Class 5, Lesson 21: यीशु का बपतिस्मा और परीक्षा

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

यीशु गलील से यरदन आया कि यूहन्ना से बप्तिस्मा ले। लेकिन यूहन्ना ने उसे यह कहकर रोक दिया, ‘‘मुझे तो तेरे हाथ से बप्तिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?’’ यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, ‘‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।’’ यूहन्ना मान गया और उसे बप्तिस्मा दिया। बप्तिस्मा के बाद जब यीशु पानी से बाहर आया, स्वर्ग खुल गया और परमेश्वर का आत्मा कबूतर की नाई उस पर उतरा। फिर स्वर्ग से एक वाणी सुनाई दी, ‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।’’ यीशु का बप्तिस्मा चारों सुसमाचार में लिखा है। (मरकुस 1:9-11, लूका 3:21-22, यूहन्ना 1:29-34)। यीशु मसीह उसकी सार्वजनिक सेवकाई के लिये परमेश्वर की पवित्र आत्मा से परिपूर्ण किया गया। उसने स्वयँ को परमेश्वर की सेवा के लिये समर्पित किया कि उसकी इच्छा को पूरी करे। हमारे प्रभु ने उसके बप्तिस्मा के द्वारा हमें यह दिखा दिया कि वह हमारा छुड़ानेवाला है। यद्यपि वह पाप रहित था, उसने हमारे पाप अपने उपर लिया और हमारे बदले खुद को बलिदान होने के लिये दे दिया। इसी उद्देश्य के लिये यह जरूरी था कि वह हममें से एक के समान हो और यूहन्ना द्वारा बप्तिस्मा ले। यीश की परिाक्षएँ मत्ती4:1-11 पढें। (मरकुस 1:12-14; लूका 4:1-13 भी पढ़ें) हमें अंतिम आदम की परीक्षाओं का जो मसीह है, आदम से जो पहला मनुष्य था, तुलना करना चाहिये। मनुष्य का पतन महिमा के उच्च स्तर से हुआ था जहाँ उसे पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों पर प्रभुता करने के लिये रखा गया था। वह बगीचे के पेड़ों से चाहे उतना फल खा सकता था, परंतु उसे ‘‘भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाने के लिये मना किया गया था। आदम स्त्री के कारण परीक्षा में पड़ा और उसका पतन हुआ। उसने सारी आशीषें खो दिया। पाप को छोड़कर यीशु सब बातों में हमारे जैसा बना। वह पिता का आज्ञाकारी था और सभी परीक्षाओं में से विजयी होकर निकला। शैतान का उद्देश्य यीशु को परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध ले जाना था। पहली परीक्षा कि वह पत्थर को रोटी बनाये उसकी शारिरीक भूख मिटाने के विषय थी। दूसरी परीक्षा चमत्कार द्वारा उसके प्राण को बचाने की थी। तीसरी परीक्षा इस संसार के राजकुमार को परमेश्वर के स्थान में रखने की थी। परमेश्वर के विश्वासयोग्य दास होने के नाते, उसने बुद्धिमानी से परमेश्वर के वचन का हवाला दिया और शैतान को हराया। दूसरी परीक्षा में, शैतान ने परमेश्वर के ही वचन का उपयोग किया, परंतु वह संदर्भ से हटकर था। परमेश्वर का वचन केवल उनके लिये प्रभावशाली है जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं। परमेश्वर का वचन हमें शैतान की परीक्षाओं का जीवित वचन के साथ सामना करने के लिये प्रोत्साहित करता है जो दोधारी तलवार है। हमारा प्रभु तीन विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में विजय हुआ, शरीर की अभिलाषा, आखों की अभिलाषा और जीवन का घमंड। हम भी इस संसार की किसी भी परीक्षा पर विजयी हो सकते हैं यदि हम भी वही तरीका अपनाएँ जो प्रभु ने अपनाया था। ‘‘धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का मुकुट पाएगा। जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों से की है।’’ (याकूब 1ः12)।

Excercies

Song

नव जनम पाकर, ईश्वर की संतान, मैं बन गया, हाँ कितना आनन्द, महान अनुग्रह! इज्जत और जीवन, इसलिये मिला, क्योंकि प्रभु, वह जिन्दा है। पिता का पैगाम यीशु है लाया, माफी शांति और दिव्य प्रेम का, बेदाग जीवन और पापबली द्वारा, कर्ज जग का माफ किया, वह है मृत्युंजय।