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परिचय : ‘‘नओमी, मोआब में भोजन है। आओ हम वहाँ जाकर तब तक रहें जब तक अकाल खत्म न हो जाए।’’ शायद एलीमेलेक ने एक दिन उसकी पत्नी से यही कहा था। आइये हम उस संदर्भ को देखें जिनमें ये शब्द कहे गये थे। न्यायियों के समय में यहूदा देश अकाल से ग्रस्त हुआ। बैतलहम के यहूदा में एक व्यक्ति था जिसका नाम एलीमेलेक था। जुबुलून में एक और बैतलहम था जो नासरत के उत्तर में 11 कि.मी. की दूरी पर था। जब अकाल ज्यादा ही गंभीर हो गया, तो एलीमेलेक उसकी पत्नी और दो बेटों के साथ मोआब को चला गया। मोआब मृत सागर के पूर्व में है। बैतलहम और मोआब की दूरी करीब 90 कि.मी. की है। मोआबी लोग लूत के वंशज होने के कारण इस्राएलियों से संबंधित थे, परंतु उनका संबंध मित्रता का नहीं था। परमेश्वर की इस्राएल को यह आज्ञा थी कि उन्हें प्रभु की मंडली में दसवी पीढ़ी से पहले किसी मोआबी को स्थान नहीं देना चाहिये एलीमेलेक मोआब में मर गया। बहुत पहले ही उसके पुत्र महलोन और किल्योन जिन्होंने मोआबी स्त्रियों से विवाह किया था, मर गये थे। विधवा नओमी ने उसके अपने देश वापस जाने का निर्णय ली। इस समय तक अकाल खत्म हो चुका था और बेतलहम मे कटनी का समय था। वह अपनी दो बहुओं के साथ निकल पड़ी। थोड़ी दूर जाने के बाद नओमी ने अपनी बहुओं से उनके घर वापस जाने को कही। उसने उन्हें परमेश्वर के सुपुर्द की और बिदा की (1:8-9)। ओर्पा ने अपनी सास को चूमी और बिदा होकर अपने घर चली गई, परंतु रूत नओमी के साथ ही रही। उसने अपना प्रेम और निर्णय हृदय को छू लेने वाले तरीके से प्रगट की (1:16-17)। वे शब्द जो रूत ने नओमी से की, वे परमेश्वर की संतान को परमेश्वर के साथ वाचा बांधने के लिये आदर्श हैं। रूत जानती थी कि यदि वह बूढ़ी विधवा के साथ रहेगी तो उसे कोई भौतिक फायदा नहीं होगा, परंतु चूँकि उसने नओमी के जीवित परमेश्वर को चुनी थी और उस पर विश्वास की थी उसने नओमी के साथ जाने का निर्णय ली। ओर्पा भी इस्राएल के परमेश्वर को जानती थी। वह भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ सच्चे ईश्वर की आराधना पति के घर में रहते हुए कर सकती थी, परंतु जब परीक्षा का समय आया तो वह अपने लोगों और उनके ईश्वरों के पास लौट गई। जब हमारे जीवन में क्लेश या निराशा होती है, तब ही जाना जाता है कि हमारा विश्वास उचित है या नहीं नओमी और रूत बेतलहम चले गये। उनके आगमन से शहर में खामोशी छा गई। बेशक उन्होंने नओमी के विषय बातें की जिसने अपने पति के साथ और दो पुत्रों के साथ वह स्थान छोड़ी थी और एक अन्यजातीय बहू के साथ अकेली लौटी थी। इन दोनों स्त्रियों को जो बेतलहम लौटी थीं, भोजन की जरूरत पड़ी। जब परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था दिया तो उसने उनसे कहा था, ‘‘फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने-कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।...उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना (लैव्यवस्था 19:9-10; व्यवस्थाविवरण 24:19,21)। रूत ने इसके विषय नओमी से सुनी होगी। उसने खेतों में जाकर अपनी सास और अपने लिये बीनने का निर्णय ली। घर पर समय नष्ट न करते हुए वह जव के खेत में चली गई। परमेश्वर ने उसके निर्णय और इच्छा का आदर किया। जिस खेत में वह बीनने गई थी उसके मालिक ने उस पर विशेष कृपा दिखाया। शाम को वह अपनी सास के साथ वह सब ले आई जो उसने बीनी थी। उसने भूने हुए अनाज में से भी कुछ हिस्सा उसे दी जो उसे दिन के समय दिया गया था। उसकी सास के प्रति उसके प्रेम और फिक्र को देखिये। बच्चों की यह जवाबदारी है कि वे अपने बीमार और बूढ़े माता-पिता की देखभाल करें। रूत ने न केवल जव और भूना अनाज ही उसे दी परंतु उसे यह भी बताई कि वह बीनने के लिये कहाँ गई थी और दिन भर क्या-क्या हुआ था। नओमी ने उसे सलाह दी की उसे आगे क्या करना चाहिये। क्या आप कभी कभी अपने माता-पिता से कुछ बातें छिपाते हैं? जब आप अपनी कठिनाइयों के विषय उन्हें बताएँगे तो वे आपको अच्छी सलाह और मार्गदर्शन दे सकेंगे। सुलैमान के शब्दों को याद रखें, ‘‘हे मेरे पुत्र मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न तज’’ (नीतिवचन 6:20; 3:1) नओमी ने रूत से पूछी, ‘तू बीनने के लिये कहाँ गई थी?’’ हमें यह प्रश्न स्वयँ से पूछना चाहिये, ‘‘आज मैंने कहाँ से बीना/बीनी? मैंने कौन से कार्य किये? मैंने क्या अध्ययन किया? क्या आज मैंने प्रभु के खेत में काम किया या शैतान के खेत में किया है?’’ हर रात सोने के पहले ये प्रश्न स्वयँ से पूछें। नोट : बेतलहम का मूल नाम एप्राता था। इसलिये एप्राती नाम 1:2 में है। देखें उत्पत्ति 35:19, 48:7। नओमी - प्रसन्नचित एलीमेलेक - परमेश्वर राजा है बेतलहम - रोटी का घर
अपनी समझ का सहारा मैं लेता, तो मिलती पराजय मुझे, तेरी दया की दो बूंदें मिलेगीं तो जय का है निश्चय मुझे, आत्मा के फलों से हृदय सजाकर जीवन बिताऊंगा तेरे लिये। कांटों में चलूंगा तेरे लिए दुख भी उठाऊँगा तेरे लिये, मैं ने यह जीवन तुझको दिया है जीवन बनाऊँगा तेरे लिये।