Class 2, Lesson 38: पतरस का इन्कार

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जिस दिन यहूदा प्रभु यीशु के साथ विश्वास करने गया था ,उसी दिन प्रभु अपने अन्य शिष्यों को जैतून के पहाड़ पर ले गए |वहाँ प्रभु ने उनसे कहा ,"आज रात तुम सब ठोकर खोओगे और मेरे कारण तितर -बितर हों जाओगे और अकेला छोड़ दोगे |"तब पतरस ने सबके सामने कहा ,"यदि सब ठोकर खाएँ ,पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा !" सर्वज्ञानी प्रभु ने उससे कहा ,"आज रात मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले ,तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा |"चेले प्रभु की बातों से दुखी हुए परन्तु समझ न सके |पतरस ने फिर कहा ,"यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े , तोभी मैं तेरा इंकार कभी न करूँगा |"इसी प्रकार और सबने भी कहा | इसके पश्चाताप प्रभु अपने शिष्यों के साथ गतसमनी के बग़ीचे में गए |वहाँ से यहूदी और सिपाही प्रभु को पकड़कर प्रधान याजकों केसामने लेकर गए |जब प्रभु को पकड़ा गया ,तब उनके सभी शिष्य उनको छोड़कर भाग गए |पतरस कुछ दूरी रखकर प्रभु के पीछे -पीछे महायाजक के सामने खड़ा देख सकता था आँगन में आग जल रही थी और बहुत लोग आग ताप रहे थे क्योंकि सर्दी बहुत थी |और पतरस उनके साथ खड़ा था |उसने सोचा कि उसे कोई नहीं पहचनेगा ,और वहाँ खड़े होकर वह देख सकेगा कि प्रभु के साथ क्या हो रहा है |उस घर की एक स्त्री ने पतरस को ध्यान से देखकर कहा ,"यह भी यीशु नासरी के साथ था |" तुरंत ही पतरस ने इंकार करके कहा ,"मैं उसे नहीं जानता,और न ही समझता हूँ कि तू क्या कह रही है |"वहाँ से पतरस बाहर द्वार पर गया ,तभी मुर्गे ने बाँग दी |उस दासी ने उसे देखकर फिर आस -पास खड़े लोगों से कहा ,"यह उनमें से एक है |"पतरस इंकार कर दिया |कुछ समय के पश्चात वहाँ खड़े लोगों ने पतरस से कहा ,"निश्चय तू उनमें से एक है ,क्योंकि तू गलीली भी है |"तब वह धिक्काने और शपथ खाने लगा ,''मुर्गे के दो बार बागह देने से पहले तू तीन बार मेरा इंकार करेगा |''और वह इस बात को सोचकर रोने लगा | अक्सर हम भी निडरता से कह देते है |फिर भी जब परीक्षाएँ आती हैं ,हम बुरी तरह असफल हो जाते हैं |तब हमें आंसुओं के साथ पश्चाताप करना पड़ता है |इसलिए हम घमंड न करें ,बल्कि नम्रता के साथ प्रभु पर विश्वास करते हुए प्रार्थना करें कि परीक्षा के समय प्रभु हमें सम्भालें |यदि तुम सोचते हो कि तुम स्थिर खड़े हो ,तो सावधान रहो ,कि गिर न पड़ो |

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