Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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योनातन राजकुमार एवं इस्राएल के प्रथम राजा शाऊल का जेठा पुत्र था । दाऊद यिशै नाम कृषक का सबसे छोटा एवं आठवाँ पुत्र था, जो भेड़ो को चराता था । पिछले पाठ में हम लोगों ने देखा, कि दाऊद ने कैसे वीर योद्धा गोलियत को मारकर जय प्राप्त किया । दाऊद एक सुन्दर बालक था, योनातन उसे देखकर प्रसन्न हुआ और उस चरवाहे बालक के हिम्मत को सराहा । उसने अपना हाथ मित्रता के लिए दाऊद की ओर बढ़ाया और परमेश्वर के नाम से उसके साथ एक वाचा भी बान्धी । अपनी मित्रता की निशानी के रूप में योनातन ने दाऊद को अपना बागा, अपनी तलवार, धनुष एवं कटिबन्द जिसे वह स्वयं पहिना करता था, दे दिया । शाऊल दाऊद से डाह करता था, इसलिए उसने उसे मार डालने की योजना बनाई । उसने अपने पुत्र एवं सेवकों से दाऊद को मार डालने के संबंध में पूछा, परन्तु योनातन ने दाऊद के लिए विनती की और अपने पिता से यह वायदा करने को विवश किया, कि वह दाऊद को नहीं मारे । पर शाऊल योनातन पर क्रोधित हो गया और चिल्लाकर उससे कहा, कि "जब तक यिशै का पुत्र जीवित रहेगा, तब तक तू राजा नहीं बन पाएगा ।" परन्तु योनातन ने इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया । इसके बदले वह बाहर गया और दाऊद को उसके पिता से सावधान रहने के लिए चेताया । हालाँकि योनातन जानता था, कि दाऊद शाऊल के बाद राजा बन जाएगा, पर इससे वह जरा भी नाखुश नहीं था । परन्तु उसने अपने मित्र से वायदा बांधी और कहा, जब तू राज्य करे, तो तू मुझ पर एवं मेरे घराने पर कृपादृष्टि बनाऐं रखना। (20:13-15) उन दोनों के बीच घनिष्ट मित्रता थी और निस्वर्थ भावना से एक दूसरे को प्रेम करते एवं एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते थे । परमेश्वर के नाम से एक दूसरे के प्रति अपने वाचा को पूरा भी किया । जब दाऊद शाऊल के कारण जंगल में रहता था, तो योनातन ने अपने मित्र की रक्षा की और परमेश्वर पर भरोसा रखने में उसकी सहायता की । (22:16-18) क्या आप अपने मित्र के लिए ऐसा करते हैं ? जब वह कठिन परिस्थितियों में हो, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा रखने में उनकी सहायता करते हैं ? मित्रों को एक दूसरे के लिए उनके विश्वास को परमेश्वर की प्रति बढ़ाने में सहायता करनेवाला होना चाहिए । जब शाऊल और योनातन पलिशितयों से युद्ध करने गये, तो दोनों मर गये और तब दाऊद राजा बना । दाऊद एक कवि भी था और जब योनातन की मृत्यु हुई, तो उसने उसकी मृत्यु पर एक सुन्दर विलापगीत की रचना की । आप इसे 1 शमूऊल 1:19-16 में पढ़ सकते हैं ।
यीशु दोस्त है मेरा (3) अब न कोई डर, न कोई फिकर यीशु ने कुचला है, शैतान का सर। धिन धिना, धिना, (3) ला..ला..ल....