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इसहाक बढ़कर एक सुन्दर जवान पुरूष हो गया, तब अब्राहम ने अपनी रीति के अनुसार उसके लिए एक पत्नि ढूँढने का निर्णय लिया । अब्राहम इस बात के लिए काफी आश्वस्त था, कि उसके पुत्र की पत्नि भी जीवित परमेश्वर की आराधना करने वाली हो, जैसा कि वह स्वयं किया करता था । वह ऐसे लोगों के मध्य में रहता था, जो अपने हाथ से बनाए हुए मूरतों की आराधना किया करते थे । एक अन्य बात यह भी थी, कि अब्राहम परमेश्वर की बुलाहट को सुन, अपने पूर्वजों के घर को छोड़कर कनान देश में तम्बू में रहा करता था। यदि वह अपने सगे-संबंधियों के बीच से इसाहक के लिए एक पत्नि ढूँढ लेता तो, वे इसाहक को अपने देश वापस लौटने के लिए मना करते और अपने देश मे निवास करने के लिए उसे विवश कर सकते थे ।जिसने परमेश्वर की बुलाहट सुनी है, वह व्यक्ति इस तरह का कार्य कभी भी नहीं कर सकता। अतः उसने अपने सगे-संबंधियो के बीच से ही एक ऐसी लड़की ढूँढने का निर्णय लिया, जो अपने लोगों को छोड़ने और अपने पति एवं परिवार के साथ तम्बू में निवास करने के लिए तैयार हो । क्योंकि अब्राहम भी परमेश्वर के बुलाहट सुनने के उपरांत अपने सगे-संबंधियों के देश में वापस नहीं लौटना चाहता था । और इस प्रकार की एक लड़की को ढूँढना साधारण मनुष्य के लिए कोई सरल कार्य भी नहीं था । परन्तु अब्राहम आश्वस्त था कि परमेश्वर सब कुछ पूरा करेगा । अतः उसने अपने एक विश्वासयोग्य दास एलिय्याजर को इसहाक हेतु, वैसी एक कन्या ढूँढने के लिए भेजा । एलिय्याजर ने दस उँटों को लिया और उसपर कनान की उत्तम उपज मे से कुछ लेकर लाद लिया । वह अनेक दिनों की यात्रा के उपरांत अन्ततः मिसुपुतामिया के नगर में पहुँचा जहाँ अब्राहम का भाई नाहोर रहता था । वह नगर के बाहर पहुँचकर वहीं रूक गया । उस समय प्रत्येक नगर का एक सार्वजनिक कुआँ नगर के बाहर हुआ करता था और नगर की स्त्रियाँ संध्या के समय पानी भरने आया करती थी । कुँआ बहुत ही बड़ा और भीतर की ओर सीढ़ियाँ बनी होती थी, जिसके सहारे स्त्रियाँ नीचे जाकर पानी भरा करती थी । एलिय्याजर कुँआ के पास ही पड़ाव डाल दिया और उँटों को नीचे बैठा दिया क्योंकि वे भी बहुत ही प्यासे थे । इसके साथ-साथ उसने यह भी सोचा कि पानी भरने आने वाली स्त्रियों में से इसहाक के लिये एक योग्य लड़की को भी ढूँढ लेगा । वह योग्य लड़की का चुनाव कैसे करता ? उसने सबसे उत्तम कार्य किया जो वह कर सकता था, वह वहीं पर खड़ा होकर प्रार्थना करने लगा कि "हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करूणा कर ।" उसने परमेश्वर से इसहाक के लिए एक योग्य स्त्री दिखाने के लिए भी निवेदन किया । उसने परमेश्वर से यह भी कहा, कि उसे सही लड़की पहचानने के लिये, उससे यह कहलवाये की "ले पीले, पीछे मैं तेरे उँटों को भी पिलाउँगी।" शीघ्र ही रिबका, नाहोर की पोती अपना घड़ा लिए हुए कुएँ के सोते से पानी भरने लगी । जब वह अपने भरे हुए घड़े के साथ उपर आई, तो एलिय्याजर ने उससे अपनी योजना के अनुसार बोला । उसने उसे पीने के लिए पानी दिया और कहा कि "मैं तेरे उँटों के लिए भी पानी भर लाउँगी ।" तब वह अपने घड़े के जल को हौद में उण्डेलकर