Class 3, Lesson 4: याकूब एवं लाबान

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Lesson Text

याकूब कनान से निकल पड़ा, तब परमेश्वर ने उसे मार्ग में दर्शन देकर उसे और उसके संतानों को उन सभी आशिषों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की जो उसने अब्राहम से किया था । वह मार्ग में आगे बढ़ता रहा और अन्ततः वह पद्दनराम में पहुँचा और एक कुएँ के पास बैठ गया, वह जानता था कि चरवाहे अपनी भेड़ बकरियों के झुण्ड को पानी पिलाने अवश्य आऐंगे । जब वे आ पहुंचे तो वह उनसे पूछा, क्या वे लाबान को जानते हैं ? उन्होंने कहा, हाँ हम जानते हैं और उसकी बेटी राहेल अपनी भेड़ों को पानी पिलाने के लिए इसी कुएँ के पास ही आ रही है । शीघ्र की राहेल कुएँ के पास आ गई और याकूब ने रिबका के पुत्र के रूप में उसे अपना परिचय दिया । तब राहेल दौड़कर अपने घर गई और अपने पिता को उसी तरह बताया जिस तरह रिबका ने कई साल पहले किया था । लाबान बाहर आकर याकूब को अपने घर ले गया । याकूब लाबान के लिए एक अच्छा सहायक था, क्योंकि उसे भेड़ों को चराना एवं घर की देखभाल करना मालूम था । लाबान याकूब को अपने साथ रखने के विषय में चिंतित था, इसलिए उसने उससे पूछा, कि इसके बदले में वह क्या लेना चाहता है ? याकूब ने उत्तर दिया कि वह उसकी बेटी राहेल को अपनी पत्नि बनाना चाहता है । लाबान इसके लिए तैयार हो गया और इसी शर्त के अनुसार याकूब ने उसके लिए सात वर्ष तक सेवा की । याकूब ने सात वर्ष तक सेवा कर, लाबान से विवाह के लिये राहेल का हाथ माँगा। लाबान इसके लिए राजी हो गया और जेवनार कर मेहमानों को रात्री में विवाह के लिए बुलाया। भाई को ठगा था और वह स्वयं ही ठगा गया था । इसलिए दूसरे लोगों के प्रति हमें सदा गया । परन्तु भोर को याकूब को मालूम हुआ कि उसे लाबान की बड़ी बेटी लिआ को उसकी पत्नि होने के लिए दिया, राहेल को नहीं जिससे वह बहुत प्रेम करता था । याकूब ने अपने पिता एवं विश्वासयोग्य रहना चाहिए जब हम चाहते हैं कि दूसरे भी हमारे प्रति विश्वासयोग्य रहें । याकूब रोते-बिलखते हुए इस छल के विषय में लाबान से शिकायत किया जो उसके साथ किया गया था, परन्तु लाबान ने उसे उत्तर दिया कि हमारे यहाँ ऐसी रीति नहीं है कि जेठी से पहले छोटी का विवाह कर दिया जाये । इस तरह वह राहेल का विवाह भी उसके विवाह का सप्ताह (दूल्हे और दूल्हन के उत्सव हेतु एक सप्ताह) पूरा होने के बाद करना चाहता था । जिसके लिए याकूब को पुनः लाबान हेतू सात वर्ष सेवा करना आवश्यक था । याकूब राहेल से बहुत अधिक प्रीति रखता था इसलिए वह तैयार हो गया और राहेल को अपनी पत्नि बना लिया । चौदह वर्ष रहकर याकूब ने लाबान के लिए कठिन सेवा की । तब वह भेड़ बकरियों एवं पशुओं में अंश (हिस्सा) लेकर लाबान के लिए सेवा करने पर राजी हुआ । इस तरह छः वर्ष और बीत गये । याकूब के पास अब ग्यारह बेटे और एक बेटी दीना थी । सबसे छोटा पुत्र युसूफ था । (बिन्यामिन सबसे छोटा पुत्र था जिसका जन्म कनान में हुआ) अब याकूब कनान लौटना चाह रहा था पर लाबान को यह मालूम हो गया था कि परमेश्वर ने याकूब के कारण ही उसे आशिष दी है इसलिए वह उसे नहीं जाने देना चाहता था । याकूब के अंश का धन भी बहुत अधिक बढ़ गया जिसके कारण लाबान के पुत्रों ने उसकी शिकायत करना आरम्भ कर दिया । तब परमेश्वर ने याकूब से कनान वापस लौटने के लिए कहा । लाबान अपने अंश के भेड़ों के साथ बहुत दूर चला गया था । तब याकूब ने अपनी पत्नियों एवं बच्चों को उँटों पर सवार कर और भेड़ बकरियों तथा पशुओं को लेकर उस स्थान से निकल पड़ा । जब लाबान को यह मालूम हुआ तो वह अपने लोगों के साथ बड़ी शीघ्रता से उसका पीछा किया । परन्तु परमेश्वर ने मार्ग ही में लाबान से कहा कि याकूब को हानी मत पहुँच, तौभी लाबान ने याकूब को चोरी से चले आने के लिए डाँटा । तब उन्होंने आपस में यह वाचा बान्धा कि वे एक दूसरे की हानि नहीं करेगें । उन्होंने उस स्थान का नाम मिस्पा रखा अर्थात "प्रभु हमें देखते रहें" तब याकूब ने अपने मार्ग में आगे बढ़ने से पहले परमेश्वर को बलिदान चढ़ाया और लाबान पद्दनराम को लौट गया ।

Excercies

Song

Humble thyself in the sight of the Lord (2) And He shall lift you high, higher and higher and He shall lift you high. Call upon the name of the Lord (2) And He shall lift you high, higher and higher and He shall lift you high.