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परिचय : एक व्यक्ति ने जिसका उँट खो गया था यह वाचा बांधा कि जब वह उसे मिल जाएगा तो वह उसे एक दिरहाम में बेच देगा। जब उसे वह ऊँट मिल गया, तो अपनी वाचा के विषय पछताते हुए, उसने उसके गले में एक बिल्ली बांध दिया और कहा, ‘‘इस ऊँट को एक दिरहाम और बिल्ली को सौ दिरहाम में कौन खरीदेगा; परंतु दोनों एक साथ खरीदना होगा क्योंकि मैं उन्हें अलग नहीं करूंगा’’ कुछ लोग उनकी वाचा को इसी तरह पूरी करते हैं। परंतु आइये हम देखें कि एक व्यक्ति ने उसकी वाचा को किस तरह पूरी किया। यहोशू की मृत्यु के बाद परमेश्वर ने इस्राएलियों की अगुवाई करने के लिये न्यायियों को ठहराया। यिप्तह उनमें से एक था। उसके पिता का नाम गिलाद था। जब गिलाद का छोटा बेटा बड़ा हो गया तो उन्होंने यिप्तह को जो दूसरी माँ से था, दूर भेज दिया। वह तोब देश को भाग गया, उत्तरी गिलाद का एक स्थान, और वहीं रहने लगा। क्योंकि वह एक बलवान व्यक्ति था, लोगों का एक समूह तोब में उसके इर्द-गिर्द जमा हो गया। और उसके पीछे चलने लगा। उन दिनों अम्मोनियों की संतानों ने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध किया। अम्मोनी लूत के वंशज थे। परमेश्वर ने पहले ही इस्राएल को आज्ञा दिया था कि वे उनके साथ कोई हस्तक्षेप न करें और न उनकी भूमि लें, क्योंकि उसने वह लूत की संतानों को दी थी (व्यवस्थाविवरण 2:19)। परंतु बाद में अम्मोनियों ने इस्राएल को बहुत तकलीफ दी । जब उन्होंने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध किया तब यिप्तह के देश के लोगों ने उसकी मदद मांगी । गिलाद के वृद्धों ने उससे कहा, ‘‘अम्मोनियों की संतानों से लढ़ने के लिये हमारा प्रधान हो जा।’ यिप्तह ने सोचा कि जिन्होंने पहले उसे निकाल दिया था वे युद्ध जीतने के बाद फिर से वैसा ही करेंगे। लेकिन, वह उनका प्रधान बना जब उन्होंने उसे यह यकीन दिलाया कि वे उसे अपने अगुवे के रूप में रखेंगे। यह यकीन मिसपा में परमेश्वर और लोगों के बीच फिर से पक्का किया गया। यिप्तह परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति था। वह अपनी समस्याओं को परमेश्वर के सामने लाता था, और प्रार्थना करता था (पद 11)। हम समझ सकते हैं कि यह विश्वास की प्रार्थना होती थी क्योंकि हम उसका नाम विश्वास के नायकों के साथ इब्रानियों की पुस्तक में पाते हैं (इब्रानियों 11:32)। यिप्तह ने अम्मोनियों के साथ युद्ध टालने की कोशिश की थी । उसने उनके राजा को शांति प्रस्ताव लेकर दूत भेजा। उसने राजा द्वारा लगाए आरोपों का अच्छा जवाब दिया। परंतु, राजा ने उन पर ध्यान नहीं दिया। उसने गिलाद और मनश्शे से सेना इकट्ठी की और फिर से मिसपा आया। फिर वह युद्ध के लिये निकल पड़ा। उन दिनों के राजाओं और प्रधानों की रीति के अनुसार यिप्तह ने परमेश्वर से यह कहकर वाचा बांधी : ‘‘यदि तू निःसंदेह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट जाऊँ तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा और मैं उसे होमबलि करके चढाऊँगा।’’ यह निश्चित रूप से बुद्धिमानी की प्रतिज्ञा नहीं थी। यद्यपि परमेश्वर ने यिप्तह को इस्राएलियों को बचाने के लिये चुना था, फिर भी वह उसके दोषों से मुक्त नहीं था। परमेश्वर के महान सेवकों की भी अपनी कमजोरियाँ होती हैं। हमारी कई असफलताओं के बावजूद परमेश्वर हम से प्रेम करता और हमारा उपयोग करता है। भजनकार कहता है ‘‘वह जानता है कि हम कैसे बनाए गए; वह नहीं भूलता कि हम मिट्टी ही हैं।’जब यिप्तह अम्मोनियों को पराजित करके लौटा तो उसकी अपनी बच्ची ही उससे मिलने सामने आयी। जब उसने उसे देखा तो कितना दुखी हुआ होगा। उसने उसकी मूर्खतापूर्ण वाचा को याद किया। हमें परमेश्वर के वचन के विरुद्ध वाचा नहीं बांधनी चाहिये। यदि हम ऐसी वाचा बांधेगे तो निश्चय पछताएँगे। जब यिप्तह ने उसकी बेटी को उसकी वाचा के विषय बताया तो उसने उसे न दोष दी और न बुरा कहा। क्या आप कभी अपने माता-पिता का प्रतिकार करते हैं जब वे ऐसी बात कहते हैं जो आपको पसंद नहीं होती? ‘‘पिताजी, आप अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार ही मुझसे बर्ताव करें।’’ यही बात बेटी ने अपने पिता से कही,। देखो, वह कितनी आज्ञाकारी थी। पद 39 में हम पढ़ते हैं कि यिप्तह ने उसके साथ वाचा के अनुसार ही किया। यहाँ हम यिप्तह के अच्छे गुण को देखते हैं। उसने परमेश्वर के साथ बांधी गई वाचा को पूरी किया यद्यपि उसे उसकी भारी कीमत चुकाना पड़ी और उसे बहुत दुख पहुँचा था। और उसके पुत्री द्वारा पिता की आज्ञापालन यहाँ तक कि अपने प्राण देकर भी, हमारे लिये बड़ा उदाहरण है। नोट : मिसपा - देखें उत्पत्ति 31:48-49। गिलाद - यरदन के पूर्व में एक पहाड़ी प्रदेश। यरदन के पूर्व की भूमि रूबेन और गाद के गोत्रों की संपत्ति थी और मनश्शे के गोत्र के आधे लोगों की थी।
जो दुर्जन से हरदम निगाहे फिराता, फकत नेक बंदों की इज्जत वह करता , वो जो कसम खाके टलता नहीं है, जो हानि सहे पर बदलता नहीं है, वो... धन्य है वो, धन्य है वो, तेरे पवित्र पर्वत पे जाके वो ही बसेगा । ए खुदावंद बता, खुदावंद बता, तेरे खैमे में कौन रहेगा, कौन रहेगा, तेरे पवित्र पर्वत पे जाके कौन बसेगा ।