Class 2, Lesson 37: यहूदा इस्करियोती

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महायाजक और शास्त्री ,व्यवस्था और परंपरा का पालन करते थे ,परन्तु उनके आंतरिक सत्यों का नहीं |परमेश्वर से प्रेम करने और उनकी सेवा करने से अधिक वे अपने लिए ओहदे और आदर की खोज में लगे रहते थे |याजक लोग प्रभु से नफरत करते थे क्योंकि प्रभु यीशु गरीबों के बीच में रहते और पापियों से मित्रता रखते थे |परन्तु प्रभु के पीछे चलने वाली भीड़ के कारण वे प्रभु के विरुद्ध झूठे दोष लगाकर ,गुप्त रूप से पकड़वाकर रोमी अधिकारी को सौंप देंगे | यहूदा इस्करियोती प्रभु के बाहर शिष्यों में से एक था ,परन्तु वह धन से प्रेम करता था ,प्रभु से नहीं |वह प्रधान याजकों और शास्त्रियों के पास गया कि प्रभु को गुप्त रूप से पकड़वा दे ,जिसके बदले उन्होंने उसे तीस चाँदी के सिक्के देने का वायदा किया |सभंवत :यहूदा ने सोचा होगा कि प्रभु यीशु ,जिसने दुष्टत्माओं को निकाला रोगियों को चंगा किया और मृतकों को जिलाया ,वह स्वयं को उनके हाथ से बचा सकेगा ,और मुझे चाँदी के सिक्के भी मिल जाएँगे| यहूदा ने यहूदी अगुओं दे धन लेकर उन्हें बता दिया कि प्रभु कहां हैं |यहूदा जानता था कि रात को अपने शिष्यों के साथ प्रार्थना करने के लिए प्रभु गतसमनी के बगीचे में जाएँगे |यहूदा ने उनसे कहा ,कि वह प्रभु यीशु को चूमेगा ,ताकि वे लोग समझ जाएं कि किसे पकड़ना है |सिपाहियों की एक एक बड़ी भीड़ और याजकों के सेवक रात को बागीचे में तलवारें और मशालें लेकर ऐसे गए जैसे किसी अपराधी को पकड़ने गए हों | यहूदा ने आगे बढ़ कर प्रभु को चूमा ,और सिपाहियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया |इस गड़बड़ी के बीच में पतरस ने तलवार निकाली और महायाजक के दास का कान काट दिया |प्रभु ने अपना हाथ बढ़ाकर उसका कान ठीक कर दिया |फिर पतरस से कहा ,"अपनी तलवार म्यान में रख ले ,क्योंकि जो तलवार चलाते हैं ,वे सब तलवार नष्ट होंगे |क्या तू नहीं जानता की मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ और वह स्वर्गदूतों की बाहर पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा ?परन्तु अवश्य है कि मेरे बारे में पवित्रशास्त्र की भविष्यवाणी पूरी हो |" जब यहूदा ने देखा कि प्रभु को मृत्युदंड दिया गया तब वह ग्लानि से भर गया |उसने चाँदी के तीस सिक्के लेकर प्रधान याजकों के पास जाकर कहा ,"मैने निर्दोष को मृत्यु के लिए पकड़वाकर पाप किया है !"परन्तु उन्होंने परवाह नहीं की |वह उन सिक्कों को मंदिर मे फेककर चला गया और जाकर अपने आप को फाँसी दी | यदि हम अपने उद्धारकर्ता के प्रति वफादार नहीं रहेंगे तो दिव्य दंड निश्चित है |अपने जीवन में यहूदा ने कभी भी यीशु मसीह को प्रभु नहीं कहा |उसके विषय में हमारे प्रभु ने स्वयं कहा कि वह शैतान है |वह उद्धारकर्ता के साथ रहा ,पर स्वयं उद्धार नहीं पाया |

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