Class 4, Lesson 37: डाकू

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Lesson Text

हमने देखा कि जो लोग प्रधान याजकों और यहूदी अगुवों के द्वारा भेजे गये थे, उन्होंने यीशु को बंदी बनाया। उन्होंने उसे राज्यपाल के पास ले गये जिसने उसमें कोई दोष नहीं पाया, फिर भी उसने उसे क्रूस की सजा दिया। उन्हांने उसे गोलगाता नामक स्थान में क्रूस पर चढ़ाया। उसके साथ दो चोर भी क्रूस पर चढ़ाए गये थे, एक उसके दाहिनी और दूसरा उसकी बाइंर् ओर था।क्रूस की मृत्यु भयानक होती है।रोमी यह सजा उन्हें देते थे जो घोर अपराध के दोषी होते थे, परंतु यह सजा रोमी नागरिकों के लिये नहीं थी। गवर्नर (राज्यपाल) के यह कहने के बाद कि वह उसमें कोई दोष नहीं पाता, उसी ने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये सौंप दिया। भविष्यद्वक्ताओं ने यीशु के जन्म के बहुत पहले ही यीशु की मृत्यु के विषय कह दिया था। दाऊद ने उसकी मृत्यु का तरीका पहले ही कह दिया था। ‘‘वे मेरे हाथ और पैर छेदते हैं।’’ (भजन 22:16)। यशायाह ने भविष्यवाणी किया था कि वह पापियों के साथ गिना जाएगा (यशायाह 53:12; मरकुस 15:28)।यीशु के साथ क्रूस पर लटकाए हुए एक डाकू ने यीशु की ठट्ठा किया और नर्क में गया। दूसरी ओर दूसरे डाकू ने पश्चाताप किया और प्रार्थना किया। ‘‘यीशु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना।’’ यीशु ने उसे उत्तर दिया, ‘‘मैं तुझसे सच कहता हूँ, तू आज ही मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा।’’ हमारा प्रभु घोर पापी को भी क्षमा करता है जब वह पश्चाताप करता है। पापी के लिये उद्धार का तरीका यीशु मसीह में विश्वास करने के द्वारा है, अपने कर्मों के द्वारा नहीं (इफिसियों 2:9)। इस पाठ से हम सीखते हैं कि कोई भी पापी मसीह पर विश्वास लाने के द्वारा अधोलोक में जा सकता है। लोग अक्सर सोचते हैं कि अच्छे कार्य करने, धार्मिक संस्कारों का पालन करना और कलीसिया में सदस्यता रखना ही स्वर्ग जाने का मार्ग है। वह डाकू जो क्रूस पर मरनेवाला था इन बातों में से कैसे कुछ कर सकता था? वह केवल परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास लाने के द्वारा, जो उसी के लिये प्राण दे रहा था, बचाया गया था।डाकू के शब्दों में हम विश्वास के तीन महत्वपूर्ण बातों को देखते हैं जो उद्धार के लिये आवश्यक हैं। 1) पश्चाताप उसने दूसरे डाकू से कहा, ‘‘हम तो अपने कामों के अनुसार प्रतिफल पा रहे हैं।’’ (पद 41) वह यह स्वीकार कर रहा था कि वह सजा के योग्य था। यदि कोई यह स्वीकार करता हैः ‘‘मैं पापी हूँ और सजा पाने के योग्य हूँ,’’ तो यह पश्चाताप का निश्चित संकेत है। 2) अंगीकार उसने यीशु से कहा, ‘‘हे प्रभु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना।’’ रोमियों 10:9 कहता है, ‘‘कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।’’ डाकू ने विश्वास किया कि यीशु जो उसके बाजू में प्राण दे रहा है, मृतकों में से जी उठेगा और राजा बनेगा। 3) समर्पण उसने प्रभु से कहा, ‘‘मेरी सुधि लेना।’’ यह इस बात को दर्शाता है कि उसने प्रभु पर विश्वास किया था। उस पर विश्वास करने का मतलब उसकी दया पर विश्वास करना और स्वयँ को मसीह के हाथों में देना है। प्रभु ने पश्चातापी डाकू को तीन प्रतिज्ञाएँ दिया। 