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फसह के विषय हम सबसे पहले निर्गमन 12 में पढ़ते हैं। जब परमेश्वर ने मिस्त्र के पहिलौठों का नाश किया तब इस्त्राएलियों के प्रत्येक परिवार ने परमेश्वर की आज्ञानुसार एक मेम्ने को मारकर उसके लहू को दरवाजों की चौखट पर प्रतीक के रूप में लगाया था। नाश करनेवाला दूत जिस दरवाजे पर लहू देखता, आगे बढ़ जाता था। इसी घटना से ‘‘फसह’’ शब्द आया। यह वही रात थी जब इस्त्राएलियों ने मिस्त्र छोड़ा था। परमेश्वर ने उन्हें मेम्ने के माँस को भी आग में भूनकर खाने को कहा। उन्हें यह माँस कड़वे साग, रोटी और बिना खमीर के खाना था (निर्गमन 12ः8)। इस्त्राएली लोग फसह का पर्व माह के 14वें दिन मनाये जो (एप्रिल) माह था। (लैव्यवस्था 23ः5; गिनती 9ः1-14)। यहाँ तक कि उन दिनों में भी जब यीशु इस पृथ्वी पर था, फसह का पर्व यहूदियों के लिये महत्वपूर्ण त्यौहार था। यह फसह का पर्व या अखमीरी रोटी का पर्व दोनों कहलाता था। यह मिस्त्र से यहूदियों का छुटकारा और परमेश्वर के छुटकारे का कार्य द्वारा इस्त्राएल का एक राष्ट्र के रूप में निर्माण को दिखाता है। अखमीरी रोटी का पर्व फसह के दिन के बाद से शुरू हुआ और एक सप्ताह तक चला। कभी-कभी दो या उससे अधि् ाक परिवार फसह मनाते थे। वे मेम्ने को लेकर मंदिर के आंगन में जाते और काटते थे। याजक मेम्ने के लहू को लेकर वेदी के सामने छिड़कता था और चरबी को जलाता था। वे जो मेम्ना लाते थे वे उसका माँस घर ले जाते थे और उसे अखमीरी रोटी और कड़वे साग के साथ खाते थे। अखमीरी रोटी इस बात की प्रतीक थी कि परमेश्वर के लोग जो मिस्त्र से निकले थे, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र थेपछले फसह के पर्व के समय यीशु और उसके चेले यरूशलेम में थे। जब समय आया तब चेलों ने यीशु से पूछा, ‘‘तू कहाँ चाहता है कि हम फसह तैयार करें?’’ यीशु ने उन्हें संडस्के ल पाठ्यप ू स्तक वग ु र् 4 103 बताया कि उन्हें क्या करना है। किसी ने उन्हें एक बडे़ कमरेवाली उपरौठी कोठरी दिया कि वे वहाँ फसह तैयार करें। हम नहीं जानते कि वह कौन व्यक्ति था। यीशु ने जैसा कहा था, चेलों ने जाकर फसह तैयार किया। यीशु और उसे चेले मेज पर इकट्ठे हुए। वह अपने चेलों के साथ फसह के पर्व का भोज खाने के लिये बहुत उत्सुक था क्योंकि यह अंतिम अर्थपूर्ण फसह का पर्व था। आप जानते हैं यीशु ही परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है। वे सभी मेम्ने जो मिस्त्र में मूसा के समय से लेकर उस समय तक बलि किये जाते थे वे सब यीशु के प्रतीक थे, परमेश्वर के मेम्ने के प्रतीक थे। उसी रात जब प्रभु ने फसह मनाया, सिपाहियों ने यीशु को बंदी बनाया और उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया। चूँकि यीशु, फसह का मेम्ना, सबके लिये एक ही बार बलिदान चढ़ाया गया, किसी और मेम्ने को बलि चढ़ाने की आवश्यकता नहीं है पभ्र भा ु जे उस रात प्रभु ने सवयं ही पर्व का आयोजन किया जिसे परमेश्वर के लोग उस समय से मनाते आ रहे है, जब से मसीह मरा और फिर से जी उठा। हम उसे प्रभु भोज कहते हैं। फसह का भोजन खाने के बाद प्रभु ने रोटी लिया, उसे आशीषित किया और यह कहकर चेलों को दिया ‘‘यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये तोड़ी जाती है, यह मेरे स्मरणार्थ किया करो।’’ उसी प्रकार, उसने कटोरा भी लिया और कहा, ‘‘यह मेरे लहू में नई वाचा है, जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है।’’ प्रभु की इसी आज्ञा के अनुसार उसकी संतानें उस समय से इस स्मृति को मनाते आए हैं। हम पढ़ते हैं कि प्राचीन कलीसिया, सप्ताह के पहले दिन रोटी तोड़ने के लिये इकट्ठे होते थे (प्रेरितों के काम 20ः7)। पापों की क्षमा के लिये प्रभु भोज मनाना किसी मायने का नहीं है। ये केवल वही मनाते हैं जिनके पाप क्षमा हो चुके हैं यह अनंत जीवन नहीं देगा, परंतु जिनके पास अनंत जीवन है उन्हें ही इसमें सहभागी होने का अधिकार है। 1 कुरि 11वें अध्याय में प्रेरित पौलुस लिखता है कि प्रभु भोज के विषय उसे परमेश्वर की ओर से विशेष प्रगटीकरण मिला है। यदि आप पौलुस के शब्दों को ध्यानपूर्वक पढे़ंगे तो आप महत्वपूर्ण वास्तविकताओं को जानेंगें 1) यह प्रभु की इच्छा है (पद 23)। 2) यह यादगार है (पद 24-25)। 3) यह हमें प्रभु की मृत्यु और उसके दोबारा आगमन की याद दिलाता है (पद 26)। 4) यह प्रभु के लोगों की एकता और संगति को दिखाता है (1 कुरि 10ः16-18)। परमेश्वर की संतानों को जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने, और उसकी मृत्यु को हमारे लिये बलिदान विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं, उन्हें यह भोज मनाना ही चाहिये वे ही ऐसे लोग हैं जो वास्तव में इसे मना सकते हैं, और पौलुस इस विषय दो बातें कहता है जो उन्हें याद रखना है। 1) उन्हें इसमें अनुचित रीति से हिस्सा नहीं लेना चाहिये (पद 27)। 2) उन्हें स्वयँ को जाँचना चाहिये और सहभागी होना चाहिये (पद 28)। इसलिये परमेश्वर की संतानों को स्वयँ को जाँचना चाहिये और सप्ताह के पहले दिन प्रभु भोज लेना चाहिये, संपूर्ण मन और परमेश्वर के भय के साथ।
ईको रोटी विचो होना, पहला तुसी सारे शामिल, है मिसाल उस पाक बदन दी, खुदा लई सी जो कामिल, कनक दे दाने वांगर, अपनेया ने ही तेनू पिसया, बाप ने गुस्से दी आग विच छडया, जीवन दी रोटी बनके ओह केंदा। सानू दिता प्रेम पियाला, जो पाक लहू दा निशान, आप ओ सह गया क्रोध पियाला, जो पाप तो सी अन्जान, अंगूरा वांगर कोमल बदन नू, बेरहमी दे नाल सी कुचलेया तेनू, पियाला भरके नवे नेम दा, प्रभु ने मैनू ऐह हुकम दिता। तोड़ा गया-2 मेरे लई मसीह दा पाक बदन, फरमाया-2 सूली चढ़न तो पहलां एह हुकम, मेरे बदन नू मेरे लहू नू ऐना निशाना दे नाल चेते करो दुबारा ना मैं जद तीकर आवा मेरी मौत दा प्रचार करदे रवो।