Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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याकूब को उसकी दो पत्नियों और दो दासियों से बारह पुत्र और एक पुत्री थे। वे - रूबेन,शिमौन, लेवी, यहूदा, दान, नप्ताली, गाद, आशेर, इस्साकार, जबूलून, यूसुफ और बिन्यामीन, और पुत्री दीना थे। इस्त्राएल यूसुफ से प्रेम करता था, जो उसके बुढ़ापे का पुत्र था और उसने उसे एक रंगबिरंगा अंगरखा दिया। इस बात ने उसके भाइयों में उसके प्रति इष्र्या उत्पन्न किया। इसके अलावा जब उन्होंने उन दो स्वप्नों के विषय सुना जो यूसुफ ने देखा था, वे उससे और भी घृणा करने लगे। एक दिन याकूब ने उसके प्रिय पुत्र यूसुफ को उसके भाइयों का हालचाल देखने भेजा जो शेकेम में भेड़-बकरियाँ चरा रहे थे और यह भी जानने भेजा कि उसके पशुओं की क्या स्थिति थी। उसी के अनुसार यूसुफ हेब्रोन की घाटी से अपनी यात्रा शुरू किया और लंबी यात्रा करते हुए उनसे शेकेम में नहीं परंतु दोतान में जाकर मिला। जब वह उनके पास पहुँचा तो उन्होंने उसका अंगरखा उतार लिया और उसे सूखे गड़हे में डाल दिया। बाद में उन्होंने यूसुफ को गड़हे से निकाला और उसे इश्माएलियों के एक समूह को चांदी के बीस टुकड़ों में बेच दिया।वे यूसुफ को मिस्त्र ले गए। वहाँ उसे फिरौन के सुरक्षाकर्मियों के प्रधान के पास बेच दिया गया। परमेश्वर ने यूसुफ के कारण उस मिस्त्री परिवार को आशीषित किया। धर्मी व्यक्ति होने के कारण यूसुफ पोतीकर की पत्नी के दुष्ट फंदे में नहीं फँसा। इस बात से क्रोधित होकर उसने उसे बंदीगृह में डलवा दी, परंतु परमेश्वर उसके साथ था। यूसुफ के बंदीगृह के दिनों में फिरौन ने एक स्वप्न देखा। उस स्वप्न का अर्थ केवल यूसुफ ही बता सकता था। फिरौन बहुत खुश हुआ और उसने यूसुफ को सारे मिस्त्र पर प्रधान ठहराया। अच्छी फसल के प्रथम सात वर्ष में यूसुफ ने काफी भोजन सामग्रियाँ जमा करके शहरों में सुरक्षित रखवा दिया। बहुतायात के इन सात वर्षों के बाद पूरे संसार में भयानक अकाल के सात वर्षों की शुरूवात हुई। इसलिये सभी देश के लोग अनाज खरीदने के लिये मिस्त्र आए। उनमें यूसुफ के अपने भाई भी थे। जब वे अनाज लेने उसके पास फिर से आए तब यूसुफ ने स्वयँ को प्रगट किया और अपने पिता और उसके परिवार को मिस्त्र लाने के लिये रथ भेजा। जब इस्त्राएल को पता चला कि उसका प्रिय पुत्र जीवित था, तो उसने उसके पूरे परिवार के साथ - कुल 70 सदस्य के साथ आनंद मनाया और वह मिस्त्र में जाकर गोशेन में बस गया। 17 वर्षों के पश्चात याकूब बीमार हो गया। जब उसके सब बच्चे उसके बिछौने के आसपास जमा थे,उसने उन्हें आशीष दिया और उनके साथ भविष्य में क्या होगा उसके विषय उन्हें बताया। यहूदा के विषय उसने कहा कि, ‘‘जब तक शीलो3 न आए तब तक न तो यहूदा से राजदंड छूटेगा, न उसके वंशज से व्यवस्था देनेवाला अलग होगा।’’यीशु मसीह का जन्म यहूदा के गोत्र में और दाऊद के वंश में हुआ। ठीक जैसे यूसुफ को उसके भाइयों द्वारा तिरस्कृत किया गया था, यीशु मसीह भी उसके लोगों के द्वारा तिरस्कृत किया गया था। जैसे यूसुफ अकाल में उसके लोगों को छुड़ाने वाला बना था, उसी प्रकार हमारा प्रभु यीशु मसीह भी पाप और उसकी सजा से हमारा बचानेवाला उद्धारकर्ता है। जो लोग यूसुफ के पास खाली हाथ गए थे, वे अनाज के बोरे लेकर लौटे थे। उसी प्रकार वे सब जो प्रभु के पास जाते हैं, स्वर्गीय आशीषों को लेकर लौटेंगे। क्या आज आप उसके पास जाएँगे? वह जल्द ही राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु बनकर लौटेगा।
एक छोटा दिया प्रभु का दूर चमकने दो 3 हर जगह हर समय रोशनी दो। 1 जा के उसको फूंक दूं क्या, नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो। 2 टोकरी के नीचे रख दूं क्या नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो।