Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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पिछले पाठ में हमने सिखा कि रिबका चाहती थी कि याकूब अपने मामा के यहाँ पद्दनराम चला जाए ताकि एसाव के क्रोध से बच सके | इसहाक ने याकूब को बुलाकर फिर से वह सारी आशीषें दीं जिसका वायदा परमेश्वर ने इब्राहीम से किया था ,और उसे यह चेतावनी भी दी ,कि किसी कनानी लड़की को अपनी पत्नी मत बनाना ,क्योंकि वे लोग परमेश्वर की आराधना नहीं करते ,परन्तु अपने मामा लाबान की एक बेटी से विवाह करना |याकूब चल दिया और सूर्यस्त होने पर लूज नामक एक स्थान पर पहुँचा ,और खुली जगह पर एक पत्थर को तकिया बनाकर सो गया |वहाँ उसने एक विचित्र स्वपन देखा | उसने देखा कि एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी है ,और उसका सिरा स्वर्ग तक पहुँचा है ,और परमेश्वर के दूत उस पर से चढ़ते उतरते हैं और उसने परमेश्वर को खड़े होकर यह कहते सुना ," मैं यहोवा ,तेरे दादा इब्राहीम का परमेश्वर ,और इसहाक का भी परमेश्वर हूँ |जिस भूमि पर तू पड़ा है , उसे मैं तुझे और तेरे वंश को दूँगा |तेरा वंश भूमि की धूल के किनकों के समान बहुत होगा ,और हर दिशा में फैलता जाएगा ,और तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे कुल आशीष पाएंगें |मैं तेरे संग रहूँगा और तुझे सुरक्षित रखूँगा और इस देश में वापस लाऊँगा |" नींद से जागने पर याकूब ने कहा ," निश्चये इस स्थान में परमेश्वर हैं ,और मैं यह नहीं जानता था |" उसने वह पत्थर उठाया जिसे तकिया बनाकर वह सोया था ,और उसे खंभा बनाकर खड़ा कर दिया ,उस पर तेल डालकर उस स्थान का नाम रखा -बेतेल ,क्योंकि उसने कहा ,"यह परमेश्वर का भवन है " फिर याकूब ने एक मन्नत माँगी ,और कहा ,"यदि परमेश्वर मेरे साथ रहकर इस यात्रा में मेरी रक्षा करे ,और मुझे खाने के लिए रोटी और पहनने के लिए कपड़ा दे ,और मैं अपने पिता के घर में सुरक्षित लौट आऊँ ,तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा |और यह पत्थर जिसका मैंने खंभा खड़ा किया है , परमेश्वर का भवन ठहरेगा , और जो कुछ तू मुझे दे ,उसका दशमांश मैं अवश्य ही तुझे दिया करूँगा |" इस स्वपण के बाद ,जो वास्तव में परमेश्वर की ओर से एक दर्शन था ,याकूब ने अपनी यात्रा जारी रखी
याकूब की सीढ़ी,चढ़ते है हम (3) क्रूस के सिपाही । करता निगरानी साथ में रहकर (3) क्रूस के सिपाही । ऊँचा ही ऊँचा चढ़ता हर कदम (3) क्रूस के सिपाही ।