Class 3, Lesson 14: शाऊल एवं दाऊद

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

शाऊल के शसन काल में इस्राएली हमेशा पलिश्तियों से युद्ध किया करते थे । एक बार पलिश्तियों मे से गोलियत नाम एक दानवी योद्धा ने इस्राएलियों को ललकारा, कि उससे लड़ने के लिए वे एक पुरूष को भेजें । शाऊल और उसकी सेना उस दानवी योद्धा से बहुत ही भयभीत हो गये थे, परन्तु एक चरवाहा बालक, जिसका नाम दाऊद था, उसने कहा, कि वह गोलियत से लड़ेगा । दाऊद को यह निश्चय था, कि जब परमेश्वर उसकी ओर ह,ै तो उसे कोई भी हानि नहीं पहुँचेगी । उसने बहुत ही साधारण सा गोफन और पत्थर का उपयोग कर उस दानवी योद्धा को मार गिराया । शाऊल और उसकी प्राजा, पलिश्तियों की हानि से बहुत ही प्रसन्न हुए, पर जब शाऊल ने देखा कि दाऊद का नाम उसके प्रजा के बीच बहुत अधिक लोकप्रिय है, तो वह डाह से भर गया और दाऊद को मार डालने का यत्न करने लगा । शाऊल हमेशा परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी नहीं रहा, इसलिए परमेश्वर ने शमूएल से कहा, कि वह शाऊल और उसके घराने से राज्य को छीनकर उसे एक दिन उसके स्थान पर दाऊद को दे देगा । यद्यपि शाऊल भी जानता था, कि दाऊद ही उसके बाद अगला राजा बनेगा, तौभी उसने दाऊद को मार डालने का यत्न किया । इस कारण दाऊद अपने साथियों के साथ पहाड़ों पर भाग गया और वहीं रहने लगा । दाऊद और उसके लोग एनगदी के एक गुफा में छिपे हुए थे । तब शाऊल तीन हजार वीर पुरूषों को लेकर दाऊद को खोजने निकला । मार्ग में ही शाऊल दिशा फिरने के लिए गुफा के भीतर गया और वह यह नहीं जानता था, कि उस गुफा में दाऊद और उसके जन भी छिपे हुए हैं । तब दाऊद के जनों में से एक ने उससे कहा कि ”शाऊल को घात करने के लिए यह कितना सुनहरा अवसर है, इसे अभी मार डाल और कोई यह बात जान भी न पाएगा ।“ परन्तु दाऊद ने कहा ”नही मैं ऐसा नहीं कर सकता, शाऊल परमेश्वर का अभिषिक्त राजा है और मैं परमेश्वर के अभिषिक्त पर अपना हाथ नहीं उठा सकता ।“ फिर दाऊद ने उठकर शाऊल के बागे की छोर को छिपकर काट लिया, कुछ समय के पश्चात शाऊल गुफा से निकला और अपना मार्ग लिया । जब वह थोड़ी दूर चला गया, तब दाऊद गुफा से निकला और शाऊल को पुकार कर कहा । ”तू क्यों मुझे अपना शत्रु समझता है ? देख अपने बागे की छोर मेरे हाथ में देख । मैं तुझे मार सकता था परन्तु मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि, तू यहोवा का अभिषिक्त है ।“ तब शाऊल चिल्लाकर रोने लगा और उसने दाऊद से कहा कि ”तू मुझसे अधिक धर्मी है,“ फिर वह अपने घर चला गया । परन्तु शीघ्र ही वह अपनी डाह के कारण फिर अपने तीन हजार पुरूषों को लेकर जंगल में दाऊद को खोजने निकल पड़ा । दाऊद ने भेदियों को भेजकर यह पता लगा लिया, कि शाऊल कहाँ छावनी किए हुए है । तब वह और उसका अबीशे नाम एक जन शाऊल की छावनी में गये, उस समय सभी सैनिक सो रहे थे । उन्होंने देखा कि शाऊल अपने सेनापति अब्नेर के साथ सोया हुआ है । अबीशे शाऊल को अपने भाले से मार डालना चाह रहा था । 31 परन्तु दाऊद ने उसे मना कर दिया । इसके बदले वह शाऊल का भाला और पानी का घाड़ा उसके सिरहाने से उठाकर ले गया । तब पहाड़ की चोटी की दूसरी ओर वह खड़ा होकर अब्नेर को पुकार कर कहा, ”हे अब्नेर, तू कैसा सेनापति है ? तूने अपने स्वामी राजा की चैकसी क्यों नहीं की ? एक जन तो उसे मार डालने आया था, परन्तु तुम सो रहे थे“ शाऊल दाऊद की आवाज पहचानकर समझ गया कि दाऊद ने फिर एक बार उसे जीवन दान दिया है । तब शाऊल ने कहा ”मैंने पाप किया है, मैं फिर तेरी कुछ हानि न करूँगा, मैंने मूर्खता की है ।“ ल

Excercies

Song

Not Available