Class 4, Lesson 2: लूत का छुटकारा

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पिछले पाठ में हमने देखा कि अब्राहम ने लूत को कैसे बचाया। तब लूत अब्राहम के साथ रह सकता था जिसने उसे छुड़ाया था। परंतु लूत ने एक गलती किया। वह सदोम वापस गया और फिर से वहीं रहने लगा। जब परमेश्वर की संतानें पाप करते हैं, परमेश्वर उन्हें ताड़ना देता है, परंतु तब भी यदि वे पाप करते रहें तो उनकी सजा बड़ी होगी (इब्रानियों12:6-7)। यह लूत का अनुभव था।’’ सदोम और गमोरा के लोग दुष्ट थे और परमेश्वर के विरुद्ध बड़े पाप कर रहे थे (उत्पत्ति 13:13)। जब उनका पाप बहुत दुखदायी हो गया (उत्पत्ति 18:20) परमेश्वर ने उन शहरों को नाश करने का निश्चय किया। धर्मी परमेश्वर पाप को बिना दंडित किये नहीं छोड़ता। वे सब जिनके नाम जीवन की पुस्तक में नहीं पाए जाएंगे वे आग की झील में जाएँगे (प्रकाशितवाक्य 20:15)। परमेश्वर ने किसी भी अन्य शहर को जलते गंधक से नाश नहीं किया था जैसा उसने सदोम और अमोरा को किया। प्रेरित पतरस कहता है कि परमेश्वर ने सदोम और अमोरा के साथ ऐसा इसलिये किया कि उन्हें इस बात का उदाहरण बनाए कि अधर्मियों का भविष्य में क्या होगा (2 पतरस 2:6)। यद्यपि परमेश्वर ने एक बार कहा था कि वह नीनवे को नष्ट कर देगा, फिर भी उसने दंड को उस समय रोक दिया जब शहर के लोगों ने पश्चाताप किया और अपने बुरे मार्गों से फिर गए। परमेश्वर उन्हें माफ करता है जो टूटे और पश्चातापी हर्दय के होते हैं (भजन 34:18)। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह सदोम और अमोरा को नष्ट करने जा रहा है (उत्पत्ति 18:16-38)। परमेश्वर अपने रहस्य उन्हीं संतानों पर प्रगट करता है जो उसके नज़दीक रहते हैं। अब्राहम ने लूत के लिये प्रार्थना किया, और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना को सुना। परमेश्वर की संतानों को चाहिये कि वे एक दूसरों के लिये प्रार्थना करें। आपको भी अपने उन मित्रों के लिये प्रार्थना करना चाहिये जो बचाए नहीं गए हैं, और उनके लिये भी जो बीमार और तकलीफ में हैं लूत को बचाने के लिये दो स्वर्गदूत सदोम में आए। जब वे आए तो वह शहर के फाटक के पास बैठा था। पुराने नियम में शहर का फाटक महत्वपूर्ण स्थान होता था। वह वही स्थान होता था जहाँ शहर के अगुवे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिये इकट्ठे होते थे और साथ ही लोगों की शिकायतों को सुनते थे (व्यवस्थाविवरण 21:19; उत्पत्ति 34:20)। जब लूत ने स्वर्गदूतों को देखा तो वह अपनी जगह से उठ गया, उनके पास गया और उन्हें दंडवत किया। अन्य लोग भी वहाँ बैठे रहे होंगे परंतु केवल लूत ही मेहमानों के स्वागत के लिये आगे बढ़ा। आगे हम पढ़ते हैं कि जब अब्राहम ने स्वर्गदूतों को देखा तो वह उनसे मिलने दौड़ पड़ा (उत्पत्ति 18:2)। जब अब्राहम और लूत ने स्वर्गदूतों को देखा तो वे जान गए कि वे धर्मी पुरुष थे यद्यपि वे सामान्य लोगों के समान ही दिख पड़ते थे। जब परमेश्वर की संतानें जो एक दूसरे को नहीं जानते आपस में मिलते हैं, तो उन्हें कुछ विशेष प्रकार का प्रेम और संबंध महसूस होता है। क्या आप जानते हैं क्यों? ऐसा इसलिये होता है क्योंकि वे एक ही पिता के संतान होते हैं। यद्यपि सदोम में रहते हुए लूत ने ऐसी बातें सीख लिया होगा जो परमेश्वर के दास के योग्य नहीं रही होगी, फिर भी पहुनाई करना उसने नहीं छोड़ा था। उसने स्वर्गदूतों को उसके घर में बुलाया और वे उसके साथ जाकर रहे। सदोम में लूत एक घर में रहता था। वह सदोम आने के पहले अब्राहम के समान तंबुओं में रहता था। वे तीर्थयात्री थे जो परमेश्वर द्वारा बताए स्थान पर जाते थे। बेशक, सदोम वह जगह नहीं थी, जो परमेश्वर ने