Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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परिचय - पलिश्तीन देश में कई दाख की बारियाँ थी, जिनमें काम करने के लिए अनेक मजदूरों की आवश्यकता होती थी । यहूदी प्रातः 6 बजे से संध्या 6 बजे तक काम करते थे और वे इसी के अनुसार अपने पहरों की गणना भी करते थे । अतः तीसरा पहर हमारे समयानुसार प्रातः 9 बजे होता था और छठा पहर दोपहर 12 बजे होता था और इसी तरह आगे भी । यदि किसी विशेष दिन बहुत अधिक कार्य रहता, तो स्वामी बाजार जाकर बहुत सारे लोगों को मजदूरी पर ले आता था । आज की कहानी हमें सीखती है, कि हम अपने विचारों की तुलना परमेश्वर के विचारों के साथ न करें । पाठ - एक दिन सवेरे ही दाख की बारी का स्वामी मजदूरों को एक दीनार की मजदूरी ठहराकर काम पर लगाया था । जो सामान्यतः दिनभर की मजदूरी होती थी । फिर तीसरे पहर के लगभग वह बाजार गया और मजदूरों को बेकार खड़े देखकर, उन्हें भी अपने दाख की बारी में जाकर काम करने के लिए कहा । उसने कहा, ”तुम भी दाख की बारी में जाओ और जो कुछ ठीक है, मैं तुम्हें दूँगा ।“ फिर स्वामी छठे पहर, नौवें पहर एवं संध्या के समय एग्यारहवें पहर में भी बाहर गया और मजदूरों को मजदूरी पर लगाया, क्यों कि उसने देखा कि कई लोग अब भी बेकार खड़े है । संध्या के समय स्वामी ने अपने भण्डारी से कहा, ”मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहिलों तक उन्हें मजदूरी दे दो । अतः भण्डारी प्राप्त आदेश के अनुसार, एक दीनार उन सभी मजदूरों को दिया, जो एग्यारहवें पहर में आए थे, वे बहुत ही प्रसन्न हुए । अन्य मजदूरों को भी एक समान ही मजदूरी मिला, पर वे अप्रसन्न हुए और कुड़कुड़ाने लगे । ”हमने सारे दिन धूप में कठिन श्रम किया और अधिकांश कामों को किया, पर हम केवल उतना ही पा रहे हैं जितना की और सभी ।“ स्वामी ने उनकी बात सुनकर उत्तर दिया, मैंने मजदूरी पर लगाने के समय जितना ठहराया था, उतना मैं तुम्हें दे चुका हूँ । अन्य लोग कितना पाते हैं, वे योग्य हैं या नहीं इसके विषय में चिन्ता न कर । परमेश्वर के राज्य में जो पिछले हैं, वे पहिले होगें और जो पहिले हैं, वे पिछले होगें ।
तुझ जैसा न कोई मेरे प्यारे हे यीशु, है न कोई शहंशाह इस जहां में तेरे सिवाए। 1 यीशु मसीह सच्चा ईश्वर दया से भरा परमेश्वर, तारण करने जन्मा है वह बलिदान वह सूली पर, जी उठा वह तीसरे दिन, स्तुति जय हो दाता की स्तुति हो स्तुति हो, राजा की।