Class 3, Lesson 40: तीमुथियुस

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Lesson Text

तीमुथियुस की माँ यूनीके और उसकी नानी माँ लोइस विश्वासी औरतें थी और वे बाल्यवस्था में ही तीमुथियुस को परमेश्वर का वचन सीखा चुकी थी । तीमुथियुस लुस्त्रा और इकुनियुम के भाइयों में सुनाम था । इसलिए उसे पौलुस अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया । हर कोई जानता था, कि तीमुथियुस का पिता युनानी था । इसलिए पौलुस यहूदी रीति के अनुसार उसका खतना करने का निर्णय लिया, ताकि यहूदी उसे स्वीकार कर लें । वह पौलुस के साथ त्रोआस, फिलिप्पी और बहुत सारे स्थानों में गया । थिस्सलुनीके के यहूदीयों ने यीशु पर विश्वास नहीं किया बल्की समस्याएँ उत्पन्न करने लगे । अतः भाइयों ने प्रचारकों को बिरीया भेज दिया, जहाँ के यहूदी वचन को ग्रहण करने वाले थे । वहाँ अनेक लोग कलीसिया में शामिल हो गए । पर जब इसके बारे में थिस्सलुनीके के यहूदियों ने सुना, तो बिरीया आये और विश्वासियों के लिये परेशानियाँ खड़ी करने लगे । तब पौलुस अथेंन्स चला गया और सीलास और तीमुथियुस वहीं रह गए । पौलुस ने तीमुथियुस को दो पत्रियाँ लिखी, जिससे हम जानते हैं, मिशनरी कार्य क्षेत्र में वह कितना अच्छा एक सहयोगी था । तीमुथियुस ने अपने विश्वास के लिये सताव और कैद का दुःख भी सहा । (इब्रानियों 13ः23) पौलुस तीमुथियुस को पुत्र के समान प्रेम करता था और उसके लिये बहुत अधिक प्रार्थना किया करता था । उसने उसे कलीसिया को अनुशासित करना सीखाया और हर प्रचारक को आज उन पत्रियों का अध्ययन करना चाहिए, जिसे पौलुस ने तिमुथियुस को लिखा था ।

Excercies

Song

एक छोटा दिया प्रभु का दूर चमकने दो 3 हर जगह हर समय रोशनी दो। 1 जा के उसको फूंक दूं क्या, नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो। 2 टोकरी के नीचे रख दूं क्या नहीं चमकने दो। (3) हर जगह हर समय रोशनी दो।