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परिचय : क्या आपको कभी ऐसा लगा कि परमेश्वर न्याय नहीं करता? क्या आपने कभी परमेश्वर को पुकार कर कहा है? ‘‘मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?’’ भावनाओं के विषय चर्चा करें और गंभीर परीक्षाओं के विषय भी जो मृत्यु के कारण माता-पिता को खो देने, या अपंगता के कारण आते हैं यदि किसी ने परमेश्वर से प्रश्न किया था तो वह अय्यूब था। हमने देखा कि अय्यूब और उसका परिवार सुखी और धर्मी जीवन जी रहे थे। शैतान इसे सहन नहीं कर सका। उसका कार्य परमेश्वर की संतानों में दोष ढूंढना है। इब्री भाषा में ‘‘शैतान’’ का मतलब जो प्रतीक्षा में झूठ बोलता है और यूनानी भाषा में शैतान (दुष्ट आत्मा) का मतलब ‘‘दोष लगानेवाला है।’’ पतरस कहता है कि शैतान गरजते सिंह की नाई चलता है और इस ताक में रहता है कि किसे फाड़ खाए (1 पतरस 5:8)। परमेश्वर जानता था कि शैतान ने अय्यूब पर नजर रखी थी। उसने शैतान की दुष्टता को स्वर्गदूतों के सामने प्रगट कर दिया। परंतु वहाँ भी शैतान ने अय्यूब पर दोष लगाने की कोशिश की। उसने कहा कि अय्यूब परमेश्वर का भय इसलिये मानता था क्योंकि परमेश्वर ने उसे जीवन की सारी सुख सुविधाएँ प्रदान की थी। यद्यपि शैतान ने अय्यूब के विषय जो कहा था वह सच नहीं था, परंतु कई अन्य लोगों के विषय सच है। कुछ लोगों पर यदि मुसीबत आ जाए तो वे आराधना करने, या चर्च नहीं जाते। यह सिद्ध करने के लिये कि उसका दास अय्यूब बिना स्वार्थी भावना के परमेश्वर पर विश्वास करता है, उसने उसे परखने के लिये शैतान को अनुमति दी तुरंत ही शैतान ने ऐसा कुछ किया कि अय्यूब को अचानक बहुत सा नुकसान उठाना पड़ा ताकि उसे बहुत दुख हो। अय्यूब की संपत्ति में 7000 भेडें और 3000 ऊँट, 1000 बैल और 500 गदहे थे। उसके पास बड़ी संख्या में दास भी थे। जल्द ही अय्यूब पर एक के बाद एक विपत्तियाँ आने लगीं। कुछ ही घंटों में उसकी सारी भेड़ें आग में जल गई, उसके ऊँटों को कसदी लोग ले गये और उसके बैलों और गदहों को शबा के लोग ले गये। शैतान ने यह सब इतनी चतुराई से युक्ति किया कि अय्यूब का सबकुछ खो गया और हर मामले में एक दास बच निकला कि उस बर्बादी का समाचार अय्यूब को आकर बताए। शैतान ने अय्यूब को विद्रोही बनाने की पूरी कोशिश की इसलिये उसने उसे सदमे से बाहर आने के पहले एक के बाद एक विपत्तियाँ भेजना शुरू किया। जब अय्यूब ने सुना कि उसकी सारी संपत्ति खत्म हो चुकी है, तौभी उसने कुछ नहीं कहा, परंतु जब चौथे दास ने खबर लायी कि उसके बच्चे भी मर गए हैं तो वह अपना दुख रोक नहीं सका। परमेश्वर की संतानों को बहुत आनंद नहीं दिखाना चाहिये जब वे धनी बन जाते हैं। और, जब वे संपत्ति खो देते हैं तब उन्हें बहुत अधिक दुखी भी नहीं होना चाहिये। यहाँ तक कि जब अय्यूब ने उसके बेटे-बेटियों की मृत्यु के विषय सुना तो उसने भूमि पर गिरकर आराधना किया। उन दिनों में वस्त्र फाड़ना और सिर मुंडवाना दुख व्यक्त करने के सामान्य तरीके थे (उत्पत्ति 37:34)। उस महान दुख में भी अय्यूब ने यह कहकर परमेश्वर की स्तुति किया, ‘‘यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया, यहोवा का नाम धन्य है।’’ उसने शैतान की इच्छानुसार परमेश्वर की बुराई नहीं की शैतान जानता था कि उसकी हार हुई है। वह फिर से परमेश्वर की उपस्थिति में गया। उसने अय्यूब को गंभीर बीमारियाँ लगाने के लिये परमेश्वर से अनुमति ले ली। कोई भी व्यक्ति जब उसे गंभीर बीमारी और दर्द होता है, तो वह निराश हो जाता है। स्वास्थ्य का नुकसान किसी और नुकसान की अपेक्षा मन को ज्यादा कमजोर बनाती है। शैतान ने अय्यूब को सिर से पांव तक फोड़े देकर तकलीफ दी । जब हम पढ़ते हैं कि वह राख में बैठकर स्वयँ को ठीकरा से खुजाता है तो हम कल्पना कर सकते हैं कि उसे कितना दुख लगता होगा। इस परीक्षा में उसकी पत्नी ने उसे साथ नहीं दिया। ऐसे समय में उसको चाहिये था कि वह अपने पति को अच्छी सलाह दी होती, परंतु उसने जो की वह उसे परमेश्वर को कोसने और मरने के लिये उकसाना था। शायद उसने सोचा होगा कि यदि अय्यूब परमेश्वर को कोसे तो वह उसे मार डालेगा और मृत्यु ऐसे क्लेश से बेहतर होगी। हम परमेश्वर की ओर से बहुत सी आशीषों का आनंद पाते हैं, जिसे पाने के हम पात्र भी नहीं होते, परंतु जब हम नुकसान उठाते या हमारे जीवन में कठिनाई आती है, हम अपना विश्वास खो देते हैं। परंतु वह उस महान दुख में भी अपनी पत्नी को भली सलाह दे रहा था और परमेश्वर की स्तुति कर रहा था।
यीशु है मेरी पनाह, वही है मेरी चटटान, लंगर मैं डालता उस पर जिस वक्त आ घेरते तूफान। 1 दुख से जब हूँ परेशान और जाना चाहता हूँ पार, तब उसका उम्दा कलाम रोशनी का होता मीनार। 2 दुनिया के इस सफर में फिक्रों का होता जब शोर, यीशु एक ही झिड़की से तोड़ता सब आंधी का जोर। 3 मुझको है पुरा यकीन पहुँचूगा जिस दिन किनार, सुनहरे साहिल पर मैं पाऊँगा उसका दीदार।