Class 3, Lesson 32: क्रूस की मृत्यु

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यीशु को गतसमनी बाग में रात्रि के समय बंदी बनाया गया और रोमी हाकिम पुन्तिपुस पीलातुस को सौंपा दिया गया, क्योंकि किसी व्यक्ति को मृत्यु दण्ड देने का अधिकार यहूदियों के पास नहीं था, पर उन्होंने पुन्तिपुस पीलातुस से यीशु को मृत्यु दण्ड देने का षड़यंत्र किया । जब यहूदी, यीशु पर दोष लगा रहे थे, तो उसने कुछ भी नहीं कहा, पर जब पीलातुस ने उससे पूछाा, कि क्या तू यहूदियों का राजा है, तो यीशु ने उससे कहा, ”तू आप ही कह रहा है ।“ पीलातुस ने यीशु में कोई भी दोष नहीं पाया और उसने तीन बार घोषणा की कि ”मैं इस मनुष्य में कुछ दोष नहीं पाता ।“ पीलातुस की पत्नी भी व्याकुल हो गई और उसने पति को कहला भेजा, कि तू उस धर्मी के मामले में हाथ न डालना । रोमियों की एक रीति थी, कि वे पर्व के समय एक बन्धुए को अजाद कऱ दिया करते थे, इसलिए पीलातुस यीशु को छोड़ देना चाहता था, क्योंकि वह समय फसह के पर्व का था । पर यहूदी ऐसा नहीं चाहते थे, और वे चिल्लाने लगे ”इसे नहीं, परन्तु हमारे लिए बरअब्बा को छोड़ दे ।“ बरअब्बा डाकु और हत्यारा था, इसलिए पीलातुस उसे छोड़ने को इच्छुक नहीं था, पर वह यहूदयिों की भीड़ से सहमत हो गया, क्यों यीशु के लोहू के विरूद्ध चिल्ला रही थी । उसने बरअब्बा को छोड़ दिया और यीशु को क्रूश पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया । सिपाही यीशु को भीतर ले गये और उसे बैंजनी वस्त्र पहिनाया और काँटो का मुकुट उसके सिर पर रखा और उसके हाथ में सरकण्डा दिया । वे राजा कह-कहकर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगे । तब वे उसे गुलगुता नाम की एक जगह में ले आए और उसे लकड़ी के एक क्रूस 71 72 पर ठोक दिये । उन्होंने उसे पीने के लिए दाखरस दिया, परन्तु उसने उसे नहीं पीया । तब सिपाहियों ने चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़े बाँट लिए, ठीक वैसे ही जैसे, कि भविष्यवक्ताओं ने पुराने नियम में भविष्यवाणी की थी । (भजन 22ः18) पीलातुस ने दोष पत्र लिखवाकर क्रूस पर उसके सिर के उपर लगा दिया, ”यह यहूदियों का राजा यीशु है ।“ देखनेवाले उसे ठट्ठों में उड़ाने लगे और चिल्लाकर कहने लगे, ”यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को बचा ले ।“ यदी वह ऐसा चाहता, तो क्या नहीं कर सकता था ? पर वह क्रूस पर लटका रहा, क्योंकि वह हमारे पापों के लिए मरना चाहता था, ताकि हमें परमेश्वर के क्रोध से बचा ले । वह क्रूस पर दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक रहा और सारे देश में अन्धेरा छाया रहा, क्योंकि प्रभु यीशु हमारे पापों के लिए दुःख उठा रहा था । वह बड़े शब्द से पुकार कर कहा, ”हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया ? वास्तव में जो वेदना वह सह रहा था, वास्तव में असहनीय था । तब उसने अपनी आत्मा सौंपकर प्राण त्याग दिया

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