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मिस्र से निकलकर तीन महीनें के उपरांत इस्राएली सीनै पर्वत के समीप आ पहुँचे । उन्होंने पर्वत के नीचे छावनी डाली और परमेश्वर उनके बीच पर्वत के ऊपर बादलों में उतर आये । तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर की उपस्थिति में चढ़ गया और दस आज्ञाओं को प्राप्त किया जिसे परमेश्वर ने पत्थर की दो तख्तियों पर लिखा था । वे सभी आज्ञाएँ निम्नलिखित है जिनका उल्लेख नये नियम में भी है:- 1 . तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना । मत्ती 4:10 2 . तू अपने लिए कोई मर्ति खोदकर न बनाना, तू उनको दण्डवत न करना और न उनकी उपासना करना । 1 कुरि 10:14, यूहन्ना 5:21 3 . तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना । मत्ती 5:34-35 4 . तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना । कुलि 2:16 5 . तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना । इफि 6:1-2 6 . तू खून न करना । यूहन्ना 3:15 7 . तू व्यभिचार न करना । मत्ती 5:27-28 8 . तू चोरी न करना । इफि 4:28 9 . तू किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी न देना । कुलि 3:9 10 . तू अपने पड़ोसी के किसी चीज का लालच न करना । गल 3:5 हम जानते हैं कि इन आज्ञाओं का पालन हम पूर्ण रूप से कभी भी नहीं कर सकते हैं ।परन्तु नये नियम में हम पाते हैं कि ये दस आज्ञाएँ , दो आज्ञाओं के द्वारा ही पूरी हो जाती है । 1 . तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख । 2 . अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख । चौथी आज्ञा इस्राएलियों के लिए थी । अतः यह आज्ञा कलिसिया के लिए नहीं है ।
This is My commandment, that you love one another, (that your joy may be full) (3) this is My commandment that you love one another, that your joy may be full