Class 4, Lesson 4: याकूब की घर वापसी

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Lesson Text

सन 1772 में एक धुंधली रात को एक निराश और हताश व्यक्ति लंदन स्थित उसके घर से निकला। कोहरे में से मार्ग बनाते हुए वह सड़क के कोने पर पहुँचा और किराए की घोड़ा गाड़ी लेकर थेम्स नदी की ओर चला। उसने स्वयँ को और उसकी निराशा को नदी में डुबा देने का निर्णय लिया था! घोड़ा गाड़ी चालक सावधानी से अपना मार्ग ढूंढ रहा था। परंतु घने कोहरे के कारण वह अपनी दिशा से भटक गया। जहाँ उसे 15 मील चले जाना था, वह डेढ़ घंटे में भी उतनी दूर नहीं पहुँचा था। चालक और यह व्यक्ति एक दूसरे को नहीं देख सकते थे। यह व्यक्ति उतरा और किराया अदा किया और चलने लगा। जब वह कोहरे में से होकर जा रहा था,उसके हाथ किसी परिचित वस्तु से छू गए। उसे एहसास हुआ कि वह उसी के घर के सामने है! उसके घर में अंदर जाने के बाद उसने घुटने पर बैठकर प्रभु से माफी मांगा। वे थिलियम कॉऊपर, अंग्रेज कवि थे। वे वही हैं जिन्होंने यह गीत लिखा ‘‘गॉड मूव्स इन ए मिस्टीरियस वे।’’ हमारे मार्ग परमेश्वर के मार्ग नहीं हैं। हमें परमेश्वर के मार्ग मालूम होने चाहिये। आइये हम याकूब की कहानी से सीखें कि उसने परमेश्वर के मार्ग को किस तरह गलत समझा। इसहाक के दो बेटे थे। एसाव और याकूब। इससे पहले कि उनका जन्म होता, याकूब, जो छोटा था, परमेश्वर से विशेष आशीषों की प्रतिज्ञा प्राप्त कर चुका था। यह उसने उसकी माँ से जाना था। इसलिये वह उन्हें यथार्थ करना चाहता था। लेकिन परमेश्वर के समय के लिये रूकने की बजाय, याकूब ने उन आशीषों को अपनी चतुराई से पाने की कोशिश किया। उस समय का फायदा उठाते हुए जब एसाव बहुत भूखा था,उसने उसके जन्मसिद्ध अधिकार के बदले खाना दिया। उसने उसके पिता को धोखा दिया और उसकी आशीषें ले लिया। ये परमेश्वर के मार्ग नहीं थे। भलाई करने के लिये भी परमेश्वर हमें गलत तरीकों का इस्तेमाल करने नहीं देगा। याकूब को धोखा देने की सजा उसके जीवनकाल में ही दी गई थी। एसाव से डरकर याकूब बेर्शेबा से पद्दनराम भाग गया। जब वह उसके माता-पिता से दूर था, तभी परमेश्वर के नज़दीक आया। जवान लोग जब पढ़ाई या काम के लिये जब घर से दूर होते हैं, कभी-कभी उनके माता-पिता के परमेश्वर और उनके विश्वास को भूल जाते हैं। याकूब का अनुभव भिन्न था। उसने बेथेल में एक दर्शन देखा और उसका हृदय बदल दिया। उसने प्रतिज्ञा किया कि परमेश्वर उसे जो कुछ देगा वह उसका दशमांश उसे देगा। वहाँ से वह उसके मामा लाबान के घर पद्दनराम चला गया। वहाँ उसने लिया और राहेल, लाबान की बेटियों से शादी कर लिया। परमेश्वर ने याकूब को आशीष दिया और उसे बच्चे और संपत्ति दोनों ही दिया। जो लोग परमेश्वर को देते हैं उन्हें हमेशा प्रतिफल मिलेगा (देखें मलाकी 3:10) जब लाबान और उसके पुत्रों ने देखा कि परमेश्वर ने याकूब को आशीषित किया था, वे उससे इर्ष्या करने लगे। याकूब ने अपनी शिकायतों को परमेश्वर तक पहुँचाया। जब दूसरे आपको नुकसान पहुँचाते हैं, तो उनके साथ वैसा ही व्यवहार न करे। आप केवल उन्हें परमेश्वर से बताएँ। वही आपके बदले उसका न्याय करेगा। बेथेल में परमेश्वर ने याकूब से प्रतिज्ञा किया था कि वह उसकी रक्षा करेगा और उसके देश में वापस लाएगा (उत्पत्ति 28:15)। अब परमेश्वर याकूब को आज्ञा देता है : ‘‘अपने पितरों के देश और अपनी जन्मभूमी को लौट जा’’ (उत्पत्ति 31:3)। जब याकूब को परमेश्वर की इच्छा मालूम हुई तो वह उसके परिवार के देश को लौटने के लिये तैयार हो गया। उस समय याकूब के ग्यारह बेटे और एक बेटी थी। उसके पत्नियों और बच्चों को ऊँटों के द्वारा जाना था। उसके पशु आगे भेज दिये गए थे। सात दिनों की यात्रा के बाद वे गिलाद देश पहुँचे और वहाँ डेरा किया। फिर लाबान उसके कुछ लोगों के साथ वहाँ आया! वे उसे कह रहे थे कि वह याकूब को रोक ले, परमेश्वर ने लाबान के चेतावनी दिया कि वह याकूब को कोई हानि न पहुँचाए। देखो, परमेश्वर कितना दयालू है! लाबान