Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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एलीम में इस्त्राएली शांति के समय का आनंद ले रहे थे। परंतु उन्हें आगे बढ़ना था। जब उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखा, तो कठिनाईयाँ आने लगी। जब वे रपीदीम पहुँचे, अमालेकी आए और उनसे युद्ध किया।अमालेकी एसाव की संतानें थीं इसलिये वे इस्त्राएलियों से संबंधित थे। तब मूसा ने यहोशू से कहा, ‘‘हमारे लिये कई पुरुषों को चुनकर छाँट ले, और बाहर जाकर अमालेकियों से लढ़; और मैं कल परमेश्वर की लाठी हाथ में लिये हुए पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूँगा।’’ इस प्रकार यहोशू ने जाकर अमालेकियों से युद्ध किया। मूसा, हारून और हूर पहाड़ की चोटी पर गए। मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना करने के लिये अपने हाथ ऊपर उठाया। जब तक मूसा अपना हाथ उपर उठाए रहता था, इस्त्राएली जीतते थे, जबकि अमालेकी उस समय जीतते थे जब मूसा अपना हाथ नीचे करता था। जब मूसा के हाथ थक गए तो उन्होंने एक पत्थर लिया और और उसके नीचे रख दिया जिस पर वह बैठ गया। हारून और हूर ने उसके हाथों के उठाए रखा - एक ओर से एक ने और दूसरी ओर से दूसरे ने उठाए रखा ताकि सूर्यास्त तक उसका हाथ स्थिर रहे। इस प्रकार यहोशू ने अमालेकियों पर विजय पाया। मूसा ने एक वेदी बनाया और उसे ‘‘यहोवा निस्सी’’ नाम दिया।अमालेक विश्वासी के सांसारिक स्वभाव को बताता है। शरीर हमारा शत्रु है। शरीर के विरुद्ध हमारी लड़ाई में हमें प्रार्थना द्वारा परमेश्वर से सामर्थ प्राप्त करना चाहिये। हूर और हारून जो मूसा के हाथों को आधार दिये हुए थे, विश्वासियों द्वारा की जाने वाली मध्यस्थी के महत्व को दिखाती है। यहोशू के समान जिसने तलवार का उपयोग अमालेकियों के विरुद्ध किया,उसी प्रकार परमेश्वर की संतानों को दोधारी तलवार का जो परमेश्वर का वचन है, उपयोग शरीर पर विजय पाने के लिये करना चाहिये। (इब्रानियों 4:12; इफिसियों 6:17)।अमोरियों से यह युद्ध इससे पहले कि इस्त्राएली कनान पर कब्जा करते, उस देश पर कनानी और अमोरियों का कब्जा था। अमोरी लोग यरदन के पूर्व में पहाड़ी देश में और कनानी लोग पश्चिम में रहते थे। यह प्रांत अर्नोन नदी से यब्बोक नदी के उत्तर की ओर तक फैला था जो अमोरियों के हाथ में था। सीहोन अमोरी राजा था और हेशोन मुख्य शहर था। इस्त्राएलियों ने सीहोन से कहा, ‘‘हम मुड़कर किसी खेत या दाख की बारी में न जाएँगे, न किसी कुएँ का पानी पीएँगे, और जब तक तेरे देश से बाहर न हो जाएँ तब तक सड़क ही से चले जाएंगे।’’ परंतु सीहोन ने अपने सब लोगों को इकट्ठा किया और इस्त्राएलियों के विरुद्ध लड़ा जो उस पर विजयी हो गये और उनके नगरों पर कब्जा कर लिये और वही बस गये।बाशान क राजा ओग के साथ युद्ध यह बाशान का राजा ओग था जो इस्त्राएलियों से लड़ने आगे आया। इस्त्राएल ने ओग, उसके पुत्रों और उसके लोगों को मार डाला (गिनती 21)।मोआबियों के विरुद्ध युद्ध इस्त्राएल की संतानें आगे बढ़ते गए और मोआब के मैदानों में पहुँचे जहाँ उन्होंने अपने तंबू लगाए। मोआबी और मिद्यानी बहुत डर गये। मोआबी राजा बालाक ने बिलाम को बुलवाया कि वह इस्त्राएलियों को शाप दे। राजा के संदेश वाहकों ने बिलाम के लिये इनाम साथ ले गए परंतु उसने उनसे कहा, ‘‘आज रात कहीं रूक जाओ, मैं तुमसे फिर बात करूंगा, जैसा परमेश्वर मुझसे कहेगा।’’ परमेश्वर ने बिलाम से कहा, ‘‘तू उनके साथ मत जाना, तू इस्त्राएलियों को शाप न देना, क्योंकि वे आशीषित किये जा चुके है।’’ बिलाम ने मोआब के सरदारों को उनके देश वापस भेज दिया। परंतु बालाक ने बिलाम के पास और भी सरदार भेजा, उन्हें भी बिलाम ने रातभर रूकने को कहा। उस रात परमेश्वर ने बिलाम से फिर से बात किया। परमेश्वर ने कहा, ‘‘तू उठकर उनके संग जा, परंतु जो बात मैं तुझसे कहूँ उसी के अनुसार करना।’’ इस प्रकार बिलाम सुबह उठा, उसकी गदही तैयार किया और मोआब के सरदारों के साथ चला गया। गदही ने रास्ते में परमेश्वर के दूत को हाथ में तलवार लिये खड़े देखा, और गदही ने अपना रास्ता बदल दिया और खेत में चली गई। कारण न जानते हुए बिलाम ने गदही को मारा। फिर गदही ने प्रभु के दूत को एक सकरे स्थान में देखी जहाँ से वह आगे नहीं बढ़ सकती थी।और वह जमीन पर गिर पड़ी। फिर परमेश्वर ने गदही का मुँह खोला। वह बोली, ‘‘मैंने तेरा क्या किया है कि तूने मुझे तीन बार मारा है? तब परमेश्वर ने बिलाम की आखों को खोल दिया और उसने प्रभु के दूत को तलवार निकाले मार्ग में खड़े देखा। उसने तुरंत ही उसे दंडवत किया। उसने कहा कि उसने पाप किया और अब वह वापस चला जाएगा। तब प्रभु के दूत ने बिलाम से कहा, ‘‘इन पुरुषों के संग तू चला जा परंतु केवल वही बात कहना जो मैं तुझसे कहूँगा।’’ तब वह बालाक के सरदारों के साथ गया। उसने वेदियाँ बनाया और बलि चढ़ाया।फिर इस्त्राएलियों की ओर देखते हुए उसने यह गीत गाया, ‘‘जिन्हें परमेश्वर ने शाप नहीं दिया, उन्हें मैं क्यों शाप दूँ? और वह ऐसी जाति है जो अकेली बसी रहेगी, और अन्य जातियों से अलग गिनी जाएगी।’’ इस बात पर बालाक बिलाम से नाराज हो गया। परंतु बिलाम ने कहा कि यदि वह उसके घर को सोने-चांदी से भरकर दे, वह परमेश्वर की आज्ञा से बाहर नहीं जा सकता। यद्यपि बिलाम इस्त्राएल को शाप न दे सका, उसने बालाक को सिखाया कि वह इस्त्राएलियों से किस तरह परमेश्वर के विरुद्ध पाप करवा सकता है। परिणाम स्वरूप बिलाम मारा गया। (गिनती अध्याय 22:25; गिनती 31:8-16)। नए नियम में बिलाम के विषय 2 पतरस 2:15-16, यहूदा 11 और प्रकाशितवाक्य 2:14 में लिखा है। यहाँ हम ‘‘बिलाम के तरीके’’, ‘‘बिलाम की गलती’’, और ‘‘बिलाम की शिक्षा’’ को देखते हैं। विश्वासियों को इन बुराइयों से दूर रहना चाहिये।इस्त्राएलियों को हार और जीत के मिश्रित अनुभव मिले। जब भी वे परमेश्वर के वचन से हटे, उन्हें हार देखना पड़ा, और जब भी उन्होंने परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया, उन्होंने विजयघोष किया। विश्वासियों को परमेश्वर के हथियार पहिनकर शत्रु से लड़ना चाहिये। (इफिसियों 6:11)।
हथियार बाँध ले, ऐ जवान तू, हर जंग में तुझको जीतना है। 1. सत्य से कमर अपनी तू बाँध ले ऐ मसीही जवान, जिस से सामना शैतान का तू करके रह सके खड़ा। 2. विश्वास की ढाल को तू लेकर कदम से कदम मिलाकर चल, जलते हुए तीरों को बुझाकर विजयी होकर आगे बड़ा चल। 3.धार्मिकता की झिलम धारण कर, नम्रता से बढ़ता हि चल, परमेश्वर ने हम को धर्मी ठहराया, तो दोष कौन लगा पाएगा ? 4 शरमाये बिन फैलाए सुसमाचार, तैयारी के जूते धारण कर, आनन्द का मुकुट तु पाकर हर्षित होगा फिर जरूर। 5 आत्मा की तलवार को तु ले ले, परमेश्वर का जीवित वचन जो संसार की फिक्रों के बीच में भी, आत्मा की इच्छा जान पाए। 6 उद्धार का टोप तु जरूर ले, जो यीशु की बलि से मिला अंधकार की दुष्ट सेनाओं से, है मल्लयुद्ध विश्वास का। 7 रूहानी है यह जंग हमारी, हिम्मत न हार ऐ जवान जागते हुए प्रार्थना करो क्योंकि, विजयी प्रभु यीशु है कप्तान।