Class 4, Lesson 1: इब्राहीम और लूत

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जब लूत सदोम में रहता था तब कुछ राजाओं के बीच युद्ध हुआ जिनसे एक सदोम का राजा भी था। बाइबल में इस युद्ध के विवरण इसलिये दिये गए हैं क्योंकि लूत, अब्राहम का भतीजा इस युद्ध में शामिल था। परमेश्वर की संतानें जिन घटनाओं में सम्मिलित होती हैं वे परमेश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण होती हैं। ‘‘यहोवा की आखें धर्मियों पर लगी रहती हैं और उसके कान भी उनकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं’’ (भजन 34:15)। इसलिये याद रखें कि परमेश्वर की आखें उस स्कूल पर लगी रहती हैं जिसमें आप पढ़ते हैं, जिस घर में आप रहते हैं, जिस ट्रेन या बस में आप यात्रा करते हैं उन पर भी लगी रहती हैं।युद्ध में सदोम का राजा और उसके साथी हार गए। विजयी राजा ने शहर में से जो कुछ ले सकता था ले लिया और शहर के लोगों को भी ले गया क्योंकि वह उन्हें गुलाम बनाना चाहता था। लूत और उसका सब कुछ इस विजेता द्वारा ले लिया गया था| आप को याद होगा जब अब्राहम ऊर में रहता था और परमेश्वर ने उसे प्रगट होकर कहा था, कि वह उस स्थान को जाए जो वह उसे दिखाएगा। परमेश्वर की आज्ञापालन करने के लिये अब्राहम निकल पड़ा था। लूत अब्राहम के भाई का लड़का था। जब लूत ने सुना कि परमेश्वर ने उसके चाचा से बात किया है तो उसने भी विश्वास किया और अब्राहम के साथ चला गया। अब्राहम और लूत दोनों साथ रहे और कुछ समय तक खुशी से यात्रा किया, परंतु जब संपत्ति बढ़ गई तो लूत उसे थोड़ा और बढ़ाना चाहता था। इसलिये वह उसके भले और परमेश्वर का भय मानने वाले चाचा को छोड़कर ज्यादा उपजाऊ स्थानों में चला गया। इस तरह वह सदोम पहुँचा। परंतु सदोम के लोग बहुत दुष्ट थे। यदि हम बुरे लोगों की संगति में शामिल होंगे, तो निश्चय हम खतरे में पड़ जाएंगे। इसमें आश्चर्य की बात नहीं कि लूत भी जल्द ही खतरे में पड़ गया। जब युद्ध में वे हराए गए तो कुछ लोग बचकर भाग निकले। जो बच निकले थे उनमें से एक ने अब्राहम को लूत की स्थिति के विषय बताया। अब्राहम बहुत दुखी हुआ और उसने परमेश्वर से प्रार्थना किया। जब हम मुसीबत में होते हैं तब हमें सबसे पहले परमेश्वर से सहायता मांगना चाहिये। अब्राहम लूत की मदद के लिये तैयार हो गया। यदि अब्राहम की जगह हम में से कुछ होते तो कहे होतेः ‘‘क्योंकि उसने मुझे छोड़ दिया, तो उसे भुगतने दो और सबक सीखने दो!’’ क्या आप उस समय खुश होते हैं जब कोई व्यक्ति मुसीबत में होता है जिसे आप पसंद नहीं करते? परंतु अब्राहम ने ऐसा नहीं सोचा। उसने और उसके लोगों ने लूत को बचाने को अपनी जान का जोखिम उठाया।। आप जानते हैं कि अब्राहम बहुत धनी था। परमेश्वर ने अपने दास को अपरंपार संपत्ति दिया जिसने उस पर विश्वास किया था। उन दिनों में धनी व्यक्तियों के पास कई दास होते थे। अब्राहम के कई दास उसी के घर में पले-बढ़े थे। वे अब्राहम को पिता जैसे प्रेम करते थे क्योंकि वह उनके साथ बहुत दयालू था। हमें भी उन दासों के साथ दयालुता करना चाहिये जो हमारे घरों में काम करते हैं और उन गरीबों के साथ भी जो हमारे आसपास रहते हैं। जब अब्राहम लूत को बचाने के लिये तैयार हुआ तब उसके साथ उसके 318 प्रशिक्षित दास थे। अब्राहम की हिम्मत को देखिये जो चार राजाओं और उनकी सेनाओं से लड़ने के लिये निकल पड़ा था। क्या आप जानते हैं कि अब्राहम को यह हिम्मत कैसे मिली? परमेश्वर पर विश्वास करने के द्वारा! हमारे परमेश्वर का नाम ही ‘‘सेनाओं का यहोवा’ अब्राहम रात के समय उस स्थान में गया और जब शत्रु सो रहे थे, वह उन पर झपट पड़ा और उन्हें पहाड़ों पर भगा दिया। उनकी छावनी में उसने लूत, उसकी पत्नी, बेटियों और सभी सामानों के साथ सुरक्षित पाया। अब्राहम ने उन सब को छुड़ाया जो शक्तिशाली राजाओं के द्वारा बंधक बनाए गए थे। मलिकिसिदक जो परमप्रधान ईश्वर का याजक और शालेम का राजा था अब्राहम से मिलने बाहर आया। उसने अब्राहम को रोटी और दाखमधु दिया और परमेश्वर के नाम से आशीष दिया। अब्राहम ने शत्रुओं से प्राप्त सब चीजों में से मलिकिसिदक को दशमांश दिया। यह दान परमेश्वर के प्रति धन्यवाद की अभिव्यक्ति था। हम और जो कुछ हमारा है वह सब परमेश्वर का है। अब्राहम सब लूट का सारा सामान खुद रख सकता था परंतु उसने सदोम के राजा को सब दे दिया। हम देखते हैं कि अब्राहम धन और चीजों के मोह से मुक्त था(1 तीमु. 6:10) अब्राहम सावधान था, न केवल सदोम के राजा को सब लूट देने में परंतु उस परमेश्वर के विषय बताने में भी जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया (उत्पत्ति 14:23)। हम परमेश्वर की संतानों को, जब भी हमें मौका मिले प्रभु यीशु के विषय दूसरों को बताने के लिये तैयार रहना चाहिये। नोट : मलिकिसिदक : धार्मिकता का राजा शालेम : शांति। शालेम यरूशलेम हो सकता है। जब ये सब बातें हुई तो अब्राहम का नाम अब्राम था। कुछ समय के बाद ही परमेश्वर ने उसे अब्राहम नाम दिया था। जिसका मतलब है ‘‘बहुतों का पिता।’’

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तन, मन और धन उसे दो अपने यीशु को सब कुछ दो क्योंकि उसी के द्वारा उद्धार पाना है जीती आत्मा का दान उसे दो। 1 गर यीशु के बनना चाहो, कुछ करके दिखाना होगा, खुद बचना काफी नहीं है औरों को बचाना होगा दिल में पहली जगह उसे दो। 2 गर यीशु की सेवा करोगे अपनी आशीष वह तुमको देगा गर पाप की सेवा करोगे हरगिज नहीं माफ करेगा, उसके लहू में दिल धो लो। 3 यीशु नाम को अपना कहना, जैसे काँटों की राहों पे चलना और सच्चा मसीही बनना संग क्रूस पर उसके मरना, जिन्दा रहने की शक्ति ले लो।