Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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उन दिनों में हनन्याह नाम एक मनुष्य था, जिसने प्रभु को देने के लिए अपनी सम्पत्ति का कुछ हिस्सा बेच दिया, पर उसने उसके दाम मे से कुछ भाग अपने लिए रखने का निश्चय किया । श्याद उसने अपने भविष्य के विषय में सोच-विचार किया होगा । इसलिए वह अपनी पत्नी के साथ, अपने लिए दाम में से कुछ भाग रखने एवं कुछ भाग कलीसिया को देने का षड़यंत्र किया । अपनी योजना के अनुसार, हनन्याह रूपये का कुछ हिस्सा ले आया और पूरी राशि है बताकर, उसे प्रेरितों को दिया । प्रेरितों ने उसका विश्वास किया, पर परमेश्वर ने पतरस को प्रगट कर दिया कि उसने क्या षड़यंत्र किया है । पतरस ने उदास होकर हनन्याह से कहा, तू ने ऐसा क्यों किया ? सारे रूपये तेरे ही थे, और तू उसे रख सकता था और कोई भी तुझ से नहीं कहता, कि तूने उसे कलीसिया को क्यों नहीं दिया ? तू ने क्यों मनुष्य से और परमेश्वर से झुठ बोला ? यह बात सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा और मर गया । जो हुआ उसे देखकर हर एक पर बड़ा भय छा गया । तब जवानों ने उठाकर उसकी अर्थी बनाई और उसे बाहर ले जाकर गाड़ दिया । लगभग तीन घंटे के बाद हनन्याह की पत्नी सफीरा जो हुआ था, उसे बिना जाने हुए आई । पतरस ने उससे पूछा, क्या वह और उसके पति ने इतने में ही अपनी सम्पत्ति को बेचा 73 74 था । उसने बिना हिचक के ”हाँ“ उत्तर दिया । वास्तव में पतरस के प्रश्न पर उसे गौर करना चाहिए था, पर उसने ऐसा नहीं किया । जैसा उसके पति ने उसे बताया था, उसने वैसा ही उत्तर दिया । उसके पास सच बताने का एक अवसर था, पर उसने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया । यदि आप एक झुठ बोलते हैं, तो एक झुठ छिपाने के लिए आपको और भी कई झुठ बोलने पड़ते हैं, क्यों की आप उसमें फंस जाते है । तब पतरस ने कहा, ”तुम दोनों ने प्रभु की परीक्षा के लिए एक किया है ? देख, तेरे पति के गाड़नेवाले द्वार ही पर खड़ें हैं, और तुझे भी बाहर ले जाऐगें ।“ सफीरा तुरन्त उसके पाँवों पर गिर पड़ी और मर गई । वही जवान उसे भी उठाकर बाहर ले गए और उसके पति के पास गाड़ दिया ।
चटटान पर बुद्धिमान ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा (3) पर बुद्धिमान का घर स्थिर रहा। 2 बालू पर मूर्ख ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा 3 और मूर्ख का घर गिर पड़ा। 3 लड़के लड़कियों को स्वर्ग जाना चाह है (3) अपने दिल मे यीशु को आने दो।