याकूब के साथ वाचा बांध कर और उसे और उसके परिवार को आशीष देकर लौट गया अगला व्यक्ति जिसका सामना याकूब को करना था वह एसाव था। याकूब को उम्मीद थी कि पुराने धोखे के कारण एसाव उससे नाराज था (उत्पत्ति 32:7)। उसने आँसुओं के साथ परमेश्वर से प्रार्थना किया (उत्पत्ति 32:9-12)। याकूब ने अपनी पत्नियों को, बच्चों तथा पशुओं आदि को यब्बोक नदी के पार भेज दिया और खुद अकेला रह गया। यब्बोक एक छोटी नदी है जो गिलाद पर्वत से आती है और पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है जो यरदन को जोड़ती है उस रात जब याकूब अकेला था, तब परमेश्वर का एक स्वर्गदूत उसके पास आया और सुबह होने तक उससे कुश्ती लढ़ता रहा। परमेश्वर के दूत ने उसे तब आशीष दिया जब याकूब ने उससे यह कहा, ‘‘जब तक तू मुझे आशीष न दे दे, मैं तुझे जाने नहीं दूंगा!’’ उसने याकूब का नाम बदलकर इस्राएल रख दिया। याकूब नाम का अर्थ है ‘‘पद से हटानेवाला’’ और इस्त्राएल का मतलब ‘‘परमेश्वर का राजकुमार’’ है। उस दिन याकूब परमेश्वर का राजकुमार बन गया। परमेश्वर उन लोगों के जीवन को बदल देगा जो दीनता से प्रार्थना करते हैं और उन्हें बहुतायात की आशीष देगा। याकूब की प्रार्थना के उत्तर में परमेश्वर ने एसाव के हृदय को नम्र बना दिया ताकि वह उसके भाई को प्रेम और दया के साथ ग्रहण करें। यहाँ तक कि वह यात्रा में याकूब के साथ हो लेने को तैयार हो गया, परंतु याकूब ने एसाव के प्रस्ताव का इन्कार कर दिया और अकेला ही चला। एसाव सेईर वापस चला गया। जब याकूब शेकेम में था तो एक समस्या हो गई। उसके बेटों ने एक शहर को नष्ट कर दिया और याकूब बड़े दुख और भय में आ गया। तब परमेश्वर ने उसे 30 मील दूर बेथेल जाकर वहाँ एक वेदी बनाने को कहा। आपको याद होगा जब याकूब ने घर छोड़ा था तब उसने बेथेल में एक स्वप्न देखा था। उस समय याकूब ने वहाँ एक पत्थर रखा था जो एक खंबा था और प्रतिज्ञा किया था कि यदि परमेश्वर उसकी रक्षा करे और उसे सुरक्षित वापस ले आए तो वह वहाँ परमेश्वर के लिये भवन बनाएगा। याकूब को पद्दनराम से कनान लौटकर दस साल बीत गए थे, लेकिन अभी तक उसने अपनी प्रतिज्ञा को पूरी नहीं किया था। जब परमेश्वर ने याकूब को बेथेल जाने को कहा तो वह उसे प्रतिज्ञा पूरी करने और शेकेम की घटनाओं को भूलने का मौका दे रहा था याकूब के परिवार और उसके दासों के पास मूर्तियाँ थी। और अन्यजातीय ईश्वरों के कान की बालियाँ और मूर्तियाँ थीं। यह जानकर कि पवित्र परमेश्वर, ऐसी चीजों से अप्रसन्न था, याकूब ने उन्हें इकट्ठा करके गाड़ डाला। अपने घर को शुद्ध करने के बाद उसने बेथेल में एक वेदी बनाया और परमेश्वर की आराधना किया। तब परमेश्वर फिर से याकूब के सामने प्रगट हुआ और उन प्रतिज्ञाओं की उसे याद दिलाया जो उसने अब्राहम और इसहाक से किया था। याकूब ने जैसा पहले किया था, उसने फिर से पत्थर का एक खंबा वह खड़ा किया जहाँ परमेश्वर ने उससे बात किया था और उस स्थान का नाम परमेश्वर का घर बेथेल रखा (उत्पत्ति 35:15)। याकूब एप्राता की ओर बढ़ा जहाँ उसकी पत्नी राहेल बिन्यामीन को जन्म देने के बाद मर गई। एक बार उसने विद्रोह करके बोली थी, ‘‘मुझे संतान दे नहीं तो मर जाऊंगी!’’ (उत्पत्ति 30:1)। अब उसके पास बच्चे हैं परंतु उनका सुख पाने से पहले ही वह मर गई। हमें उन शब्दों के विषय सतर्क रहना चाहिये जो हम बोलते हैं नोट : बेथेल (परमेश्वर का घर) सबसे पहले लूज कहलाता था। बेथेल, बेर्शेबा से करीब 48 मील दूर है। वह स्थान जो राहेल की कब्र है, वचन के अनुसार रेकॉर्ड से सही है जो बेतलहेम से एक मील दूर है। यह किसी समय पत्थरों के पिरामिड द्वारा ढंकी हुई थी, परंतु वर्तमान गुम्बज मुसलमानों द्वारा बनाया गया है।

Excercies

Song

परम पिता कि हम स्तुति गायें, वही है जो बचाता हमें, सारे पापों को करता क्षमा, सारे रोगों को करता चंगा। 4 घोंसले को बार-बार तोड़कर उसने, चाहा कि सीखें हम उड़ना उससे, परों पर उठाया उकाब की तरह, ताकि हमको चोट न लगे।