फिर से कुँए के भीतर गई । एलिय्याजर आश्चर्यचकित होकर उसे देखते हुए सोचने लगा, कि यदि यही वास्तव में इसहाक के लिए योग्य कन्या है, तो वह अवश्य ही अब्राहम के परिवार की ही होगी । जब उँटों ने पानी पी लिया तो एलिय्याजर ने उससे उसके पिता का नाम पूछा, उसने उसे बताया कि वह नाहोर के पुत्र बतूएल की बेटी है और उसके पिता के घर में उसके लिए एवं उँटों के ठहरने के लिए भी पर्याप्त स्थान है । तब उस दास ने अपना सिर झुकाकर परमेश्वर की आराधना की, जिसने उसे उसके स्वामी के घर में पहुँचा दिया था । उसने रिबका को सोने का एक नत्थ और कंगन दिया । तब वह दौड़कर अपने घर गयी और उस अपरिचित व्यक्ति के विषय में अपने घर वालों को बताया जिससे वह मिली थी । तब उसके भाई लाबान अब्राहम के दास को लाने के लिए बाहर कुँए के पास आया । घर में एलिय्याजर और उसके सहयोगियों के लिए भोजन और जल परोसा गया, तब भोजन करने के पूर्व एलिय्याजर ने उन्हें अपने आने के प्रयोजन के विषय में बताया , उसने उन्हें बताया कि वह यहाँ क्यों आया है और परमेश्वर ने उसको यहाँ तक कैसे पहुँचाया। उसकी बात सुनकर सबों ने मान लिया कि रिबका के लिए परमेश्वर की यही इच्छा थी और शीघ्र ही रिबका के माता-पिता एवं भाई उसके विवाह के लिए तैयार हो गये । तब एलिय्याजर ने उसकी प्रार्थना सुनने एवं उसका उत्तर देने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद किया । क्या आप को परमेश्वर को धन्यवाद करना याद रहता हैं, जब वह आपकी प्रार्थना का उत्तर देते हैं ? तब एलिय्याजर ने कीमती गहने और कपड़े रिबका को एवं उसके माता पिता एवं भाइयों को कीमती उपहार भेंट किया । इसके पश्चात सभों ने मिलकर भोजन किया और उसने वहीं रात बिताया । एलिय्याजर अपनी वापसी यात्रा के लिए अगली सुबह बहुत जल्दी में था परन्तु रिबका के माता-पिता एवं भाई, रिबका को दस दिनों के लिए रखना चाहते थे । जैसे भी हो, एलिय्याजर ऐसा नहीं चाह रहा था, तब उन्होंने रिबका से पूछा कि वह क्या चाहती है ? वह शीघ्र ही एलिय्याजर के साथ जाना चाह रही थी । तब उसके माता-पिता ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे एलिय्याजर के साथ भेज दिया ।वे बहुत दिन की यात्रा के उपरांत एक संध्या एक मैदान में पहुँचे, जहाँ एक युवक ध्यान कर रहा था । एलिय्याजर ने रिबका से कहा कि यह युवक इसहाक है, तब शीघ्र ही वह उँट पर से उतरी और अपने मुँह को ढाँप ली और इसहाक ने उससे भेंट कर अपनी माता के तम्बू में ले आया । रिबका का विवाह नये नियम की एक सच्चाई का चित्रण है।
In His time, in His time , He makes all things beautiful in His time Lord, please show me everyday, as you're teaching me your way and I'll do just what you say in your time. In Your time, In Your time, You make all things beautiful in Your time Lord, my life to You I bring, may each song I have to sing Be to You a lovely thing , in your time. In Your time, In your time, you make all things beautiful in your time Lord, your voice I want to hear, Make me still and not to fear, Show me that you are always near, in your time