Class 4, Lesson 31: बीज बोने वाले का दृष्टांत

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Lesson Text

प्रभु ने परमेश्वर के राज्य के विषय सत्य को लघु कथाओं और दृष्टांतों के द्वारा सिखाया। बीज बोनेवाले का दृष्टांत उन्हीं में से एक है। यह दृष्टांत उसने गलील के समुद्र के किनारे एक नाव पर बैठकर कहा। क्योंकि लोग हजारों की संख्या में उसके आसपास इकट्ठे हो जाते थे, वह सभी का ध्यान अपनी ओर नहीं खींच सकता था। इसलिये, इस बार वह एक नाव पर चढ़ा और वहाँ से समुद्र किनारे इकट्ठे लोगों से बात किया। शायद प्रभु ने यह दृष्टांत वंसत ऋतु में बताया था क्योंकि वह थोड़ी दूर पर किसानों को कंधे पर थैलियाँ लटकाए खेतों में बीज बोते देख सकता था। इस दृष्टांत में प्रभु ने बताया कि बीज तीन प्रकार की भूमियों पर गिरे, 1) मार्ग के किनारे 2) पथरीली भूमि पर 3) झाड़ियो में 4) अच्छी भूमि पर 1) मार्ग के किनारे केरल के खेत में छोटे-छोटे मेंड़ होते हैं जो गीली भूमि को अलग-अलग विभागों में बाटते हैं। उन्हें मार्ग के रूप में भी वापरा जाता है। पलिस्तीन के खेतों में ऐसे ही मेड़ थीं जो पैरों के नियमित दबाव के कारण सख्त पड़ गए थे। जो बीज उस पर गिरे थे वे अंकुरित नहीं हो सकते थे। क्योंकि वे मिट्टी के भीतर नहीं गए थे इसलिये चिड़िया आईं और उन बीजों को चुग गइंर्। 2) पथरीली भूमि पर इन स्थानों पर पत्थरों के बीच थोड़ी सी ही मिट्टी थी। यहाँ जो बीज गिरे थे वे जल्द ही अंकुरित हो गये क्योंकि वहाँ की मिट्टी गहरी नहीं थी। लेकिन जब सूर्य निकला तो वे मुरझा गये क्योंकि उनकी जड़ें गहराई तक नही पहुँची थी। 3) झाडियों में झाडियाँ किसी भी प्रकार की भूमि पर ऊग जाती हैं। वे जल्दी बढ़तीं, फैल जातीं और दूसरे पौधों को दबा देती हैं। 4) अच्छी भूमि पर यहाँ भूमि अच्छी होती है। इसके नीचे पत्थर नहीं होता। यहाँ बीज अंकुरित होता है, बढ़ता है और तीस गुना से सौ गुणा फल जाते हैं। प्रभु ने स्वयँ ही चेलों को इस दृष्टांत का मतलब बताया। बीज परमेश्वर का वचन है, या सुसमाचार है। (परमेश्वर के वचन की तुलना याकूब की पत्री 1:21 में भी बीज के साथ की गई)। बीज बोनेवाले वे हैं जो वचन का प्रचार करते हैं। जैसे बीच चार प्रकार की भूमियों में गिरता है, उसी प्रकार वचन के सुनने वाले भी परमेश्वर के वचन को चार तरीकों से सुनते हैं। 1) कुछ लोग कानों से सुनते है परंतु वचन उनके हृदय में नहीं उतरता। उसे शैतान उठा ले जाता है, और सुनने वाले को वचन भुला देता है। ‘‘शारिरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता’’ (1 कुरि 2:14)। 2) कुछ लोग जो वचन सुनते हैं, उसे तुरंत आनंद से ग्रहण कर लेते हैं, परंतु वह उनके हृदय में गहराई से नहीं उतरता। लूका कहता है कि वे थोड़े समय के लिये विश्वास करते हैं, परंतु जब परीक्षाएँ आती हैं तब तब वे गिर जाते हैं। हम पढ़ते हैं कि पौधे धूप में झुलस गये। सूर्य की गरमी पौधे की वृद्धि के लिये अच्छी होती है। यदि उसकी जड़ें नीचे गीली मिट्टी में हों। जागृति सभा के समय कुछ लोग कहते हैं कि वे मसीह पर विश्वास करते हैं, परंतु यदि सताव आता है तो उनका विश्वास गायब हो जाता है। कारण यह है कि वे परमेश्वर के वचन से पोषण नहीं पाते। पौधों को पानी की आवश्यकता होती है। 1 कुरि 3:6 में पौलुस कहता है ‘‘मैंने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परंतु परमेश्वर ने बढ़ाया।’’ जब कोई मित्र सुसमाचार में रूचि लेता है, तब हमें उसे अवश्य ही परमेश्वर का वचन सिखाना चाहिये। इस प्रकार उस बीज को पानी देना चाहिये जो उसके हृदय में पड़ा था 3) तीसरे समूह ने वचन सुना परंतु संसार की चिंताओं , धन के लोभ और शरीर की अभिलाषा ने वचन को दबा दिया और उसे फलहीन बना दिया। तीन काँटेदार झाडियाँ जो पौधों को दबा देते हैं वे चिंताएँ, समृद्धि और सुख वैभव हैं। इन्हीं बातों पर विजय पाने के लिये ही हमें परमेश्वर के वचन की तलवार दी गई है। हमारा प्रभु कहता है, ‘‘इसलिये तुम चिंता करके यह न कहना कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएँगे? (मत्ती 6:31)। ‘‘लोभ से अपने आप को बचाए रखो।’’ (लूका 12:15) 4) चौथा समूह परमेश्वर का वचन सुनकर उस पर विश्वास करता है। इस दृष्टांत के तीन भागों की तुलना करने से हम पाते हैं कि ये सुनने वाले 4 बातें करते हैं : (क) सुनते हैं, (ख) समझते या ग्रहण करते हैं (ग) अपने पास रखते हैं (घ) फल लाते है। हम यह भी पढ़ते हैं कि वे धीरज के साथ फल लाते हैं। यदि परमेश्वर के वचन को हमारे हृदय में गहराई से जड़ पकड़ना हो और फल लाना हो, तो हमें धीरज रखना होगा। गलातियों 5:22-23 में हम पाते हैं कि अच्छी भूमि से आनेवाला फल : प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं’’ (रोमियों 6:22 भी देखें) जब आप संडे स्कूल में पढते हें तब परमेश्वर का वचन आपके हृदयों में बोया जाता है। परमेश्वर बीज को आशीषित करे ताकि वह सौ गुणा फल लाए। नोट : ‘‘इस संसार की चिंताएँ’’ : यूनानी भाषा में इस अभिव्यक्ति को ‘‘युग की चिंता’’ अनुवादित किया जा सकता है। इसलिये इसे युग के अनुरूप की समस्याएँ और बोझ समझा जा सकता है।

Excercies

Song

आ गया एक बीज बोने वाला। (2) 1 पहला बीज तो रास्ते के ऊपर चिड़ियों ने आकर उठा लिया। 2 दूसरा बीज तो पत्थर के ऊपर सूरज निकलकर जला दिया। 3 तीसरा बीज तो कांटों के बीच में कांटों ने उसको दबा दिया । 4 चैथा बीज तो अच्छी जमीन पर फल लाया, कुछ तीस गुणा, कुछ साठ गुणा, और सौ गुणा ।