Class 5, Lesson 14: मिलापवाला तम्बू (आगे)

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कलीसिया का मिलापवाला तंबू दो भागों में बँटा था - पहला भाग जो बड़ा था पवित्र स्थान कहलाता था और दूसरा स्थान अति पवित्र कहलाता था। पवित्र मेज, सोने की दीवट, और धूप की वेदी पवित्र स्थान में थे। मेज पर बारह अखमीरी रोटियाँ थी जो मसीह का चित्रण है, जो जीवित रोटी और परमेश्वर का वचन है जो हमारा आत्मिक भोजन है। दीवट चोखे सोने का बना था। उसका एक पाया था और एक डण्डी थी जिसमें से सात भुजाएँ निकली थीं और प्रत्येक के उपर तेल का दीया था। तंबू में प्रकाश का यही स्त्रोत था। यह पवित्र आत्मा का चित्रण है, जो मसीह की महिमा करता है। (यूहन्ना 16:14)। यह मसीह को दिखाता है जो संसार की ज्योति है (यूहन्ना 8:12)। शुद्ध सोना भी मसीह की ईश्वरत्व को बताता है। धूप की वेदी बबूल की लकड़ी से बनी थी जो उसकी मानवता और ईश्वरत्व को दर्शाता है।धूप उसके व्यक्तित्व की सुगंध को बताता है।यह हमारी आराधना को भी बताता है जो सुगंधित खुशबू के साथ उपर उठाता है।हारून के पुत्र यहाँ रोज सेवा करते थे। उस स्थान में याजकों के अलावा कोई और नहीं जा सकता था। इस्त्राएल की संताने केवल आंगन तक ही जाती थी। उन्हें आंगन में पीतल की वेदी के पास बलिदान लाने की अनुमति थी। परंतु उन्हें पवित्र स्थान के धूप की वेदी तक जाने की अनुमति नहीं थी। आज के विश्वासी परमेश्वर के याजक हैं, जो पवित्र स्थान तक आ सकते हैं। इस्त्राएल में, याजकपन केवल लेवी के गोत्र को ही दिया जाता है। यह काम केवल उन्ही लोगों को दिया जाता था जो उस परिवार मे पैदा होते थे। लेवियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस आशीष का आनंद लिया। यहाँ तक कि नये नियम में भी याजकीय सेवा उन्हीं लोगों को दी जाती है जो परमेश्वर के परिवार में नया जन्म पाते हैं। इसलिये विश्वासियों को पतरस चुना हुआ वंश, राज-पदधारी याजकों का समाज और पवित्र लोग कहता है (1 पतरस 2:9)। तंबू के द्वार के पाँच खंबे थे जो सोने से मढ़े थे और पीतल की घुंडियों से बंधे थे। द्वार पर नीले, बैंजनी, लाल रंग के कपड़े की बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ पर्दा था। यह द्वार आंगन के द्वार से ऊँचाई में दुगना और उसकी चैड़ाई आंगन के द्वार की आधी थी। एक द्वार चैड़ा और एक द्वार सकरा था। इस्त्राएली लोग चैडे़ द्वार से प्रवेश करते थे, परंतु सकरे द्वार से जो पवित्र स्थान का था, केवल याजकों को ही प्रवेश करने की अनुमति थी। याजकों का कार्य वेदी पर धूप जलाना, दीये जलाना, रोटी खाना और उनकी जगह नई रोटियाँ रखना था। दाऊद कहता है, ‘‘एक वर मैंने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूँगा, कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊँ।’’ (भजन 27:4)। हमारे शरीर परमेश्वर के मंदिर हैं हम इसे मिट्टी के बर्तन या संसारिक घर कह सकते हैं। हम परमेश्वर की संतानों को यह एक बड़ी आशा और विश्वास है कि यह संसारिक शरीर नष्ट हो जाएगा, तो हम एक आत्मिक शरीर पाएँगे जो अविनाशी होगा। (2 कुरि 5:1)

Excercies

Song

For I'm building a people of power, For I'm making a people of praise That will move through, this land by My Spirit And will glorify My precious Name. Build your church Lord, Make us strong Lord, Join our hearts Lord Through Your Son, Make us one Lord, In Your body, in the kingdom of Your Son.