोग कैसे करें। हमें हर दिन परमेश्वर के वचन का अध्ययन करना चाहिये और सीखना चाहिये कि दूसरों को कैसे जीतें। लेवी ने भोज का आयोजन किया और उसके मित्रों को बुलाया कि वे प्रभु से मिले। पतरस ने पेन्तिकुस्त के दिन सुसमाचार का जाल फेंका और 3000 लोगों ने विश्वास किया। (प्रेरितों के काम 2:41)।परमेश्वर की प्रत्येक संतान को मसीह के लिये दूसरों को जीतने के लिये तत्पर रहना चाहिये। लेकिन कुछ लोग ही पूरे समय की सेवकाई के लिये बुलाए जाते हैं। परमेश्वर हममें से प्रत्येक की सहायता करे कि हम स्वामी की सेवकाई में आज्ञाकारी और विश्वासयोग्य बनें। (2 पतरस 1:10)।
पाप और दुःख में चारों तरफ मरते है इन्सान, दया करो भारत पर वह हुआ परेशान। प्यारो हिम्मत बँधो आगे बढ़ो क्रूस का लो निशान जीतेंगे हम यारों हारेगा शैतान।