Audio | Prayer | Song | Instrumental |
---|---|---|---|
परिचय : बेन और सॅम परमेश्वर से प्रेम करते थे। उसने उनके लिये कई अच्छी बातें किया था, इसलिये अब वे भी परमेश्वर के लिये कुछ करना चाहते थे। उन्होंने उसे एक तोहफा देने का निर्णय लिया। परंतु वे परमेश्वर को क्या दे सकते हैं जिसके पास सब कुछ है? उन्होंने सोचा और बहुत सोचा। फिर उन्हें एक तरकीब सूझी! कुछ खास था जो वे उसे दे सकते थे - कुछ ऐसा जो उसे बड़ा आनंद दे सकता था। क्या आप जानते हैं कि बेन और सॅम ने परमेश्वर को क्या दिया? यह कुछ ऐसा है जो आप भी उसे दे सकते हैं, सुनें और कल्पना करें कि वह क्या हो सकता था प्रेरित शब्द का मतलब है ‘‘वह जिसे भेजा गया हो।’’ किसी राजा या सम्राट द्वारा भेजा गया प्रतिनिधी जिसे अधिकार भी दिया गया हो, उसे प्रेरित कहते थे। जब हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर था, उसके कई शिष्य थे। उनमें से उसने बारह को प्रेरित चुना, ‘‘कि वे उसके साथ-साथ रहें, और वह उन्हें भेजे कि वे प्रचार करें और दुष्ट आत्माओं को निकालने का अधिकार रखें’’ (मरकुस 3:14-15)। प्रभु ने स्वयँ ही उन्हें प्रेरित कहा (लूका 6:13)। अच्छा होगा यदि आप उनके नाम याद करें। उनके नाम हैंः पतरस, अंद्रियास, याकूब, यूहन्ना, फिलिप, बर्तुलमई, मत्ती, थोमा, याकूब जो हलफई का पुत्र था, शिमौन कनानी, यहूदा इस्करयोति पतरस शिमौन भी कहलाता था। इस प्रकार दो शिमौन, दो याकूब और दो यहूदा थे। शिमौन वही है जो शिमोन कनानी कहलाता है। यहूदा याकूब का भाई है, मत्ती और मरकुस में तद्दै कहलाता है। यहूदा इस्करयोति ‘‘प्रभु को पकड़वाले वाला यहूदा’’ या ‘‘धोखेबाज यहूदा’’ कहलाता है। प्रभु को धोखा देने के बाद उसने स्वयँ को फाँसी लगा ली। उसकी जगह दूसरे चेलों ने मत्तियाह को बाद में चुना। बेशक आप पौलुस के विषय जानते हैं। वह उन बारहों में से नहीं था जिन्हें यीशु ने अपनी सेवकाई के पहले बुलाया था। यह तब बना जब प्रभु ने तरसुस के शाऊल को स्वर्ग से दर्शन देकर अपने लिये उसे चुना ताकि वह प्रेरित पौलुस के नाम से जाना जाए। इनके अलावा प्रेरित शब्द नए नियम में दूसरों के लिये भी सामान्य भाव में उपयोग किया गया है। गलातियों 1:2 और 2:9 में इसका उपयोग प्रभु के भाई याकूब के लिये भी किया गया है। प्रभु की मृत्यु के पहले उसका भाई याकूब उसका चेला नहीं था यूहन्ना 7:5 देखें। बरनबास, अंद्रोनिकस, जूनियस, सिलास और तीमुथियुस को भी प्रेरित कहा जाता है पतरस और अंद्रियास भाई थे। उनके पिता का नाम योना था। उनका घर बेतसैदा में था, परंतु पतरस का घर गलील के कफरनहूम में था (मरकुस 1:29)। क्योंकि ये दोनों नगर गलील के समुद्र के पास थे, वे मछली के व्यवसाय के लिये सुविधाजनक थे। शायद अंद्रियास और यूहन्ना, यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले के पहले शिष्य थे। इस संसार के अधिकांश लोग दूसरों से बड़ा बनना चाहते हैं, और चाहते हैं कि उनकी क्षमा का पालन किया जाए और उन्हें सम्मान मिले। परंतु यूहन्ना बप्तिस्मा देने वाला कुछ भिन्न था। वह स्वयँ को ऊँचा उठाना नहीं चाहता था, परंतु वह यीशु को उँचा उठाना और सम्मानित करना चाहता था, जो प्रतिज्ञा किया हुआ उद्धारकर्ता था। उसने अपने शिष्यों को प्रोत्साहित किया कि वे यीशु के पीछे चलें। उसने उन्हें बताया कि यीशु ‘‘परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है।’’ यूहन्ना के शब्द सुनकर, दो शिष्य यीशु के पीछे हो लिये, उनमें से एक अंद्रियास था अंद्रियास ने उसके भाई पतरस से यीशु के विषय कहा। परमेश्वर की हर संतान को उसके उद्धारकर्ता के विषय दूसरों को बताना चाहिये। फिर पतरस भी यीशु के पास आ गया। यह संभव है कि यूहन्ना का भाई याकूब ने यीशु पर इसलिये विश्वास किया क्योंकि यूहन्ना ने उसे उसके विषय बताया था। ये भाई लोग जिन्होंने यीशु पर विश्वास किया था, अपने घर वापस गये और मछुआरे का काम जारी रखा । कुछ समय के बाद ही प्रभु ने उन्हें उसके पीछे चलने को कहा। इसके विषय हम लूका में पढ़ते हैं (लूका 5:1-11)। एक रात ये चारों गलील के समुद्र में मछली पकड़ रहे थे। उन्होंने रात भर मेहनत किया लेकिन कुछ न मिला। वे निराश होकर घर लौटने की तैयारी कर रहे थे, तभी वहाँ यीशु आ गया। सामान्यतः यीशु के चमत्कारों को देखने के लिये और उसके वचन सुनने के लिये कई लोग उसके आसपास रहते थे। जब यीशु के आसपास भीड़ इकट्ठा होने लगी, यीशु उस नाव पर चढ़ गया जो पतरस की थी और उसे किनारे से थोड़ा दूर ले जाने को कहा ताकि वह वहाँ ‘‘शाऊल’’ उसका यहूदी नाम था। वह रोमी नागरिक होने के कारण उसका रोमी नाम पौलुस था। से लोगों से बात कर सके। यद्यपि पतरस रात के कार्य से थक गया था, और घर जाने की तैयारी कर रहा था, उसने स्वेच्छा से अपनी नाव प्रभु को दे दी। जब प्रभु हमारे ‘‘जीवन की नाव’’ की मांग करता है, हमें उसे उसके सुपुर्द करना ही चाहिये। क्योंकि पतरस ने प्रभु की आज्ञा का पालन किया, उसे प्रतिफल में काफी मछलियाँ मिलीं। जो व्यक्ति परमेश्वर को कुछ देता है, वह कभी खोएगा नहीं। यीशु ने पतरस और उसके मित्रों को उसके पीछे चलने को कहा, अर्थात उसके साथ रहने और उसके साथ कार्य करने। उसे न केवल उनकी नावों की जरूरत पड़ी थी परंतु उनके जीवन की भी जरूरत थी। परमेश्वर के लिये थोड़ा सा धन खर्च करना या थोड़ा सा समय देना काफी नहीं होता। हमे अपने आपको उसके हाथों पूरी तरह समर्पित करना चाहिये। हम पढ़ते हैं कि याकूब और यूहन्ना ने सब कुछ छोड़ा और यीशु के पीछे हो लिये थे यह लगता है कि वे समृद्ध थे, परंतु वे अपनी सब संपत्ति छोड़कर प्रभु के बन गए। प्रेरित मत्ती को चुंगी लेने के बूथ से बुलाया गया था (मत्ती 9:9)। उसका पहला नाम लेवी था। जिस दिन पतरस यीशु के पास आया था, उसी दिन फिलिप भी बुलाया गया था। हम नहीं जानते कि अन्य प्रेरितों को कब बुलाया गया, परंतु उनमें से हर एक ने आज्ञा का पालन किया और यीशु के पीछे हो लिये। कुछ समय के बाद, यीशु ने उन चेलों को स्वर्ग का राज्य निकट है, यह प्रचार करने को भेजा। उसने उन्हें चमत्कार करने की सामर्थ भी दी जैसे बीमारों को चंगा करना और दुष्टात्माओं को निकालना। परमेश्वर हमें तब ही उपयोग में लाता है जब हम स्वयँ को पूरी तरह उसके हाथों सौंप देते हैं। प्रभु हमारी सहायता करे कि हम स्वयँ को उसके हाथों सौपें यूनानी ‘‘प्रेरित’’ शब्द नए नियम में 80 बार प्रयुक्त हुआ है। बर्तुलमई ‘नतनिएल’ का दूसरा नाम रहा होगा। याकूब नाम हलफई के पुत्र याकूब के लिये प्रयुक्त हुआ है। यह विश्वास किया जाता है कि सलोमी, यीशु की माता मरियम की बहन थी और याकूब और यूहन्ना सलोमी के पुत्र थे (तुलना करें मरकुस 15:40; 16:1, मत्ती 27:56)।
There were twelve disciples Jesus called to help him: Simon Peter, Andrew, James, his brother John, Philip, Thomas, Matthew, James the son of Alphaeus, Thaddeus, Simon, Judas, and Bartholomew. He has called us, too. He has called us, too. We are His disciples, I am one and you! (2)