Class 3, Lesson 31: तोड़े

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

यीशु ने कहा, ”स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है, जिसने परदेश को जाते समय अपने दासों को बुलाकर, अपनी सम्पत्ति उन को सौंप दी । उसने एक को पाँच तोड़े, दूसरे को दो और तीसरे को एक तोड़ दिया । (एक तोड़ा 34 किलोग्राम भार की एक इकाई के बाराबर होता था) पहला दास व्यवसायिक प्रवृतिवाला था, इसलिए उस ने तोड़े से लेन-देन किया, और पाँच तोड़े और कमाए । दूसरे दास ने भी ऐसा ही किया और उसने भी दो और कमाए । पर तीसरा दास थोड़ा अलग प्रवृति का था । उसने एक गड्ढा खोदा और उसमें अपने स्वामी का तोड़ा गाड़ दिया । बहुत दिनों के बाद स्वामी आकर अपने दासों से लेखा लेने लगा । पहला और दूसरे दास ने अपने स्वामी को लाभ के विषय में बताया, जिसे वे दिए गए तोड़े से कमाए थे । उन दोनों दासों से स्वामी ने कहा, ”धन्य, हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाउँगा, अपने स्वामी के आनन्द में सहभागी हो ।“ फिर तीसरा दास सामने आया और कहा, ”हे स्वामी मैं तुझे जानता था, कि तू कठोर मनुष्य है, तू जहाँ कहीं नहीं बोता वहाँ काटता है, और जहाँ नहीं छींटता वहाँ से बटोरता है । सो में डर गया और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया, देख जो तेरा है, वह यह है ।“ तब स्वामी क्रोधित होकर कहने लगा, ”हे दुष्ट और आलसी दास, जब यह तू जानता था, कि जहाँ मैं नहीं बोया वहाँ काटता हूँ, और जहाँ मैंने नहीं छींटा वहाँ बटोरता हूँ । तो तुझे चाहिए था, कि मेरा रूपया सर्राफों को दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता ।“ उसने तोड़ा उस दास से ले लिया और उसे, उस दास को दे दिया, जिसके पास दस तोड़े थे और आलसी दास को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया ।

Excercies

Song

जो भी तू कर रहा है, यीशु वो देखता है, हर पल का तुझ को इन्सान देना हिसाब होगा। खुल जायेंगी किताबें, जब भी हिसाब होगा, इन्साफ का तराजू यीशु के हाथ होगा।