Class 5, Lesson 11: चट्टान जिस पर मारा

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Lesson Text

इस्त्राएल की संताने सीन नामक जंगल से निकली और रपीदीम में अपना डेरा डाली। जब उन्हें पानी नहीं मिला तो उन्होंने यह कहकर मूसा से झगड़ा किया, ‘‘हमें पीने का पानी दे।’’उन्होंने उससे यह भी पूछा कि ‘‘तू हमें बाल-बच्चों और पशुओं समेत प्यासा मार डालने के लिये मिस्त्र से क्यों ले आया है?’’ तब मूसा ने परमेश्वर की दोहाई दिया और परमेश्वर ने उसे यह कहकर उत्तर दिया, ‘‘इस्त्राएल के वृद्ध लोगों में से कुछ को अपने साथ ले ले; और जिस लाठी से तूने नील नदी को मारा था, उसे अपने हाथ में लेकर लोगों के आगे बढ़ चल। देख, मैं तेरे आगे चलकर होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर खड़ा रहूँगा, और तू उस चट्टान पर मारना, तब उसमें से पानी निकलेगा, जिससे ये लोग पीएँ। मूसा ने वैसा ही किया जैसा कहा गया था। चट्टान से भरपूर पानी निकल आया और इस्त्राएलियों की छावनी के पास से बहने लगा। मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा क्योंकि इस्त्राएलियों ने वहाँ वादविवाद किया था और परमेश्वर की परीक्षा किया था। मसीह वह चट्टान है जिस पर मारा गया था। उसमें से निकलने वाला पानी जीवन के जल को दिखाता है। यदि चट्टान को मारा न जाता तो पानी नहीं निकला होता। हमारे प्रभु को सजा दी गई, मारा गया, कुचला गया, यातनाएँ दी गईं और उसे पापबलि बनाया गया। परंतु वह विजयी रहा, उसने मृत्यु पर विजय पाया और मृतकों में से जी उठा। अब जीवन का जल हमारे लिये उपलब्ध है।उनकी जंगल की यात्रा के अंत के करीब, ऐसी ही एक घटना घटी जब वे कादेश में थे। इस स्थान में भी उन्हें पीने का पानी नहीं मिला था। लोगों ने इकट्ठे होकर मूसा और हारून के विरोध में कहा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु के लोगों को तूने इस जंगल में क्यों ले आया कि हम और हमारे भेड़-बकरियाँ मर जाएँ? इस स्थान में अंजीर, अंगूर या अनार नहीं है, न ही पीने के लिये पानी है। मूसा और हारून मिलापवाले तंबू के द्वार पर जाकर मुँह के बल गिर पड़े। परमेश्वर की महिमा उन पर प्रगट हुई। परमेश्वर ने मूसा से कहा, ‘‘अपनी छड़ी लो, और तू और तेरा भाई हारून सब लोगों को इकट्ठा करो। उनके देखते हुए उस चट्टान से बात करो और वह अपना पानी बहा देगी।’’ तब मूसा ने लोगों को इकट्ठा किया और कहा, ‘‘हे दंगा करने वालो, सुनो, क्या हमको इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?’’ फिर उसने अपना हाथ उठाया और दो बार चट्टान पर मारा। प्रचुर मात्रा में पानी निकल पड़ा। लोगों ने और उनके पशुओं ने पानी पीया और संतुष्ट हुए। परंतु चूँकि मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन किया था, और जिस रीति से चट्टान पर मारा था, बजाए इसके कि वह परमेश्वर की आज्ञानुसार चट्टान से बात करता, परमेश्वर ने मूसा और हारून से कहा, ‘‘तुमने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मंडली को उस देश में पहुँचाने न पाओगे जिसे मैंने उन्हें दिया है।’’ यहाँ यह बात स्पष्ट हो जाती है कि परमेश्वर विश्वासियों के पाप को नजरअंदाज नहीं कर सकता, चाहे वे हमारी दृष्टि में कितने भी छोटे पाप क्यों न दिखते हों।पानी पवित्र आत्मा को भी दर्शाता है। पर्व के अंतिम और महान दिन में, यीशु खड़ा हुआ और उँची आवाज में बोला, ‘‘यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए।’’वचन कहता है कि ‘‘जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र आत्मा में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी।’’ इसके द्वारा अभिप्राय पवित्र आत्मा था जिसे वे उस पर विश्वास करने के द्वारा पाने वाले थे। (यूहन्ना 7:37-38)। पौलुस कहता है ‘‘सबने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे जो उनके साथ-साथ चलती थी।’’ (1 कुरि 10:4)। ‘‘क्योंकि तुम सब उस विश्वास के द्वारा जो मसीह यीशु पर है परमेश्वर की संतान हो।’’ (गलातियों 3:26)। कादेश में परमेश्वर ने मूसा से कहा, ‘‘चट्टान से बात कर। वह अपना जल दे देगी।’’ परंतू मूसा ने क्रोध में आकर चट्टान पर मारा, एक बार नहीं दो बार। जिस चट्टान पर एक बार मारा गया था उसे दोबारा मारने की जरूरत नहीं थी। हमारा प्रभु हमारे लिये एक बार दुख उठाया, उसके बाद पवित्र आत्मा इस संसार में आया। प्रभु की प्रतिज्ञा के अनुसार पवित्र आत्मा पेन्तिकुस्त के दिन इस पृथ्वी पर उतरा। ‘‘आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है कि हम परमेश्वर की संतान हैं।’’ (रोमियों 8:16)। अब वह विश्वासियों का पोषण करता और उन्हें सामर्थी बनाता है। अब पवित्र आत्मा आने के लिये फिर से प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है। पवित्र आत्मा हमारे साथ हमेशा वैसे ही रहता है जैसे ‘‘सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।’’ (यशायाह 58:11)। ‘‘युगों की चट्टान मेरे लिये तोड़ी गई, मुझे अपने भीतर छिपन दे, पानी और लहू जो तेरी नदी से बह निकला, पापों को दोहरा शुद्ध करे, और मुझे उसके दोष और शक्ति से शुद्ध कर।’’

Excercies

Song

वचन का मन्ना खिलाया हमें, पानी चट्टान से पिलाया हमें, आत्मा को तृप्त है किया, प्रभुजी, दिल में तू शांति लाया । कोः- धन्य धन्य, धन्य प्रभु को जिसने मुक्ति दी हमको, शरण में अपनी लाया, प्रभु जी, दिन रात हैं संभाला।