Class 4, Lesson 11: गिबोन के निवासी

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कृतिदेव यहां क्या आपको कभी ऐसे निर्णय लेना पड़ा जो कठिन था? कुछ निर्णय सरल होते हैं, जैसे मुझे चॉकलेट चाहिये या आइसक्रीम? ऐसे निर्णय लेने के लिये आपको बहुत अधिक बुद्धी की जरूरत नहीं होती! परंतु जब आपको मेडिकल कोर्स या इंजिनियरिंग कोर्स के बीच निर्णय लेना होता है तब यह थोड़ा कठिन हो जाता है। सभी निर्णय इतने आसान नहीं होते कुछ निर्णय लेना कठिन होता है। कभी कभी हमारे निर्णय गलत भी हो सकते हैं। अब हम देखेंगे कि यहोशू ने किस तरह एक महत्वपूर्ण निर्णय गलत रीति से लिया। गिबोनी के निवासियों ने सुना कि किस तरह इस्राएलियों ने यरीहो और ऐ पर कब्जा किया। सब जगह यह चर्चा थी कि इस्राएल के लोग क्या कर रहे थे। गिबोन जो यरूशलेम से छः मील उत्तरपूर्व में था अगला निशाना दिख रहा था। यह उस समय के बड़े शहरों में से एक था, परंतु जैसा कि गिबोनी जानते थे कि वे बढ़ते हुए इस्राएलियों के सामने टिक नहीं सकेंगे उन्होंने छल से एक समझौता करने का निर्णय लिया। उन्होंने ऐसा ढोंग किया कि वे दूर देश से आए हैं और गिलगाल में यहोशू से मिले। बासी रोटी, फटे जूते और पुराने कपड़ों और मदिरा के कुप्पे के साथ उन्होंने यहोशू को आसानी से विश्वास दिला दिया कि वे सचमुच दूर देश से आए हैं और वे उस देशों में के नहीं है जिन्हें नष्ट करने की आज्ञा परमेश्वर ने उन्हें दी है। गिबोनियों ने कहा, ‘‘तेरे दास तेरे परमेश्वर यहोवा का नाम सुनकर आए हैं क्योंकि हमने उसकी कीर्ति सुना है और भी जो उसने मिस्र, और एमोरियों के राजाओं, तथा सीहोन और ओग के साथ किया है। हमारे वृद्ध लोगों ने हमें यह कहने भेजा है, ‘‘हम तुम्हारे दास हैं, इसलिये अब तुम हमसे वाचा बांधो।’’ इस बात ने यहोशू और प्राचीनों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे सारी महिमा परमेश्वर को दे रहे थे और कि वे परमेश्वर का भय मानने वाले लोग थे। कभी-कभी शैतान परमेश्वर के लोगों को धोखा देने के लिये परमेश्वर के नाम का उपयोग करता है। गिबोनियों ने यरीहो और ऐ पर इस्राएलियों की जीत के विषय कुछ कहने से सावधानीपूर्वक बचाव किया। क्योंकि वे दूर देश से आने का ढोंग कर रहे थे, यदि वे हाल ही की घटनाओं के विषय कुछ कहते तो वे स्वयँ को ही धोखा दिये होते परमेश्वर ने इस्राएल को स्पष्ट रीति से आज्ञा दिया था कि उन्हें उस देश के किसी भी रहवासी से कोई वाचा नहीं बांधनी चाहिये (निर्गमन 23:32, 34:12; व्यवस्थाविवरण 7:2)। यहोशू और उसके लोगों ने उनकी कुछ बासी रोटियों को चखकर भी देखा और दाखमधु को भी चखा। बाइबल में अगले शब्द बहुत दुखदायी हैं। ‘‘...परंतु उन्होंने (यहोशू और इस्राएल के शासक) यहोवा से बिना सलाह लिये’’ उनके भोजन में से कुछ ग्रहण किया। उन्होंने सोचा कि जो कहानी गिबोनियों ने कहा था वह सच थी। उन्होंने उनके साथ शांति स्थापित की और उनसे प्रतिज्ञा किया कि वे उन्हें किसी भी तरह हानि नहीं पहुँचाएगे। हमें, जो परमेश्वर के लिये अलग किए गए हैं, संसार का पक्ष नहीं लेना चाहिये, क्योंकि ऐसे समझौते परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं तीन दिनों के बाद ही इस्राएलियों को पता चला कि वे गिबोनी उनके पड़ोसी थे। चूंकि, उन्होंने उनके साथ वाचा बांधी थी , वे उन्हें नाश नहीं कर सके। चाहे जो भी कीमत चुकानी पडे़, परमेश्वर की संतानां को परमेश्वर के नाम से किये गये सभी वायदों को पूरा करना चाहिये। एक अच्छी बात थी कि इस्राएलियों को समर्पण करते समय, गिबोनियों ने कुछ हद तक अपनी मूर्तियों को छोड़ना शुरू कर दिया था और इस्राएल के परमेश्वर को समर्पित हो रहे थे। यहोशू ने आदेश दिया कि गिबोनी लोग हमेशा गुलाम बनकर रहेंगे। उसने उन्हें लकड़हारे और पानी भरनेवाले बना दिया। उन्हें इस्राएलियों और प्रभु की वेदी की सेवा करना था। यह काम शाप या सजा के रूप में दिया गया था। परंतु गिबोनियों ने इसे खुशी-खुशी मंजूर कर लिया क्योंकि उनके लिये यह आशीष का कारण था। परमेश्वर की वेदी या परमेश्वर के भवन के लिये किया गया कोई भी कार्य आदरयोग्य होता है। लेकिन क्योंकि यहोशू और अगुवों ने परमेश्वर की सलाह नहीं मांगा था, गिबोनी कई वर्षों तक इस्राएल के लिये समस्या बने रहे । नहेम्याह के दिनों में जब यरूशलेम पुनः बसाया जा रहा था, गिबोनी उस कार्य में सहायक थे (नहेम्याह 3:7)। एक समय शाऊल राजा ने इस समझौते का उलंघन किया और कुछ गिबोनियों को मार डाला था। इस कारण परमेश्वर उससे नाराज था (2 शमुएल 21)। मनुष्य वाचा तोड़ देता है और समझौते भूल जाता है परंतु परमेश्वर का वचन और परमेश्वर की वाचाएँ कभी नहीं बदलती। परमेश्वर की संतानें हमेशा परमेश्वर की इच्छानुसार निर्णय लेती हैं और परमेश्वर के साथ की गई वाचा नहीं तोड़ती क्योंकि मसीह कल, आज और युगानुयुग एक सा है। नोट : गिबोन का आधुनिक नाम एल-जिब है। जब इस्त्राएल की भूमि का बँटवारा हुआ था तब गिबोन, बिन्यामिनियों को दिये गये भूभाग के अंतरगत था (यहोशू 18ः25)।

Excercies

Song

राहें मसीही ऐसी है कि उन पर चलना है कठिन, मुझको ऐसी शक्ति दो, चलता रहूं मैं रात और दिन, केवल तेरा वचन रहे मेरे साथ मेरे साथ। हर घड़ी चलता रहूं तेरे साथ तेरे साथ ।