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पाठ 18 के अंत में हमने देखा कि बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर चढ़ाई की और मंदिर को नष्ट कर दिया। उस समय उसने हजारों यहूदियों को बंदी बनाकर बेबीलोन ले गया। जब नबूकदनेस्सर का नाती बेलशस्सर मारा गया तब दारा मादी ने राज्य ले लिया। बाद में उस पर फारसी राजाओं ने राज्य किया जिनमें क्षयर्ष एक था। उसने 127 प्रांतों में राज्य किया जो भारत से इथिओपिया तक था और यहूदी इन सभी देशों में बिखरे हुए थे। उसके राज्य के तीसरे वर्ष में, अपनी महिमा और प्रभुत्व के प्रदर्शन के लिये क्षयर्ष ने शूशन के कुलीनों और अधिकारियों को भोज दिया जो सात दिन तक चला। भोज के अंतिम दिन राजा ने अपनी रानी वशती को बुलावा भेजा कि वह उसकी सुंदरता हाकिमों (राजकुमारों) और लोगों को दिखाए। चूंकि एक कुलीन स्त्री को सार्वजनिक रूप से अपना प्रदर्शन करना शोभा नहीं देता था, वशती ने आने से इन्कार कर दिया। क्षयर्ष राजा दाखमधु के कारण उत्तेजित था, वह क्रोधित हो गया। शराब व्यक्ति के भली समझ को भी नष्ट कर देती है, और इस प्रकार का सेवन संसार में कई दुर्घटनाएं और गुनाह करवाता है। गुस्से में आकर राजा ने वशती को रानी के पद से हटा दिया क्योंकि उसने उसकी आज्ञा का उलंघन किया था। उन दिनों में आज के हमारे न्यायालयों जैसे न्यायालय नहीं थे। शासक वही करते थे जैसा वे चाहते थे। करीब चार वर्ष के बाद राजा ने नई रानी खोजना शुरू किया। सभी लड़कियों में से जो राजा के सामने प्रस्तुत की गई थीं, राजा ने एस्तेर को चुना, वह लड़की जो एक यहूदी परिवार से थी। एस्तेर बहुत सुंदर थी और उसका चरित्र भी इतना अच्छा था कि उसने उसका हृदय जीत लिया । उसका पहला नाम हदस्सा था। वह मोर्दकै की चचेरी बहन थी जो राजमहल में एक अधिकारी था। जब एस्तेर के माता-पिता मर गये थे तब मौर्दकै ने उसे अपनी बेटी मान लिया था राजा के अधिकारियों में एक दुष्ट व्यक्ति था जिसका नाम हामान था। दुष्ट लोग, चालबाजी या घूस देकर, संसार में उच्च स्थान पा लेते हैं। हामान को पदोन्नति और सम्मान मिला था। वह चाहता था कि हर कोई उसके सामने झुके, परंतु यहूदी मौर्दकै जो जीवते परमेश्वर की सेवा करता था,हामान के सामने नहीं झुका। इस बात से हामान बहुत क्रोधित हुआ। उसने योजना बनाया न केवल मौर्दकै को परंतु राज्य के सभी यहूदियों को मृत्युदंड देने के लिये। हामान जो अंधविश्वासी था, इस षडयंत्र को अंजाम देने के लिये सर्वोत्तम दिन खोजने के लिये ‘चिट्ठी’ डलवाया। फिर वह एक कहानी बनाकर राजा के पास गया कि कुछ लोग जो उसके पूरे राज्य में फैले हैं दूसरों से भिन्न हैं, और केवल अपने ही नियमों को मानते हैं। उसने उन लोगों के नाम नहीं बताए और न ही राजा समझ पाया कि वे एस्तेर उसकी रानी के लोग थे हामान ने राजा के खजाने में विशाल धन राशि भी देने की प्रतिज्ञा की इस शर्त पर कि राजा उसे यह आदेश लिखने दे कि इन लोगों को नाश कर दिया जाए। बिना