Class 3, Lesson 23: शोमरोन में अकाल

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शोमरोन में भोजन का काफी अभाव हो गया, जिस कारण थोड़े से भोजन के लिए बहुत अधिक रूपये देने पड़ते थे । एक दिन जब राजा, शहरपनाह पर टहल रहा था, तो एक स्त्री ने उसे मदद के लिए पुकारा और वह कहने लगी कि "इस स्त्री ने मुझ से कहा था, मुझे अपना बेटा दे, कि हम आज उसे खा लें, फिर कल मैं अपना बेटा दूँगी, और हम उसे भी खाएंगे । तब मेरे बेटे को पकाकर हमने खा लिया, फिर दूसरे दिन जब मैंने इस से कहा, कि अपना बेटा दे, कि हम उसे खा लें, तब इसने अपने बेटे को छिपा रखा ।" जब राजा ने यह सुना, तो अपना वस्त्र फाड़ डाला और देह पर टाट ओढ़ लिया । उसने कहा, कि एलीशा ही इसके लिए उत्तरदायी है, इसलिए वह उसे निश्चय ही मार डालेगा, क्योंकि लोगों पर यह विपत्ति उसके ही कारण आई है । एलीशा नबी जानता था, कि क्या होने वाला है, इसलिए उसने पुरनियों को जो उसके संग बैठे थे कहा, "देखो, राजा मुझे घात करने की योजना बना रहा है । जब उसका दूत आए तो उसे भीतर आने की अनुमति नहीं देना, बल्कि उसे किवाड़ पर ही रोके रहना, क्योंकि राजा उसके पीछे आ रहा है ।" एलीशा जानता था कि, परमेश्वर दयावंत है और चाहता है, कि अकाल का अंत हो । उसने कहा, "कल इसी समय शोमरोन के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव भी एक शेकेल में बिकेगा ।" तब सरदार जो राजा के साथ था, हँसी करते हुए बोला "चाहे परमेश्वर आकाश के झरोखे खोले, तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी।" एलीशा ने उत्तर दिया, "तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा ।" इन बातों के बाद, चार कोढ़ी शोमरोन के फाटक के बाहर बैठे हुए थे । क्योंकि कोढ़ियों को नगर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी, परन्तु उन्हें भोजन के लिए बाहर बैठकर इन्तजार करना पड़ता था । वे बहुत ही भूखे थे, क्योंकि किसी ने भी उनको कोई भोजन नहीं दिया था । वे कहने लगे, "यदि हम यहीं बैठे रहें, तौभी मर ही जाएँगें । तो आओ हम अराम की सेना के हाथों पकड़े जाएँ, यदि वे हम को जीवित रखें, तो हम जीवित रहेगें, और यदि वे हम को मार डालें, तौभी हमको मरना ही है ।" अतः वे संध्या के समय अराम की छावनी में चले गए और वहाँ किसी को भी न पाकर आश्चर्यचकित हुए । जो एलिशा ने भविष्यद्वाणी किया, वही होने पर था । परमेश्वर अंत तक घेरना चाहता था, इसलिए उसने अरामियों को रथों, और घोड़ों और भारी सेना की सी आहट सुनाई, तब वे डरकर छावनी में ही अपना सबकुछ छोड़कर भाग खड़े हुए । कोढ़ियों ने छावनी में घुसकर मनमाना खाया-पिया और जितना सके उतना चाँदी, सोना और वस्त्र ले जाकर छिपा रखा । तब वे आपस में सोचकर कहने लगे, "जो हम कर रहे हैं, वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते । यदि हम सुबह तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा, सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला दें ।" तब वे गये और राजमहल के फाटक के चौकीदारों को बुलाकर बताया और वे भीतर जाकर लोगों को बताए, जिन्होंने फिर सारी बात राजा को बता दी । राजा को इस पर सन्देह था । उसने सोचा की यह शत्रु की कोई चाल हो सकती है । वे कहीं छिपकर उसके लोगों का इन्तजार अपनी छावनी में बिना शंका के आने का कर रहे होगें, ताकि जब वे ऐसा करें तब वह उन पर आक्रमण कर सके । इसलिए उसने अपने दो घुड़सवारों को सारा हाल जाकर पता लगाने के लिए कहा । सैनिकों ने जाकर देखा की अरामी वास्तव में भाग खड़े हुए हैं और जल्दबाजी में उन्होंने अपना समान यरदन के पूरे मार्ग में फेंक दिया है । वे राजा के पास वापस लौटे और उसे बताया, कि उनकी छावनी में कोई भी कहीं नही है । तब लोग अरामी छावनी में गए और वे जितना सके ले आए और शीघ्र ही समानों की खरीद बिक्री भी करने लगे । जैसा एलीशा ने कहा था, एक सआ मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव एक शेकेल में बिकने लगा । राजा ने उसी सरदार को, जो उसके साथ एलीशा के घर गया था, फाटक का अधिकारी नियुक्त किया, पर जैसे ही लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई उन्होंने उसे धक्का देकर गिरा दिया और उस पर ही चढ़कर चलने लगे और वह मर गया । उसने आश्चर्यकर्म को तो देखा परन्तु वह उसका आनन्द उठा न सका।

Excercies

Song

नन्हें मुन्नें बच्चों आओ चलें प्यारे यीशु से हम बातें करें मिलके चले (2) प्यारे मसीह से हम बातें करें। 1 छोटा प्यारा यीशु कभी न लड़ा हम भी किसी से कभी न लड़े । 2 खाना और कपड़ा वह देता हमें मम्मी, पाप्पा और भाई बहनें । 3 कितनी अच्छी चीजें वो देता हमें छोटा सा दिल भी हम उसी को दे दे। 4 प्यार से बुलाता है यीशु हमें उछलते और कूदते और गाते चलें।