Class 4, Lesson 7: तीन विद्रोही

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क्या आप उस कक्षा की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जब वहाँ टीचर नहीं होती? जब टीचर हाजिर होती है तो विद्यार्थी शांत क्यों रहते हैं? क्योंकि वे टीचर से डरते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हर कोई उसका भय माने। हम परमेश्वर का भय न मानने के परिणामों का अध्ययन करेंगे। परमेश्वर ने अद्भुत रीति से मिस्त्र से इस्त्राएल का छुटकारा किया। उसके बाद, यद्यपि परमेश्वर ने उसकी रक्षा किया और उनकी जरूरतों को पूरा किया, वे बार-बार उसके विरुद्ध कुड़कुड़ाते रहे। पिछले पाठ में हमने सीखा कि किस तरह उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध बलवा दिया, भेदियों की गलत सलाह को माना। उन्होंने पानी के लिये कुड़कुड़ाया, फिर माँस के लिये और फिर किसी और चीज के लिये। गिनती 16वें अध्याय में हम उन्हें अगुवेपन के लिये कुड़कुड़ाते और बलवा करते पाते हैं। वह व्यक्ति जिसने बलवा की अगुवाई किया वह लेवी के गोत्र का कोरह था। उसके साथ दातान, अबीराम और रूबेन के गोत्र में से एक और इस्त्राएल के अन्य अगुवों में से 250 लोग जुड़ गये। उनका विद्रोह मूसा और हारून के विरुद्ध था। उनकी शिकायत यह थी कि वे स्वयँ को सबसे उपर समझते थे। अक्सर इर्ष्या ही झगड़ों का कारण होती है। यहाँ मुख्य कारण इर्ष्या ही थी। कोरह, हारून और मूसा कहात के परिवार से ही थे। कोरह को खुश होना चाहिये था कि उसके अपने परिवार के लोग ही उच्च पदों पर थे, परंतु खुश होने की बजाय वह इर्ष्यालू था। कोरह, यिसहार का पुत्र था जो कहात का दूसरा पुत्र था, परंतु एलिजफन कहात के चौथे बेटे का बेटा कहात परिवार का मुखिया बनाया गया। इस्त्राएल में अक्सर परिवार का सबसे बड़ा पुत्र ही याजक बनाया जाता था। इसलिये शायद कोरह एलीजफन से इर्ष्या करता था। कोरह और रूबेनवंशी पड़ोसी थे। परमेश्वर ने बताया था कि प्रत्येक गोत्र को कहाँ रहना चाहिये। इसी के अनुसार रूबेनवंशियों और कहातवंशियों की छावनियाँ मिलापवाले तंबू के दक्षिण भाग में थे। इसी बात ने उन्हें षडयंत्र रचने में सरलता प्रदान किया। हम अपने पड़ोसियों को भले या बुरे के लिये ही प्रभावित कर सकते हैं जब मूसा ने सुना कि विद्रोही क्या कह रहे हैं तो वह मुँह के बल गिर पड़ा। मूसा जानता था कि उनका विरोध उनके विषय नहीं परंतु परमेश्वर के विरुद्ध था। मूसा ने खड़े होकर उनसे कहा, ‘‘कल परमेश्वर दिखा देगा कि उसका कौन है।’’ फिर उसने कहा, ‘‘हे कोरह तुम अपनी सारी मंडली समेत यह करो, अर्थात अपना अपना धूपदान ठीक करो और कल उसमें आग रखकर यहोवा के सामने धूप देना तब जिसको यहोवा चुन ले वही पवित्र ठरहेगा।’’ क्या आप कभी परीक्षा करके देखते हैं कि क्या भला और क्या बुरा है? यह इसी प्रकार की परीक्षा थी। आग में धूप जलाना याजक का काम था। वे याजकीय पद के लिये ही कुड़कुड़ा रहे थे। परीक्षा याजकीय कार्य की ही ली गई थी उन्हें अपने पापों के विषय पश्चाताप करने के लिये काफी समय था। यदि वे पश्चाताप करते तो परमेश्वर उन्हें माफ कर दिया होता। ‘‘यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है।’’ (भजन 34:18)। उन्होंने न केवल पश्चाताप करने से इन्कार किया परंतु उन्होंने छावनी में मूसा और हारून के विरुद्ध प्रचार भी किया। वे इस्त्राएलियों के तंबुओं में गए और लोगों को मिलापवाले तंबु के प्रवेशद्वार पर इकट्ठा भी किये। तब परमेश्वर का क्रोध उनके विरुद्ध भड़क उठा। उसने मूसा और हारून से कहा, ‘‘उस मंडली के बीच में से अलग हो जाओ कि मैं उन्हें पलभर में भस्म कर डालूँ।’’ (पद 21)। फिर से मूसा और हारून ने गिरकर प्रार्थना किया कि परमेश्वर उन लोगों पर दया करे। देखिये मूसा कितना प्रार्थनामय व्यक्ति था। जब भी कोई मुसीबत आती थी वह परमेश्वर के पास जाता था। आइये, हम भी मूसा का अनुकरण करें। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना का उत्तर दिया। उसने पूरी मंडली को नाश नहीं किया। केवल कोरह और उसके अनुयायी नाश किये गये। उनके नीचे की जमीन फट गई, और पृथ्वी ने अपना मुह खोली और उन्हें निगल गई। परमेश्वर की ओर से आग गिरी और 250 लोग जो धूप जला रहे थे भस्म हो गये। परमेश्वर और उसके दासों के विरुद्ध बोलना कितनी भयानक बात है! परंतु कोरह के पुत्र बचा लिये गये। वे प्रत्यक्ष रूप से उनके पिता के विरुद्ध थे जब वह बलवा कर रहा था। लेवी होने के कारण उन्हें बचपन से ही परमेश्वर का वचन सिखाया गया था और वे उनके पिता की तुलना में ज्यादा दृढ़ थे। चाहे कोई व्यक्ति जिससे आप प्रेम करते हैं पापी मार्ग से चले तो आपको उसके गलत कार्यों में सहमति नहीं जताना चाहिये और न ही उसके पाप में सहभागी होना चाहिये परमेश्वर ने कोरह के पुत्रों को आशीषित किया। उनके वंशजों में अच्छे भजनकार थे। शमुएल भविष्यवक्ता भी इसी परिवार से था (1 इतिहास 6:22-28)। जब कि परमेश्वर पाप से घृणा करता है, वह पापी से प्रेम करता है, और वह उन सब को माफ करता है जो अपने पापों का अंगीकार करते और उन्हें छोड़ देते हैं (नीतिवचन 28:13)। नोट : कोरह का अर्थ है गंजापन। यद्यपि हम पद 1 में पेलेत के पुत्र के विषय पढ़ते हैं जिसने कोरह के साथ मिलकर विद्रोह किया था, परंतु आगे उसके विषय कुछ नहीं पढ़ते। शायद उसने पश्चाताप किया था

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राही मसीही बढ़ते ही रहना, अब तेरी मंजिल आने लगी है, दुनिया में फंसकर हार न जाना, आवाज़ मंज़िल से आने लगी है, दुनिया से हारो, तो हारा न समझो, सचमुच में तेरी यही जीत है। राही मसीही बढ़ते ही रहना, अब तेरी मंजिल आने लगी है, दुनिया में फंसकर हार न जाना, आवाज़ मंज़िल से आने लगी है, दुनिया से हारो, तो हारा न समझो, सचमुच में तेरी यही जीत है।