Class 4, Lesson 36: गतसमनी

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34वें पाठ में हमने प्रभु द्वारा शिष्यों के साथ फसह के पर्व को मनाने के विषय जाना। वे फसह के बाद जैतून पहाड़ पर गये। इस पर्वत की ढलानों पर किद्रोन नाले के पास गतसमनी नामक बाग था। यीशु और उसके चेले उस बाग में गये जो प्रार्थना और आराम का उनका स्थान था (यूहन्ना 18:2)। जब वे बाग में पहुँचे यीशु ने अपने शिष्यों को वहाँ बैठने को कहा (पद 36) जबकि वह खुद थोड़ा आगे जाकर प्रार्थना करने लगा। उसने अपने साथ पतरस और जबदी के दो पुत्रों को लिया। प्रभु ने इन तीनों को कई बार अपने साथ रखा था। उसने उन्हें रूपांतरण के पर्वत पर भी ले गया था जहाँ उन्होंने उसकी महिमा देखा, और उसने उन्हें याईर के घर भी ले गया (मरकुस 5:37, 9:32)वह दुखी और व्याकुल होने लगा। वह जानता था कि उसकी घड़ी आ पहुँची है। उसी रात को यहूदा उसे धोखा देने वाला था। और वह जल्द ही बंदी बनाया जानेवाला था। फिर उसने उनसे कहा, ‘‘मेरा जी बहुत उदास है, यहाँ तक कि मेरा प्राण निकला जा रहा है, तुम यहीं ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।’’ थोड़ा आगे जाकर वह भूमि पर मुँह के बल गिर पड़ा और प्रार्थना करने लगा। ‘‘हे मेरे पिता, यदि हो सके तो यह कटोरा मुझसे टल जाए, तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं परंतु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।’’ हमारी प्रार्थना हमारे जीवन में परमेश्वर की इच्छा पूरी होने के लिये होना चाहिये। वेदना से वह ज्यादा गंभीरता से प्रार्थना करने लगा और उसका पसीना खून की बूंद बनकर जमीन पर गिर रहा था। यदि वह कटोरा प्रभु के पास से हटा लिया जाता तो वह हमें पीना पड़ा होता। हमारे लिये उसके महान प्रेम के कारण उसे उसने स्वयँ पीया, और हमें पाप की सजा से छुड़ाया फिर वह अपने चेलों के पास आया और उन्हें सोते हुए पाया। ‘‘क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?’’ उसने पतरस से पूछा, यीशु परमेश्वर का पुत्र बड़ी मुश्किल में है, परंतु उसके चेले एक जगह तीन और एक जगह आठ, सो रहे थे। यहूदा सैनिकों के साथ उसे बंदी बनाने आ रहा था। इसके अलावा, कुछ घंटों के बाद पतरस उसे तीन बार इन्कार करनेवाला था। यह सब जानते हुए भी प्रभु उनसे सहानुभूतिपूर्वक बात करता है। ‘‘आत्मा तो तैयार है परंतु शरीर निर्बल है,’’ उसने कहा। बाद में जब सिपाही आए और उस पर हाथ डाला तो उसने उनसे कहा, ‘‘यदि तुम मुझ ढूंढ़ते हो तो इन्हें जाने दो।’’ स्वयँ क्लेश उठाते समय भी वह अपने चेलों से कितना प्रेम करता था।’’ वह हमारी सृष्टि जानता है, और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है’’ (भजन 103:14) जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो।अब सोते रहो और विश्राम करो। यदि वे यीशु के साथ जागते रहते और उसके दुख में सहभागी होते तो यह एक धन्य अनुभव रहा होता। परंतु वे यह न कर सके। दूसरी बात, उसने उन्हें प्रार्थना करने को कहा। वे इसमें भी असफल हुए। जब उसने तीसरी बार प्रार्थना किया, उसने उन्हें फिर से सोते पाया। इस बार वह कहता है, ‘‘अब सोते रहो।’’ इसका अर्थ यह हुआ कि समय हो चुका है, मौका हाथ से निकल गया था, जो कुछ किया जाना था, वह समय पर नहीं किया गया था। अब वह नहीं किया जा सकता। तुरंत ही, जिन लोगों को यहूदा ने लाया था, उन्होंने यीशु को पकड़ लिया। फिर सभी चेले भाग गए। वे वही लोग थे जो उसके साथ तीन वर्ष तक थे, जिन्होंने उसके चमत्कारों को देखा था, जो उसके साथ बैठे थे, और उसके साथ भोजन किया था, जिन्होंने उसकी धन्य वाणी को सुना था, परंतु वे अपनी जान बचाकर भाग गये। नोट :गतसमनी - तेल निकालने की जगह

Excercies

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गतसमनी बाग विच गया, भारी बोझ दे नाल दबया, बाप दी मरजी पूरी हो केया, मेरी भारी सजा नू तू आपे उठाया। खुदा दा बेटा यीशु मसीह,जीवन मेरे लई दे दिता की? नरक दे लायक मेरी सी तकदीर,ओने स्वर्गी जीवन विच बदल दिती।