उन्हें दिखाया था। इसलिये लूत के पास अपना घर नहीं था। रात के समय सदोम के दुष्ट लोग लूत के घर के चारों तरफ आ गए। वे उन दो व्यक्तियों को बाहर लाकर उन्हें नुकसान पहुँचाना चाहते थे। लूत ने बाहर आकर उनसे विनती किया कि वे ऐसी बुरी बात न करें, परंतु उन्होंने उसकी बात नहीं सुना। उन्होंने लूत को धमकी देना शुरू किया। शायद सदोम में लूत का घर बड़ा था और वह महत्वपूर्ण व्यक्ति था इसलिये शहर के फाटक के पास बैठा था। फिर भी, उन लोगों ने उसे हट जाने को कहा जब उसने उन्हें बुरा कार्य न करने को कहा। उसी समय उस देश के लोग जहाँ अब्राहम रहता था, उसे ‘‘प्रभु’’ कहते और उसका आदर करते थे (उत्पत्ति 23:11)। इससे हम एक सीख ले सकते हैं : यदि हम जो परमेश्वर की संतान हैं, अपने आपको संसारिक लोगों और उनके बुरे कार्यों से दूर रखें तो उनके भीतर हमारे प्रति सम्मान रहेगा यद्यपि वे बाहर से नहीं दिखाएंगे। इसलिये स्कूल में आपको दूसरों को यह दिखाना चाहिये कि आप परमेश्वर की संतानें हैं। स्वर्गदूतों ने लूत को बताया कि वे सदोम को नाश करने वाले हैं और उससे कहा कि वह अपने सभी रिश्तेदारों को इकट्ठा कर ले और तुरंत वह स्थान छोड़ दे। लूत ने पहले ही अपनी बेटियों की मंगनी सदोम के पुरुषों के साथ कर दिया था। उसी रात वह उन लोगों के घर गया और उन्हें शहर के उपर आने वाले विनाश के विषय बताया। परंतु वे दुष्ट लोग लूत पर हँसने लगे। लूत और उसके परिवार ने सदोम के रहते हुए कई सामान जोड़ लिया था, इसलिये वे उस स्थान को आसानी से छोड़ना नहीं चाहते थे। जब वे हिचकिचा रहे थे तब स्वर्गदूतों ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें शहर से बाहर ले गये। देखिये उन पर परमेश्वर का कितना बड़ा अनुग्रह था। वह उसकी संतानों पर तब भी दया दिखाता है जब वे उससे दूर चले जाते हैं। स्वर्गदूतों ने पास के सोअर शहर में जाने की लूत की बिनती को ग्रहण किया। सोअर का मतलब है ‘‘थोड़ा।’ जैसे ही लूत और उसका परिवार सदोम से सुरक्षित बाहर निकल गए, परमेश्वर ने अमोरा और सदोम पर आग और गंधक बरसा दिया और उन शहरों को नष्ट कर दिया। स्वर्गदूतों ने लूत और उसके परिवार को पीछे मुड़कर देखने से मना किया था। परंतु लूत की पत्नी ने आज्ञा का उलंघन की। उसने पीछे मुड़कर देखी और नमक का खंबा बन गई। लूत ने उसकी पत्नी और वह सब कुछ खो दिया जो उसने सदोम के दुष्ट लोगों के बीच रहकर जोड़ा था। जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं वह भी अंत में आग द्वारा नष्ट कर दी जाएगी (2 पतरस 3:10)। परंतु इससे पहले, हमारा प्रभु आएगा और जितनों ने उस पर विश्वास किया और उद्धार पाए हैं, उन्हें साथ ले जाएगा (1 थिस्स 4:16-17)। परंतु, उद्धाररहित लोगों को अनंतकालीन आग में छोड़ दिया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 20:14 नोट : ऐसा विश्वास किया जाता है कि मृत सागर का उथला भाग ही सदोम और अमोरा का हिस्सा है। कुछ अरबी लोग इसे लूत का समुद्र कहते हैं। यह 50 मील लंबा और 11 मील चौड़ा है। मृत सागर की सतह समुद्र सतह से 1340 फीट नीचे है। यह पृथ्वी पर पानी की सबसे निचली सतह है। चूँकि पानी का घनत्व सामान्य समुद्र के पानी से ज्यादा है, उसमें कोई डूब नहीं सकता

Excercies

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I have decided to follow Jesus; (3) No turning back (2). 1. The Cross before me; the world behind me, (3) No turning back (2). 2. Though none go with me, still I will follow; (3) No turning back (2). 3. Take the whole world, but give me my Savior; (3) No turning back (2). 4. Will you decide now to follow Jesus? (3) No turning back (2).