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परिचय - पिछले पाठ में हमने यूहन्ना के विषय में जाना, जो प्रभु के लिए मार्ग तैयार करने आया था । आइए अब हम देखें, की उसके साथ क्या हुआ । पाठ - यूहन्ना के दिनों में, हेरोदेस गलील का रोमी शासक था । वह अच्छा व्यक्ति नहीं था, इसलिए यूहन्ना ने, उसे उसके दुष्ट कार्यों के विषय में चेताया । हेरोदेस ने अपने भाई की पत्नी हेरोदियास से ब्याह किया था, इसलिए यूहन्ना ने उससे कहा, कि यह उचित नहीं है । इस कारण हेरोदेस ने उसे बंदीगृह में डलवा दिया, पर उसने उसे मारा नहीं, क्योंकि वह जानता था कि वह एक सच्चा मनुष्य था । जब यूहन्ना बंदीगृह में था, तब उसने अपने दो चेलों को यीशु से यह पूछने भेजा, कि क्या वह वास्तव में प्रतिज्ञारत मसीह है व नही ? क्योंकि यूहन्ना अचंभ्ति था, कि यदि यीशु वास्तव मंे प्रतिज्ञारत मसीह है, तो वह क्यों बंदीगृह में दुःख उठा रहा है । यद्यपि उसने यीशु को परमेश्वर का मेम्ना कहकर बुलाया था, फिर भी वह भूल गया था, कि प्रभू को लोगों को प्रभू की महिमा का हिस्सेदार बनाने के लिये, पहले प्रभू को मरना आवश्यक था । यीशु ने चेलों से कहा, जाकर यूहन्ना को जो कुछ तुमने देखा है, वह सब बता दो । कैसे अन्धे देखते हैं, और कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहिरे सुनते हैं, और मुर्दे जिलाए जाते हैं, और कंगालों को परमेश्वर का वचन सुनाया जाता है । और वह बोले, ”धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए ।“ अपने जन्म दिन का उत्सव मनाने के लिए हेरोदेस ने अपने मित्रों के लिए एक बड़े जेवनार का आयोजन किया और हेरोदियास की बेटी शलोमी ने उनके मध्य नाच दिखाकर उसे प्रसन्न किया, तो उसने उसे वचन दिया, कि जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा । तब उसने अपनी माँ से पूछा, कि उसे क्या माँगना चाहिए । हेरोदियास यूहन्ना से घृणा करती थी, इसलिए उसने सोचा, कि यूहन्ना को घात करने के लिए यह एक अच्छा अवसर है । अतः वह शलोमी से यूहन्ना का सिर को थाल में माँगने के लिए बोली । जब हेरोदेस ने यह सुना तो, वह बहुत दुखित हुआ पर शलोमी ने उसके सभी मित्रों के सामने यह कहा था, इसलिए उसे इन्कार न कर सका । उसने अपने सिपाहियों को आदेश दिया, कि यूहन्ना का सिर काटकर थाल में शलोमी को भेंट किया जाए । तब यूहन्ना के चेले बंदीगृह में आकर उसकी लोथ को ले गए और उसे कब्र में गाड़ दिया और जाकर यीशु को खबर दिया । यीशु ने उनसे जो उसके साथ थे, कहा ”मैं तुम से सच कहा हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्में हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ । कंठस्थ पद - ।। कुरिन्थियो 4ः17 - क्योंकि हमारा पलभर का हल्का सा क्लेश हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है ।
यीशु नाम को अपना कहना, जैसे काँटों की राहों पे चलना और सच्चा मसीही बनना संग क्रूस पर उसके मरना, जिन्दा रहने की शक्ति ले लो। तन, मन और धन उसे दो अपने यीशु को सब कुछ दो क्योंकि उसी के द्वारा उद्धार पाना है जीती आत्मा का दान उसे दो।