Class 4, Lesson 38: पिन्तेकुस्त

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अपने पुनरूत्थान के बाद प्रभु यीशु मसीह चालीस दिनों तक उसके चेलों को दिखाई दिया। फिर उनके देखते देखते ही वह स्वर्ग पर उठा लिया गया। उसकी मृत्यु के पहले उसने कहा था कि वह पवित्र आत्मा भेजेगा, जो उनकी पैरवी करेगा (यूहन्ना 14:26; 16:13)। यह बात उसने उसके स्वर्गारोहण से पहले फिर कहा था। उसने उन्हें परमेश्वर की प्रतिज्ञा किये हुए पवित्र आत्मा के उतरने तक यरूशलेम में ही ठहरे रहने को कहा। प्रभु के करीब 120 चेले हर रोज प्रार्थना के लिये एक साथ इकट्ठे होते थे (प्रेरितों के काम 1:15)। पेन्तिकुस्त के दिन वे घर में एक साथ थे। पेन्तिकुस्त का दिन, फसह के बाद सब्त के दिन से 50वां दिन है (लैव्यवस्था 23:15-16)। यह सप्ताहों का पर्व भी कहा जाता था (व्यवस्थाविवरण 16:10)। लैव्यवस्था 23:16 के अनुसार यह जाना जा सकता है कि पेन्तिकुस्त का दिन रविवार का था। जब उस दिन वे इकट्ठे होकर ठहरे हुए थे, स्वर्ग से कड़कड़ाहट का शब्द हुआ। उन्होंने जो देखा वे आग की जीभ के समान था जो उनमें से प्रत्येक पर बैठ गईं। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए और अन्य भाषा बोलने लगे। नीकुदेमुस के पाठ में हमने देखा कि हवा पवित्र आत्मा का प्रतीक है। आग, परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है (निर्गमन 3:2; लैव्यवस्था 9:24; 2 इतिहास 7:3-4)उन्होंने वे भाषाएं बोली जो संसार के अन्य भागों से आए हुए लोग बोलते थे। अपने स्वर्गारोहण से पहले प्रभु ने उन्हें पृथ्वी की छोर तक जाने और प्रचार करने को कहा था। अन्य भाषा का वरदान देकर परमेश्वर उन्हें बता रहा था कि सुसमाचार सब के लिये है और उसे सभी राष्ट्रों में प्रचार किया जाना चाहिये। उस समय यरूशलेम में दूर देशों से यहूदी लोग पर्व मनाने आए थे। एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई। जो कुछ हो रहा था उसे देखकर वे चकित थे। कुछ अशिक्षित गलील लोग अन्य भाषाओं में प्रचार कर रहे थे। जब लोगों ने सुना तो वे डर गये कि वे अपनी ही भाषा को सुन रहे थे, जो परमेश्वर का अद्भुत कार्य था। लेकिन कुछ लोगों ने उनकी ठट्ठा किया। उन्होंने कहा कि शिष्य मदिरा पीए हुए थे। फिर पतरस खड़ा होकर लोगों से बोलना शुरू कियाकुछ दिनों पहले पतरस एक अस्थिर और डरपोक शिष्य था, वह जिसने बगीचे में प्रभु का इन्कार किया था। परंतु पुनरूत्थित प्रभु के साथ संगति और पवित्र आत्मा से भरे जाने के अनुभव ने उसमें अद्भुत परिवर्तन ला दिया था। उसने वह सामर्थ पा लिया था जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने किया था, और उद्धार का संदेश प्रचार करने के लिये बुद्धि और हिम्मत भी पा लिया था। यीशु मसीह का सुसमाचार पिछले 20 शताब्दियों से सुनाया जा रहा है, परंतु सबसे पहला सुसमाचार प्रचार पतरस ने किया था। इस बात की घोषणा में तीन बातें निहित हैं। 1) पतरस की पहली बात यह थी कि चेले नशे में नहीं थे। उसने कहा यह बात स्पष्ट है क्योंकि वह सुबह के नौ बजे का समय था (‘‘शराब पीने वाले रात में पीते हैं।’’ 1 थिस्स 5:7)। फिर पतरस ने स्पष्ट किया कि जो वे देख और सुन रहे थे वह योएल नबी की पवित्र आत्मा उंडेले जाने की भविष्यवाणी का पूरा होना था। (पढ़ें योएल 2:28-32)2) उसने उन्हें वचन के आधार पर यीशु मसीह के विषय बताया। जो पवित्र आत्मा से भरे हुए हैं वे वचन से ही बोलेंगे। पवित्र आत्मा कभी भी ऐसी बात नहीं बोलेगा, जो वचन के विरुद्ध हो। 3) उसने उन्हें पश्चाताप करने और यीशु मसीह के नाम से बप्तिस्मा लेने के लिये प्रोत्साहित किया।उस दिन जिन्होंने पतरस को सुना था, उनमें से 3000 लोगों ने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया। और उन्होंने न केवल विश्वास किया परंतु बप्तिस्मा लेकर प्रभु की आज्ञा पालन भी किया। हमारे प्रभु की आज्ञा यह है कि जो विश्वास करता है उसे बप्तिस्मा देना चाहिये। बप्तिस्मा लेने के बाद वे इकट्ठे हुए, परमेश्वर का वचन सुने, प्रार्थना किये और स्तुति किये और प्रभु भोज में सहभागी हुए। उनके मध्य बड़ा आनंद और संगति हुई और भाईचारे का प्रेम था। (प्रेरितों के काम 2:42,46-47)। यही वे बातें हैं जो परमेश्वर की संतानों को निरंतर करना चाहिये। उनके चरित्र में संपूर्ण परिवर्तन आ गया था। वे आनंद और आशा से परिपूर्ण थे। जो बचाए जाते थे प्रभु उन्हें उनके साथ जोड़ देता था। कलीसिया विश्वासियों की संपूर्ण देह है। प्रभु ही है जो बचाता और कलीसिया में जोड़ता है, मनुष्य नहीं। नोट : पेन्तिकुस्त - 50वां दिन (लैव्यवस्था 23:15-16)। पेन्तिकुस्त और कटनी का पर्व एक ही है

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मेरी बत्ती में तेल दे है प्रभु, मेरी बत्ती में तेल तू दे, मेरी बत्ती में तेल दे है प्रभु, तेरे आने तक मैं ज्योति दू। गाओ होशन्ना (3) राजा यीशु की। (2)