1) सर्वोत्तम समय - ‘‘आज! जहाँ तक उद्धार का संबंध है, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उसे आज ही ले लें। कल बहुत देर हो सकती है। 2) सर्वोत्तम मित्र - ‘‘मेरे साथ’’ हममे से प्रत्येक अच्छा मित्र चाहता है। यदि हमारे पास अच्छा मित्र हो तो लंबी दूरी का सफर भी कठिन नहीं होता। उसी प्रकार क्लेश में भी अच्छा मित्र साथ होना, सहने में सहायता करता है। यीशु मसीह हमारा सबसे अच्छा मित्र है। उसके साथ जीवन बिताना किसी और के साथ बिताने से बेहतर है। 3) सर्वोत्तम स्थान - ‘‘स्वर्ग लोक’’ में। हम रहने के लिये अच्छा घर चाहते हैं। ‘‘घर, अच्छा घर हम कहते हैं। डाकू से स्वर्गलोक की प्रतिज्ञा की गई थी, जो रहने के सबसे सुन्दर जगह है। प्रभु यीशु मसीह ने इन्हीं तीन सर्वोत्तम बातों की डाकू से प्रतिज्ञा किया था। लापरवाही से नहीं परंतु पूरे यकीन और निश्चय के साथ। ‘‘मैं तुझसे सच कहता हूँ।’’ उसने कहा। जरा उस दृष्य के विषय सोचें जहाँ यीशु और दो डाकू लटके थे। उसकी एक ओर का डाकू स्वर्गलोक जा रहा था जबकि दूसरी ओर का डाकू नर्क जा रहा था। यीशु का क्रूस संसार के लोगों को दो समूहों में बाँटता है, वे जो खोए हुए हैं, और वे जो बचाए गये हैं। अभी वे संसार में गेहूँ और जंगली पौधों के समान एक साथ बढ़ रहे हैं, परंतु प्रभु के दोबारा आगमन पर वे अलग किये जाएंगे। तब आप कहाँ रहेंगे? 2) सर्वोत्तम मित्र - ‘‘मेरे साथ’’ हममे से प्रत्येक अच्छा मित्र चाहता है। यदि हमारे पास अच्छा मित्र हो तो लंबी दूरी का सफर भी कठिन नहीं होता। उसी प्रकार क्लेश में भी अच्छा मित्र साथ होना, सहने में सहायता करता है। यीशु मसीह हमारा सबसे अच्छा मित्र है। उसके साथ जीवन बिताना किसी और के साथ बिताने से बेहतर है। 3) सर्वोत्तम स्थान - ‘‘स्वर्ग लोक’’ में। हम रहने के लिये अच्छा घर चाहते हैं। ‘‘घर,अच्छा घर हम कहते हैं। डाकू से स्वर्गलोक की प्रतिज्ञा की गई थी, जो रहने के सबसे सुन्दर जगह है। प्रभु यीशु मसीह ने इन्हीं तीन सर्वोत्तम बातों की डाकू से प्रतिज्ञा किया था। लापरवाही से नहीं परंतु पूरे यकीन और निश्चय के साथ। ‘‘मैं तुझसे सच कहता हूँ।’’ उसने कहा। जरा उस दृष्य के विषय सोचें जहाँ यीशु और दो डाकू लटके थे। उसकी एक ओर का डाकू स्वर्गलोक जा रहा था जबकि दूसरी ओर का डाकू नर्क जा रहा था। यीशु का क्रूस संसार के लोगों को दो समूहों में बाँटता है, वे जो खोए हुए हैं, और वे जो बचाए गये हैं। अभी वे संसार में गेहूँ और जंगली पौधों के समान एक साथ बढ़ रहे हैं, परंतु प्रभु के दोबारा आगमन पर वे अलग किये जाएंगे। तब आप कहाँ रहेंगे? नोट : गोलगत्ता - खोपड़ी का स्थान कलवरी - खोपड़ी के लिये यूनानी शब्द का लैटिन में अनुवाद। स्वर्गलोक - बगीचा यहूदी लोग इस शब्द का उपयोग अदन की बारी के लिये करते थे और उस स्थान के लिये जहाँ मृत्यु के बाद धर्मी लोग जाते हैं। नये नियम में इस शब्द का उपयोग केवल तीन बार हुआ है (2 कुरि 12:3; प्रकाशितवाक्य 2:7 और लूका 23:43)।

Excercies

Song

वह डाकू उसे क्रूस पर देख आनन्दित हुआ तब, हम वैसे पापी उसी में पाप अपना धोवे सब। इम्मानुएल के लहू से एक सोता भरा है जो पापी उसमें लेवे स्नान रंग पाप का छूटता है। (3)