Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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गिनती की पुस्तक के कुछ अंतिम अध्याय जंगल में इस्त्राएलियों की यात्रा के अंतिम भाग का वर्णन करते हैं। मरियम जो लाल समुद्र के किनारे मधुर आवाज में गाती थी, प्रतिज्ञा की भूमि में प्रवेश नहीं कर पाई। उसके अन्य लोगों के समान उसकी शुरूवात अच्छी थी। लेकिन समय के बीतने के साथ-साथ वह उनमें प्रमुख थी जो मूसा के विरुद्ध बोलते थे। वह कोढ़ से ग्रस्त हो गई थी और उसे सात दिन के लिये छावनी से बाहर भेज दिया गया था। स्तुति के गीतों के साथ मसीही जीवन की शुरूवात करना अच्छी बात है, परंतु हमारा जीवन स्तुति के साथ ही खत्म होना चाहिये।कादेश में लोगों के पीने के लिये पानी नहीं था।इसलिये उन्होंने मूसा और हारून का विरोध किया। मूसा और हारून ने परमेश्वर से प्रार्थना किया और परमेश्वर ने मूसा से कहा, ‘‘तू और हारून छड़ी लेकर सारी प्रजा को इकट्ठे करो। और लोगों के देखते हुए चट्टान से कहना कि वह अपना जल बहाए। तुम्हें लोगों और उनके पशुओं के लिये भरपूर पानी मिल जाएगा,’’मूसा ने प्रभु के सामने से छड़ी उठाया, और उसने क्रोध में आकर चट्टान पर दो बार छड़ी को मारा, और उसमें से पानी निकल पड़ा। इस तरह सभी लोगों ने और उनके भेड़-बकरियों ने भरपूर पानी पिया। परंतु मूसा ने इस अनुचित हरकत के कारण उसे परमेश्वर की ओर से फटकार मिली। परमेश्वर ने कहा कि मूसा और हारून प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। यह स्थान जल का मरिबा कहलाया, क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ इस्त्राएलियों ने परमेश्वर से बलवा किया था, और जहाँ उसने उनके बीच अपनी पवित्रता का प्रदर्शन किया था (भजन 106:33)। यद्यपि मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना किया कि वह उसे यरदन पार जाने की अनुमति दे, परमेश्वर ने उससे कहा, ‘‘तू पार होकर वहाँ जाने न पाएगा।’’ उसने कहा कि यहोशू लोगों को यरदन पार ले जाएगा। परमेश्वर उसकी संतानों को सजा दिये बिना नहीं छोड़ता यदि वे उसकी आज्ञा का उल्लंघन करते हैं। परमेश्वर की संताने कादेश से यात्रा करके होर पर्वत पर पहुँचे। वहाँ परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह हारून और उसके पुत्र एलियाजर को साथ ले और पर्वत पर जाए और हारून के वस्त्र एलियाजर पर रखे। उसने यह भी कहा कि हारून वहाँ मर जाएगा। जल्द ही हारून होर पर्वत पर मर गया। इस्त्राएल की संतानों ने उसके लिये तीस दिनों तक विलाप किया।महायाजक के रूप में हारून मसीह का प्रकार था जो मलिकिसिदक की रीति पर हमारा महायाजक है। (इब्रानियों 7:7)।फिर मूसा नेबो पर्वत पर पिसगा की शिखर पर गया। वहाँ से परमेश्वर ने उसे कनान की विशाल भूमि दिखाया और कहा, ‘‘जिस देश के विषय मैंने अब्राहम, इसहाक और याकूब से शपथ खाकर कहा था कि मैं इसे तेरे वंश को दूँगा वह यही है। मैंने इसको तुझे साक्षात्दिखला दिया है परंतु तू पार होकर वहाँ जाने न पाएगा।’’ परमेश्वर का दास मूसा मोआब के देश में मर गया। परमेश्वर ने उसे बेतपोर में दफना दिया, परंतु आज तक कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहाँ है। जब मूसा मरा तो उसकी आयु 120 वर्ष थी, परंतु आँखें कमजोर नहीं हुई थी, और न उसका शरीर कमजोर हुआ था। इस्त्राएल की संतानों ने मोआब में 30 दिन तक विलाप किया। नून के पुत्र यहोशू, जिस पर मूसा ने अपना हाथ रखकर उसे आशीष दिया था बुद्धिमानी की आत्मा से परिपूर्ण था। उसने इस्त्राएल की संतानों की आगे की यात्रा में अगुवाई किया। व्यवस्थाविवरण की पुस्तक इन शब्दों के साथ खत्म होती है, ‘‘और मूसा के तुल्य इस्त्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा।’’ मूसा लोगों को प्रतिज्ञा की भूमि में नहीं ले जा सका। यह उद्धार पाने के लिये व्यवस्था की कमी को दर्शाता है। यहोशू जिसने इस्त्राएल की संतानों को प्रतिज्ञा की भूमि में पहुँचाया, मसीह का रूप है। अब विश्वासी प्रतिज्ञा की भूमि में हैं। हम मसीह में सभी स्वर्गीय स्थानों में सभी स्वर्गीय आशीषों से आशीषित हैं। यीशु वही करने आया जो व्यवस्था न कर सकी। पुराने नियम के विश्वासी प्रतिज्ञा को पूरा होते नहीं देख पाए, परंतु उन्होंने उसे दूर से देखा, परमेश्वर की स्तुति किया और विश्वासी अवस्था में मर गए। (इब्रानियों 11:13)।
बंजर सी भूमि में हम रहेंगे छाव में तेरी, मौत आये जिस दिन हमें, मिल जायेगें तुममें प्रभु। अनुग्रह का राजा यीशु अनन्त कृपा का सोता यीशु, तेरा वचन है बढ़ती मेरी तेरी कृपा ही काफी मुझे।