Class 3, Lesson 13: शिमशोन

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Lesson Text

मानोह नाम दानियो के कुल का एक पुरूष था । उसकी पत्नी बांझ होने कारण उनकी कोई भी संतान नहीं थी । एक दिन परमेश्वर के एक दूत ने मानोह की पत्नि को दर्शन दिया और कहा कि तेरा एक पुत्र उत्पन्न होगा जो जन्म से ही नाजीर रहेगा और वही इस्राएलियों को पलिश्तियों के वश से छुड़ाएगा । वह एक विशेष व्यक्ति होगा, इसलिए न तो तू कोई अशुद्ध वस्तु खाएं और न दाखमधु या किसी भाँति की मदिरा पिए । उसके सिर पर कभी भी छुरा न फिरे, क्योंकि किसी पुरुष के लम्बे बाल होना नाजिर होने का एक चिन्ह था । मानोह की पत्नि ने एक बालक को जन्म दिया और उसका नाम शिमशोन रखा । बालक बढ़ता गया और परमेश्वर ने उसे आशीष दी, एवं परमेश्वर का आत्मा उसपर अक्सर उतरा करता था । एक दिन उसका सामना एक जवान सिंह से हुआ । उसके पास कोई भी हथियार नहीं था परन्तु उस पर परमेश्वर का आत्मा उतरा और उसने उस सिंह को ऐसा फाड़ डाला जैसे कोई बकरी का बच्चा फाड़े । एक बार जब उसका झगड़ा पलिश्तियों के साथ हुआ तो उसने तीन सौ लोमड़ियों को पकड़ा और दो-दो की पूँछो के बीच एक-एक मशाल बान्ध दिया । तब उसने मशालों में आग लगाकर उन्हें पलिश्तियों के खड़े खेतों में छोड़ दिया, जिससे पूलियों के ढेर एवं खड़े खेत जलकर राख हो गये । फिर एक बार उसने गदहे के जबड़े की हड्डी से एक हजार पुरूषों को मार डाला । एक समय जब वह अज्जा को गया तो उसके शत्रुओं ने सोचा कि उन्होंने उसे घेर लिया है, परन्तु वह आधी रात में ही उठकर नगर के फाटक के दोनों पल्लों और दोनों बाजुओं को पकड़कर बेड़ों समेत उखाड़ लिया और अपने कन्धों पर रखकर उन्हें पहाड़ की चोटी पर ले गया । पलिश्ति शिमशोन को मार डालने के प्रयत्न में लगे हुए थे, परन्तु उसकी ऐसी सामर्थ के कारण वे ऐसा करने में असमर्थ थे । बीस वर्षों तक शिमशोन ने इस्राएल का न्याय किया ।अंत में पलिश्तियों ने दलीला नाम एक स्त्री की सहायता से शिमशोन को पकड़ लिया ।वह बड़ी मधुरता से उसकी सामर्थ के विषय में पुछती रहती थी, परन्तु उसने उसे कई बार मूर्ख बनाया, अन्ततः उसने उसके बार बार पुछने से तंग आकर सच बता दिया । उसने उसे बताया कि वह परमेश्वर का नाजिर है और उसके सिर पर कभी छुरा नहीं फिरा है । तब दलीला ने उसे अपने घुटनों पर सुलाकर उसके बालों को कटवा दिया और घात करने के लिए पलिश्तियों को बुलाया । शिमशोन भी जान गया कि परमेश्वर का आत्मा उसके पास से चला गया है और अब वह अपने शत्रुओं का सामना करने में असमर्थ है । पलिश्तियों ने उसे पकड़कर उसकी आँखें फोड़ डाली और बंदीगृह में चक्की पीसने के काम पर उसे लगा दिया । पुनः शिमशोन के बाल बढ़ने लगे और उसका बल भी धीरे-धीरे वापस आने लगा । परन्तु इसके विषय में कोई भी नहीं जानता था । एक दिन पलिश्तियों ने अपने दागोन नाम देवता के लिए एक बड़ा यज्ञ किया । शिमशोन को उस दिन बंदीगृह से बाहर लाया गया ताकि वह लोगों के लिए तमाशा बन सके । पलिश्तियों के परिवार के सभी सदस्य वहाँ सज-धज कर उपस्थित थे । शिमशोन को उन दो खंभों के बीच रखा गया था, जिस पर वह इमारत टिकी हुई थी और वह वहीं खड़े हुये, अंत में एक बार पुनः सामर्थ प्रदान करने के लिए परमेश्वर से विनती किया । परमेश्वर ने उसकी विनती सुनकर उसे पुनः सामर्थ प्रदान किया । तब शिमशोन ने दोनों खम्भों को पकड़कर नीचे की ओर खींच दिया जिससे वह इमारत उन हजारों लोगों पर गिर पड़ा जो वहां बैठे थे । उस दिन शिमशोन के साथ तीन हजार लोग मर गए । शिमशोन के परिवारवाले आकर उसकी लोथ को निकालकर ले गये और उसे उसके पिता के कब्रिस्तान में मिट्टी दी ।

Excercies

Song

My God is so big, so strong and so mighty There's nothing my God cannot do. (2) He made the trees, He made the seas , He made the elephants too. The mountains are His, the rivers are His, the stars are His handy works too.