कोई प्रश्न पूछे राजा ने अपनी अंगूठी और अनुमति हामान को दे दी कि वह जैसा चाहे वैसा करे। हामान ने तुरंत लेखकों को बुलाया कि वे उस आदेश को लिखे कि सभी यहूदी मार डाले जाएँ और उसने उन पत्रों को राजा की अंगूठी से मुहरबंद किया। यहाँ तक कि उसने फाँसी का एक फंदा भी बनवाया जिस पर वह मौर्दकै को लटकाना चाहता था जब मौर्दकै ने यह सुना तो उसने टाट ओढ़ा और जोर से रो पड़ा। वह अपने लोगों से बहुत प्रेम करता था। कुछ लोग जब उच्च पद पा लेते हैं तब वे अपने गरीब मित्रों और रिश्तेदारों को भूल जाते हैं, परंतु मौर्दकै ने अपने भाइयों को बचाने जो परमेश्वर के लोग थे, अपनी सारी शक्ति लगा दी। जब यहूदियों ने राजा का आदेश सुना तो उनमें मातम छा गया। उन्होंने उपवास और प्रार्थना की। एस्तेर ने सुनी कि मोर्दकै ने टाट ओढ़ा था। रानी बनने के बाद भी वह अपने चचेरे भाई के विषय पूछताछ करती रहती थी। फिर उसे उस बुराई के विषय मालूम हुआ जो उसके लोगों पर आने वाली थी। वह सोच सकती थी कि रानी होने के नाते वह सुरक्षित थी और उसे दूसरों के विषय चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, परंतु उसने ऐसा नहीं सोचीजैसा मूसा ने फिरौन के राजमहल में रहने की बजाय मिस्त्र में उसके भाइयों के साथ क्लेश उठाना उचित समझकर निर्णय लिया, वैसे ही एस्तेर ने भी उसके लोगों के दुख में भागी होना बेहतर समझा। वह और उसकी सहेलियों ने तीन दिनों तक उपवास की। मौर्दकै के समान उसने भी अपने उच्च पद का उपयोग उसके लोगों की भलाई के लिये किया । हमें भी अपने गुणों, अवसरों और प्रभावों का जो परमेश्वर हमें देता है, भलाई के लिये उपयोग करना चाहिये। उस समय एक नियम था कि कोई भी व्यक्ति जो बिना बुलाए राजा के सामने आ जाता था, उसे मार डाला जाता था, परंतु एस्तेर ने अपनी जान को खतरे में डालकर अपने लोगों के लिये याचना करने के लिए राजा की उपस्थिति में चली गई। राजा ने उसके साथ दयालुता का व्यवहार किया और उसकी प्रार्थना को सुना। उसने तुरंत ही यहूदियों की सुरक्षा के आदेश जारी किया। हामान जिसने उन्हें नाश करने की कोशिश कि थी उसे फाँसी के फंदे पर लटकाया गया जो उसने मौर्दकै के लिये तैयार किया था। यहूदा आज भी उनके देश के छुटकारे को मनाते हैं। यह पुरिम त्योहार कहलाता है। परमेश्वर निश्चित रूप से उसके दासों को प्रतिफल देता है जो भलाई करते और उसके नाम के लिये क्लेश उठाते हैं। दुष्टों को भी उनकी योग्य सजा मिलेगी । नोट : एस्तेर - तारा (फारसी) यद्यपि एस्तेर की पुस्तक में ‘‘परमेश्वर’’ शब्द नहीं दिखता, लेकिन परमेश्वर के लोगों के लिये उसकी सुरक्षा और देखभाल को शुरू से अंत तक देख सकते हैं। नये नियम में पुरिम त्योहार के विषय नहीं बताया गया है परंतु यूहन्ना 5ः1 में चर्चित त्योहार यही हो सकता है
जाना है तुझको मसीही जवान, पुकारे तुझे आज सारा जहान, तू मत सोच तेरा ठिकाना कहाँ, सूली के साये तले। -2 बढ़ा चल, बढ़ा चल, मसीही जवान सूली के साये तले, सूली के साये तले।